ब्राह्मणों के खिलाफ नफरती प्रचार की शुरुआत कैसे हुई
ब्राह्मणों के खिलाफ नफरती प्रचार की शुरुआत कैसे हुई ब्राह्मणों के खिलाफ नफरती प्रचार की शुरुआत का इतिहास बहुत पुराना है। वैदिक काम में ब्राह्मणों अध्यापक व पुजा आदि का काम करते थे। यही इनके रोजगार का साधन भी था। गुरुकुल में बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती थी। वहां उनको वेदों, उपनिषदों आदि का पूरा ज्ञान करवाया जाता था। इस प्रकार विद्या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती थी। ब्राह्मण लोगों को धर्म से जोड़े रखते थे और इस प्रकार यजमानों से उनकी आजीविका भी चलती रहती थी। यह काम पूरी तरह से अवैतनिक होता था। अपने यजमानों के हर धार्मिक कार्य को करने की जिम्मेदारी ब्राह्मणों की होती थी। कालांतर में जैन व बुध धर्म का प्रभाव भारत में आया तो लोग बुध धर्म की तरफ आकर्षित हुए। ब्राहमण भी इन धर्मों के प्रति आकर्षित हुए और इन्होंने बुध व जैन धर्म अपनाना शुरु कर दिया और इनके साथ ही इनके यजमानों ने भी ये धर्म अपना लिए। इन धर्मों को समकालीन राजाओं का संरक्षण प्राप्त था इसलिए धन भी काफी मिल जाता था। ब्राहमणों ने इन धर्मों के प्रचार व प्रसार के लिए पाली व संस्कृत भाषाओं में सैंकड़ों ग्रंथ ...