मिशनरियों की कार्यकुशलता-भारतीयों की पहचान की समस्या- मार्किट में घुसना
मिशनरियों की कार्यकुशलता-भारतीयों की पहचान की समस्या- मार्किट में घुसना राजा राम मोहन राय के 10 साल बाद मैकाले की शिक्षा नीति को भारत में लागू किया गया। इस प्रकार भारतीयों में एक सटेटस सिम्बल की तरह अमीर रजवाड़ों व उच्च वर्ग के लोगों भ्रमित किया गया। उनसे ही पैसा दान स्वरूप लिया गया और कान्वैंटों का निर्माण हुआ। मिशनरियों की कार्यकुशलता इतनी थी सारे काम में वे कभी सामने नहीं आती थी। समाज में उनकी छवि सेवा भाव की ही प्रस्तुत की जाती जो आज भी जारी है। वे अपने एजैंडे को लागू करने के लिए भारतीयों के हर वर्ग से समाज सेवक चुनते व उनको आर्थिक मदद करते। इसके लिए में नारिवाद, दलितवाद, समाजिक न्याय, महिलाओं को लिए न्याय आदि समाजिक मुद्दों पर कार्य करते जिसमें उनको भारतीयों का सहयोग मिल जाता। वे ऐसे लोगों को चुनते जिनकी लोग बात सुनते व मानते थे। भारतीयों में पहचान की समस्या- भारतीय समाज को बांटने के लिए वे हर तरह का जुगाड़ करते। बंगाल के लोगों में अपनी पहचान को लेकर एक समस्या थी कि वे पहले बंगाली हैं या भारतीय। वे अपनी बंगाली पहचान को लेकर बहुत ही अस्पष्ट विचार रखते थे। लार्ड कर्जन ने ज...