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Showing posts from June, 2020

effects of vashikaran on girl | Symptoms vashikaran on girls hindi

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effects of vashikaran on girl Symptoms vashikaran on girls  effects of vashikaran on girl - लड़कियों को अपने वश में करने के लिए उनपर वशीकरण किया जाता है। ज्यादातर केसों में पता ही नहीं चलता कि लड़की पर वशीकरण हुआ भी है कि नहीं। लोग लड़की को दवाइयां देते रहते हैं क्योंकि उन्हें पता ही नही होता कि किसी ने वशीकरण कर दिया है।  vashikaran on girl के बारे में आपने सुना होगा लेकिन आपको पता नहीं होगा कि इसे कैसे किया जाता है। वशीकरण का प्रभाव लड़का-लड़की पर तुरंत होता है। वशीकरण के दौरान ऐसे तेज व पावरफुल मंत्रों का उच्चारण किया जाता है कि लड़की व लड़का तुरंत वशीकरण के प्रभाव में आ जाते हैं। जिस पर वशीकरण हुआ हो,उसके लक्षण कैसे होते हैं आज हम इसी विषय पर बात करेंगे।  वशीकरण मंत्र हमारे मन व दिमाग को प्रभावित करता है।  ladki par Vashikaran ke lakshan what is Vashikaran? Symptoms vashikaran on girls- वशीकरण के लक्षणों को देखकर पता लगाया जा सकता है कि वशीकरण हुआ है या नहीं, इसका कितना प्रभाव है और यह किस स्तर पर पहुंचा है। यदि वशीकरण के बारे में हमारे पास पूरी जानकारी है तो हम किसी विषेशज्ञ की स

एक अंग्रेज की अपराध स्वीकारोक्ति - द कनफैशन

एक अंग्रेज की अपराध स्वीकारोक्ति - द कनफैशन  मेरा नाम विलीयम्स जोन्स है, और मैं अंग्रेज हूं। मैं यहां अपने  किए अपराधों की स्वीकारोक्ति करने के लिए खुले मन से यह पत्र लिख रहा हूं। मैं अंग्रेजों के किए नरसंहार, दूसरों की भूमि पर किए कब्जों, दुष्कर्म, चालाकियों, धोखेबाजी, झूठ, फरेब के बारे में कनफैशन करने के लिए आया हूं। मैं मानता हूं कि दुनिया की सबसे धूर्त, चालाक, अपराधी व दूसरों पर हावी होने वाली कौम अंग्रेज है। यह ऐसी कौम है जिसपर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता, जिसने भी विश्वास किया वह इस धरती पर जिंदा नहीं रहा।  आज हमारे गुलाम रह चुके लोग हमें सभ्य कहते हैं लेकिन हमारे पूर्वजों ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे उन्हें सभ्य कहा जाए। भारत जैसे देश में हम व्यापार करने के लिए गए थे, जब हमने देखा कि ये लोग तो बहुत ही भोले भाले हैं । इन्हें आसानी से लड़ाया जा सकता है तो हमने जाति, धर्म, रंग आदि के नाम पर उन्हें तोड़ा। एक राजा को को अपने साथ मिलाया उसे दूसरे राजा को खत्म करने के लिए प्रयोग किया। हमने लाखों संधियां की लेकिन हमने जब चाहा, संधी को तोड़ दिया।  हमने कई करार व वचन दिए और सभी को

पलायनवादी विचारधारा और इसका मनोविज्ञान क्या है?

पलायनवादी विचारधारा और इसका मनोविज्ञान क्या है किसी भी मूल समस्या पर गम्भीरता से विचार न करना, मूल समस्या को सिरे से नकार देना, अपने कायरता पूर्ण लोजिक से मूल समस्या की जगह कहीं और ध्यान भटकाना आदि कहा जा सकता है। किसी समस्या का का प्रोफैशनल तरीके से हल निकालने की बजाए उसपर चर्चा ही न करना एक तरह का पलायनवाद ही है। यह ऐसा ही है जब एक डाक्टर के पास यदि कोई मरीज जाता, अपनी बीमारी का उपचार करने के लिए जाता है तो वह उसे कहे कि तीन बार लम्बी सांसें लो और फील गुड करो।या आपको दिल की बीमारी है और डाक्टर आपको कब्ज की दवाई दे देता है। किसी को दिल का रोग है तो उसे कहो कि ये लो थोड़ा गुड़ खा लो. मंत्र जाप करो, थोड़ी घर में आग लगाओ, सारी बीमारियां दूर हो जाएंगी।  किसी रोग के बारे में चर्चा करना बेकार है, जो होना है वह होगा,बस ईश्वर का नाम लेते रहो। पलायनवानदी मानसिकता की घातकता उस समय सामने आई जब  90 के दशक में जब वीपीसिंह की सरकार थी तो मंडल कमिशन की रिपोर्ट के विरोध में देश भर में 350 से अधिक छात्रों ने आत्मदाय कर लिया। इन छात्रों को लगा था कि आत्मदाह करने से उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा।  उन्ह

चीन ने भारत पर 600 साल तक शासन किया गया होता तो क्या होता?

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चीन ने भारत पर 600 साल तक शासन किया गया होता तो क्या होता!!! कभी आपने सोचा कि चीन ने भारत पर अंग्रेजों व मुगलों की जगह पर भारत में 600 साल तक शासन किया होता तो क्या होता। चीनियों ने भारत पर शासन किया होता तो दिल्ली, मुम्बई आदि शहरों व गांवों के नाम चिंग मिंग तू, शान शा या कोई अन्य चीनी नाम पर होते। भारत का एक और चीनी नाम होता जैसे शिंगमिंग। वामपंथी सरकारें होतीं और भारत की मुख्य भाषा चीनी होती। जिस तरह लोग अंग्रेजी बोलने पर गर्व महसूस करते हैं वैसे चीनी भाषा को बोला जाता।  हर हिन्दू धार्मिक चिन्हों, ग्रंथों, त्यौहारों, मेलों आदि पर कब का बैन लग गया होता। गंगा जी के किनारे पिकनिक स्पॉट बने होते और हर की पौढ़ी को हर कोई भूल गया होता। धार्मिक ग्रंथों पर बैन लगा होता और इन्हें रखने वाले और पढ़ने वालों को देशद्रोही माना जाता, तुरंत मौत के घाट उतार दिया जाता। जो भी भारतीय संस्कृति की बात करता या किसी तरह के धार्मिक चिन्हों का प्रयोग करता दिखाई देता तो तुरंत गोली मार दी जाती। जलियांवाला बाग में भारतीयों को मारने का आदेश देने वाला चीनी होता।  चीनियों का दमन चक्र इतना भयंकर होता जैसे उन्होंने त

शनि की साढ़ेसाती किसे कहते हैं? शनि साढ़ेसाती के क्या उपाय हैं?

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शनि की साढ़ेसाती किसे कहते हैं? शनि साढ़ेसाती के क्या उपाय हैं शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि को यम, काल, दु:ख, गरीबी तथा मंद भी कहा जाता है।  किसी भी परेशानी, संकट, दुर्घटना, आर्थिक नुकसान, अपमान आदि के लिए इसका कारण हम शनि की साढ़ेसाती को मान लेते हैं।शनि देव हर इंसान को उसके कर्मों के हिसाब से शुभ अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनि की साढ़ेसाति साढ़े सात साल तक चलती है इसीलिए इसे साढ़ेसाति कहा जाता है। शनि की साढ़ेसाति हर व्यक्ति के जीवन में एक बार या इससे अधिक बार जरूर आती है।  शनि ग्रह को एक राशि से दूसरी राशि में जाने का जो समय लगता है वह अढ़ाई साल का होता है। एक राशि से दूसरी राशि में विचरऩ करते हुए शनि जातक की नाम राशि या लग्न राशि में रहता है। इस प्रकार उस राशि, उससे अगली राशि व बाहरवें स्थान की राशि पर साढ़े साती का प्रभाव होता है। शनि को 3 राशियों में गुजरने के लिए साढ़े सात साल का समय लग जाता है। सभी 12 राशियों के एक चक्कर काटने में उसे 30 साल का समय लग जाता है। शनि का गोचर जब आपकी जन्म कुंडली में बैठे चंद्रमा से बारहवें भाव में हो साढ़ेसाती आरंभ हो जाती है।शनि की साढ

सूर्य की महादशा का फल

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ग्रहों की महादशाओं का जातक के जीवन में बहुत ही प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की महादशा तथा अंतरदशा  से ही शुभ व अशुभ घटनाओं के बारे में जाना जा सकता है। जन्म कुंडली बनाकर ग्रहों की महादशा व अंतरदशा बना लेनी चाहिए। जन्म कुंडली में 3 प्रकार की दशाएं दी गई होती हैं। ये हैं विशोंतरी दशा, अष्टोत्तरी तथा योगिनी महादशा। यहां केवल सूर्य की विशोंत्तरी महादशा का ही वर्णन करेंगे। किसी भी ग्रह या सूर्य की महादशा का मूल आधार यह है कि जिस प्रकार यह जन्म कुंडली में शुभ व अशुभ होगा उसी प्रकार का ही अपनी महादशा में फल भी प्रदान करेगा। किस भाव,राशि आदि में यह ग्रह शुभ अथवा अशुभ है, पहले यह जान लेना जरूरी है, तभी महादशा का भी सटीक विचार हो पाएगा।   what is Vashikaran? सूर्य की महादशा का फल- यदि सूर्य शुभ एवं शक्तिशाली हो तथा 3-6-8-12 भावों में विराजमान न हो तो सूर्य महादशा में तरक्की,पुत्र प्राप्ति, नौकरी का मिलना, व्यापार में लाभ,स्वास्थय अच्छा, पिता को सुख मिलता है और अधिकारियों से लाभ मिलता है। मान-सम्मान मिलता है, यश की प्राप्ति होती है। यदि सूर्य अशुभ स्थिति में है तो स्वास्थ्य खराब,नेत्र, हृदय, पेट रोग,

हिन्दू महिलाओं को गायत्री मंत्र पढ़ना चाहिए कि नहीं?

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किसी को क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए, यह वह अपने विवेक,बुद्धि व अनुभव के आधार पर करता है। यदि वह किसी विषय के बारे में जानकारी नहीं रखता तो वह उस विषय के जानकार से उससे जानकारी प्राप्त करता है। धार्मिक विषय में भी कुछ ऐसा ही है। हर धर्म, सम्प्रदाय या पंथ का अनुसरण करने वाला अपने धर्म गुरुओं व मुल्लाओं व पादरियों के पास ही जाता है। वे जो उसे बताते हैं वह उनका अनुसरण करने का प्रयास करता है। वे उसे उसके धर्म के अनुसार बताते हैं कि क्या खाना है क्या नहीं खाना, कैसा पहनावा पहनना है, कितनी शादियां कर सकता है, कितने बच्चे पैदा कर सकता है,कहां जा सकता है और कहां जाना निषेध है। क्या उसके लिए गुनाह है और क्या गुनाह नहीं है, क्या पवित्र है और क्या अपवित्र नहीं है, जिस जीव का मांस खाना धर्म के अनुसार है और किसका नहीं आदि। जैसे पुरुषों के लिए आज्ञाएं व निषेध हैं वैसे ही महिलाओं के लिए भी हैं।  आज दुनियाभर में लाखों चर्च हैं लेकिन उनमें कोई भी महिला पादरी, बिशप या पोप नहीं है। महिला क्रप्टो तृप्ति देसाई जब शनि मंदिर में जबरन घुसती है तो उसे रोका नहीं जाता लेकिन यही महिला हाजी दरगाह में नहीं

हिन्दू धर्म में अवतारवाद क्या है?

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हिन्दू धर्म में अवतारवाद क्या है? हिन्दू धर्म अवतारवाद में विश्वास रखता है और यह इसका एक मजबूत स्तम्भ भी है। अब्राहमिक रिलीजनों में अवतारवाद की परिकल्पना नहीं है। अब्राहमिक रिलीजनों के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेता, वह ईश्वर का बेटा हो सकता है और मैसेंजर भी लेकिन इनका जन्म प्राकृतिक नहीं होता। दूसरी तरफ हिन्दू धर्म में ईश्वर अवतार लेता है यह अवतार प्राकृतिक भी हो सकता है अथवा अप्राकृतिक रूप से भी। यानि मां की कोख से भी पैदा हो सकता है और नहीं भी। वराह अवतार, कुर्म अवतार, मतस्य अवतार व नरसिंह अवतार आदि अप्राकृतिक रूप से प्रकट होते हैं जबकि राम, कृष्ण,शिव आदि किसी भी तरह से अवतार ले सकते हैं।  अवतार ईश्वर स्वयं ही होते हैं जो धराओं पर लीलाएं करने के लिए, जीवों को संदेश देकर विलीन हो जाते हैं। अब्राहमिक रिलीजनों में लीलाओं का कोई कंसैप्ट नहीं है। अब्राहमिक रिलीजनों में ईश्वर कहीं दूर बैठा है लेकिन हिन्दू धर्म में ईश्वर कण-कण में है, कुछ भी ईश्वर के बिना नहीं है। अब्राहमिक रिलीजनों में ईश्वर सातवें आसमान में अपने सिंहासन पर बैठा है और वह निराकार है। लेकिन हिन्दू धर्म में ईश्वर आपके अंग-संग

जीव व मानव संबंधों को सनातन हिन्दू नजरिए से समझाइए

जीव व मानव संबंधों को सनातन हिन्दू नजरिए से समझाइए मांसाहारी जीव एक दूसरे को खाकर अपना पेट भरते हैं। प्रकृति ने उनकी शारीरिक संरचना ही ऐसी बनाई है। एक शेर को जब भूख लगती है तो वह शिकार को निकलता है। जंगल में उसे उसका शिकार मिल जाता है तो वह उसे मारकर आप भी खाता है और अपने परिवार को भी खिलाता है। बचा हुआ मांस अन्य जीव खा जाते हैं। इस प्रकार मांसाहारी प्राणियों का खाने का व्यवहार चलता रहता है।  मानवीय संरचना वैसे तो शाकाहारी जीवों जैसी ही है लेकिन यह मांसाहार भी करता है। लेकिन यदि सारी दुनिया के लोग बकरियों को मारकर खाना शुरु कर देंगे तो सारी दुनिया की बकरियां एक ही माह में खत्म हो जाएंगी। ऐसा व्यवहार यदि मानव करता है तो धरती पर जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा और इकोसिस्टम एकदम से बिगड़ जाएगा।  मानवीय गलतियों से पहले भी जीवों की कई प्रजातियां इस धरती से खत्म हो चुकी हैं और कई प्रजातियां खत्म होने की कगार पर हैं। मानव अब समझने लगा है कि बेतहाशा जानवरों की हत्याएं करने से उसका अपना जीवन भी खतरे में पड़ता जा रहा है। मानवों व जीवों के संबधों के बारे में हमारे ऋषि मुनि अच्छी तरह से जानते

विवाह कब होगा ? when will I get Married?

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विवाह कब होगा ? When will i Get Married? युवावस्था में जब बच्चे पहुंच जाते हैं तो माता-पिता उनके लिए योग्य वर- व वधू की तलाश करनी शुरु कर देते हैं। यदि प्रेम संबंधों का मामला हो तो हर प्रेमी व प्रेमिका अपने अपने प्यार को पाने के लिए कई प्रकार के उपाय करते हैं। प्रेम के मामले में कई बार सफलता मिलती है और कई बार असफलता का भी सामना करना पड़ता है। विवाह के बाद सुख-शांति तथा संतान सुख हर कोई चाहता है।  मेरी शादी कब होगी? , किसी उम्र में मेरी शादी होगी? , मेरा पति कैसा होगा?, मेरी विदेश में शादी कैसे होगी?, मुझे सुशील पत्नी कब व कैसे मिलेगी?, मेरी पत्नी कैसी होगी?, मेरी शादी लव मैरिज होगी या अरेंज? आदि प्रश्नों का उत्तर हम आपको ज्योतिष के आधार पर देंगे। आपको बताएंगे कि कौन कुंडली का घर शादी के लिए देखा जाता है, कौन से ग्रह शादी के लिए उत्तरदायी होते हैं।  विवाह संबंधी जानने के लिए ग्रहों व भावों को जानना होगा। तभी स्पष्ट होगा कि विवाह होगा या नहीं। विवाह के बाद जीवन सफल होगा कि नहीं। विवाह के बाद  सुख मिलेगा कि नहीं। विवाह के बाद मतभेद, मानसिक परेशानी, तलाक तथा वाद-विवाद का भी सामना करना पड

उत्तराखंड की संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत व धर्म

उत्तराखंड की संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत व धर्म उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जाता है। यहां के लोगों का रहन-सहन, वेषभूषा, भाषा, संस्कृति को जानने के लिए यहीं का होकर रहना पड़ेगा। तभी आप यहां के बारे में जान पाओगे। यहां आने वाले बाहर के लोगों यानि दूसरे देशों या प्रदेशों से आने वाले लोगों को यहां आने से पहले यह सीखना होगा कि कैसे यहां की परम्पराओं का आदर करना है। इनके लिए इनकी सांस्कृतिक झलकियां थोड़ी अजीब सी लग सकती हैं लेकिन याद रखना होगा कि ये लोग सदियों से इन्हीं में रचे व पले बढ़े हैं। इनके स्थानीय देव हैं, इनके कुछ सांस्कृतिक व धार्मिक कोड आफ कंडक्ट हैं जिनका आदर हरेक को करना ही होगा।  उत्तराखंड की संस्कृति अपने आप में सम्पूर्ण है यहां किसी बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप निषेध होना चाहिए चाहे वह कोई समाज सुधारक ही क्यों न हो। इस संस्कृति को भारत सरकार की तरफ से पूरी तरह से संरक्षित कर दिया जाना चाहिए।  यहां की एक-वस्तु पर यहां के लोगों का अधिकार है, यहां किसी भी तरह की छेड़खानी नहीं की जानी चाहिए। सरकार को हर गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं, सस्ता राशन, स्कूल आदि का संचालन बढ़िया ढंग से कर