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भगवान कृष्ण व उनका व्यकि्तव

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भगवान कृष्ण व उनका व्यकि्तव भगवान कृष्ण का जीवन हर समय संर्घष व कांटो की सेज जैसा था। जब भगवान ने इस धरा पर अवरार लिया उस समय कारागृह में थे उनके माता पिता। मौत सिर पर मंडरा रही थी। मामा कंस उनकी जान का दुश्मन था कि कब वह पैदा हों अौर कब उन्हें दीवार से पटक कर मार दिया जाए। वह इससे पहले पैदा होने वाले सारे बच्चों को दीवार से पटक कर मार चुका था। मौत से बचाने के लिए जब उन्हें किसी तरह बचा कर ले जाया जा रहा था तो घनघोर बारिश व नदियों में बाढ़ अाई हुई थी। वसुदेव जी उनके साथ बाढ़ में बह सकते थे। बाल अवस्था में भी उन्हें मारने के कई प्रयास किए गए। भगवान बांसुरी बजाते अौर नाचते भी थे। सखियों के संग रास भी रचाते। उन्होंने वे सब लीलाएं की जो एक बालक करता है। ये एेसा ग्वाला था जो अपनी गऊअों से बहुत ही प्यार करता था जब भी गऊएं उसकी बांसुरी की तान सुनती तो वे उनकी तरफ भागी चली जाती। जो सखियों के साथ गीत गाता है,नाचता है वही कुरुक्षेत्र की रणभूमि में  अधर्म का नाश करने अौर धर्म की स्थापना करने के लिए भी खड़ा है। लेकिन वह भी बिना किसी हथियार के। क्या अाप सोच सकते हैं कि दुश्मन की तरफ से वि...