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Showing posts from April, 2020

पुराण क्या हैं और इऩके नायकों का भारतीय जनमानस पर क्या असर है

पुराण क्या हैं और इऩके नायकों का भारतीय जनमानस पर क्या असर है बच्चों के उनके दादा-दादी व माता-पिता बचपन में जिन नायकों के किस्से सुनाते थे वे सभी नायक पौराणिक ही होते थे। ये कथाएं उनके जीवन पर ऐसा प्रभाव डालती थीं कि ये नायक उनके साथ हमेशा जीवनभर के लिए हो जाते थे। एक बार जिस नायक के साथ जुड़ गए तो जुड़ गए, फिर उनके विश्वास को श्रद्धा को तोड़ना बहुत मुश्किल था। राजपूत ऱण भूमि में रण की देवी चंडी का नाम लेकर ही दुश्मनों के दांत खट्टे कर देते थे। चंडी का प्रभाव ऐसा होता था कि ये एक करंट की तरह काम करता था। इसी प्रकार आज भी फौज में जब सैनिक लड़ाई करने जाते हैं तो हर-हर महादेव आदि के जयघोष लगाते हैं और दुश्मनों को खत्म करके ही लौटते हैं। यह ताकत, ऊर्जा उन्हें इन्ही नायकों से आज भी मिलती है जो जीवन भर उनके साथ चलते हैं। पुराण ऐसे ऐतिहासिक ग्रंथ हैं जिनके नायकों के वे किस्से हैं जिन्हें जनमानस तक पहुंचाने के लिए कथाओं का रूप दिया गया है। इनमें उस समय के लोगों का जीवन, सामाजिक व्यवहार, संगीत, भाषा, कला आदि की जानकारी मिलती है। ये ऐसे सशक्त साधन हैं जिनकी कथाएं देश-विदेश में हर जगह पहुंची

यू-टर्न थ्यूरी व पाइसन पिल्स क्या हैं

यू-टर्न थ्यूरी व पाइसन पिल्स क्या हैं जब कोई व्यक्ति जिस विचारधारा या धर्म को छोड़कर आता है और कुछ समय बाद फिर वहीं वापस चला जाता है तो उसे यू-टर्न थ्यूरी कहा जाता है। इसमें उस वयक्ति पर की गई सारी मेहनत बेकार चली जाती है। 1960-70 के दशक में अमेरिका में भारत के दर्शन का डंका बज रहा था उस भारत से कई संत वहां धर्म प्रचार को पहुंचे थे, उन्होंने अपने लाखों श्रद्धालु भी बनाए लेकिन उनकी मृत्यु के बाद 90 प्रतिशत श्रद्धालु वापिस जहां से आए थे वहीं वापस चले गए। इन संतों के बनाए गए मिशन यू-टर्न के कारण बुरी तरह से फ्लाप हो गए। इस थ्यूरी को ईसाई मिशनरियां बहुत ही अच्छी तरह से समझती हैं। जब कोई हिन्दू ईसाई होता है तो उसका यू टर्न रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के फंडे प्रयोग किए जाते हैं। सबसे पहले उसके घर से उसके धर्मिक ग्रंथ, धार्मिक चिन्ह स्वास्तिक, ओम, देवी-देवताओं के चित्र, तुलसी आदि जिससे भी उसकी पहचान थी, को बाहर कर दिया जाता है। फिर उसे मंदिर जाने से व प्रशाद तक खाने से रोक दिया जाता है। उसे डराया जाता है कि यदि इन शैतानी देवी-देवताओं की पूजा करोगे तो नर्क की आग में जलोगे।  नफरत, डर की

विश्वास व अंधविश्वास का मनोविज्ञान क्या है ?

विश्वास व अंधविश्वास का मनोविज्ञान क्या है? विश्वास व अंधविश्वास का आपस में गहरा संबंध है, विश्वास है किसी दायरे से बाहर रहना और अंधविश्वास किसी दायरे में चले जाना। जो इस दायरे के अंदर हैं वे बाहर वालों को अंदर और जो बाहर हैं वे चाहते हैं कि अंदर वाले बाहर आ जाएं। बस यह कशमकश चलती रहती है। विश्वास व अंधविश्वास दोनों कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और न ही प्रमाण है लेकिन दोनों ही स्वंय को वैज्ञानिक साबित करने का प्रयास करते हैं। एक कहता है कि वह ईेश्वर पर विश्वास करता है और दूसरा कहता है कि वह ईश्वर पर विश्वास नहीं करता, दोनों दावा अपने विश्वास को वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित करने का दावा पेश करते हैं जो सदियों से करते रहे हैं। हर मानव किसी न किसी विश्वास को लेकर चलता है, यह शिफ्ट भी होता रहता है। मान लो किसी को नौकर की बहुत जरूरत है वह या तो उसके बारे में उसके मुंह से सुनकर उसे रखता है या उसकी पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद रखता है , कई बार उसकी जरूरत इतनी तीव्र होती है कि वह उसे वैसे ही विश्वास पर रख लेता है क्योंकि उसके पास और कोई चारा नहीं होता। बच्चे माता-पिता पर बहुत विश्वास करते है

मिथिहास या एपिक से क्या अभिप्राय है?

मिथिहास या एपिक से क्या अभिप्राय है किसी भी घटना का समय, डेट, सन आदि न पता हो तो उसे अब्रहमिक व वामपंथी नजरिए में मिथिक या काल्पनिक या अंग्रेजी में एपिक कहा जाता है। ऐसी घटनाओं को जिन ग्रंथों में लिखा गया होता है वे भी काल्पनिक माने जाते हैं। इन ग्रंथों आदि की सभी बातें काल्पनिक होती हैं जो किसी भी घटनाक्रम को काल्पनिक तरीके से बताती हैं। हिन्दू धर्म के वेदों सहित हर धार्मिक ग्रंथों को काल्पनिक घोषित किया गया है। जाहिर है इनके सभी पात्र भी काल्पनिक होंगे। जब आप किसी ग्रंथ को काल्पनिक घोषित कर देते हो तो आपको एक अधिकार मिल जाता है कि अपने एजैंडे के अनुसार उसकी व्याख्या कर सकते हैं। ऐसे ही जब बीआर चोपड़ा ने महाभारत सीरियल बनाया तो महाभारत ग्रंथ में लिखे गए हर पात्र को उसी अनुसार पेश करने का पूरा प्रयास किया गया। जिस प्रकार करोड़ों लोगों की धर्मिक भावनाएं हैं,उनका पूरा सम्मान किया गया। लेकिन वामपंथियों ने एकता कपूर से हमारा महाभारत धारावाहिक बनाया जिसमें द्रोपदी को टैटू और पांडव माडल्स बनाए गए।  इसे बाद देवदत्त पटनायक ने भी धार्मिक भावनाओं की धज्जियां उड़ाते हुए मेरी गीता, मेरा महाभारत

इतनी सदियां बीतने के बाद भी जैन समुदाय का हिन्दू धर्म से अटूट रिश्ता कैसे सुदृढ़ रहा

इतनी सदियां बीतने के बाद भी जैन समुदाय का हिन्दू धर्म से अटूट रिश्ता कैसे सुदृढ़ रहा जैन व सनातन धर्म सदियों से एक सूत्र में ही रहे। इनमें वैचारिक भिन्नता होने के बावजूद ये व्यवहारिक तौर पर हिन्दू समाज से ऐसे जुड़े रहे जैसे एक जिस्म दो जान। जैन धर्म आत्म तत्वी है और नास्तिक है वहीं सनातन धर्म ईश्वरवादी है। दोनों धर्मों के मंदिर अलग होते हैं व ईष्ट भी अलग होते हैं लेकिन इनके विवाह व अंतिम संस्कार पूरी तरह से वैदिक रीति से होते हैं। जैन समुदाय का एक कथन जीओ व जीने दो ने सारी दुनिया के एक नई दिशा दी। एक अन्य कथन कि यह मेरा अनुभव है संभवत मैं गलत भी हो सकता हूं जीवन दर्शन का एक ऐसा खुला रास्ता है कि यहां हर महानुभाव के लिए जगह है, सम्मान है। जैन समुदाय में मुनियों में ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्यों आदि का योगदान रहा। ब्राह्मण मुनियों ने महान ग्रंथों की रचना की, जैन ज्योतिष आदि को लिखकर जैन धर्म को बहुत ही उत्कृष्ट बनाया। आज किसी भी मंच पर जैन मुनि कभी भी हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं, धर्म ग्रंथों आदि की आलोचना नहीं करते। जब हिन्दुओं पर अत्याचार होता है तो खुलकर इसका विरोध करते हैं। एक बा

वेद न लिखे गए होते तो क्या होता?

वेद न लिखे गए होते तो क्या होता? हम ऐसा भी कह सकते हैं कि भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान आदि की पुस्तकें न लिखी गई होती तो क्या होता। इस प्रकृति में सब कुछ पहले से विद्यमान है। गुरतावकर्षण, एनर्जी, अणु, जीव तत्व आदि। इसी प्रकार वेदों में जो कुछ लिखा गया है वो पहले से ही इस युनिवर्स में था। जैसै- जैसे ऋषि मुनियों को ज्ञान होता गया वो उन्होंने श्लोकों के माध्यम से अपने-अपने अनुभवों से लिखना शुरु कर दिया। समाज, अर्थ व सोम आदि के बारे में अपने अनुभवों को वेदों में लिखा। वदों में श्लोकों को कंठस्थ करने पर जोर दिया गया, इस कारण एक पीढ़ी से दूसरी पीढी तक वेद सुरक्षित रहे। वेदों के लिखे जाने से पहले मानव सभ्य होना शुरु हो गया था । वह शादी के बंधन में बंधने लगा था और बच्चों को पैदा करने लगा था, उसे पता था कि आपस में रिश्तेदारों के शादियां नहीं करनी, वह अर्थ मामलों में लेन-देन भी करने लगा था, गाय आदि को भी पालने लगा था, कृषि भी उसका धंधा हो चुका था। समाजिक हो चुका था। वह जान चुका था कि किस मौसम में कौन सी फसल उगानी है। इस प्रकार वह जिन बातों को जान जाता वह दूसरों को बताता और इनको चिन्हों में लिख

best Astrologer in Varanasi kashi | vashikaran specialist in Banaras

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Astrologer in Varanasi kashi | vashikaran specilist in Varanasi Varanasi is the city of Kashi Vishwanath. Lord Shiva is always present here. Bhrigupandit ji is a famous astrologer in Kashi. He has been working in Varanasi for many years. If you live in Varanasi and you have a problem related to astrology, then Bhrigu ji, the famous astrologer of Varanasi is present at your service. Black magic problem, getting rid of evil spirits, love problem, Vashikaran, making or showing horoscope, loss of business, delay in marriage, parents not agreeing to marriage, vashikaran of husband, Vashikaran of lover If you have problems etc., you should definitely consult Bhrigu ji once. There is a solution to every problem in the world, just need qualified person who can understand and diagnose your problem. best Astrologer in Varanasi kashi | vashikaran specialist in Banaras Famous Astrologer in Varanasi - Famous Astrologer in Varanasi Bhrigupandit. You should consult Bhrigu ji and he will easily

यदि रामायण को न लिखा गया होता तो क्या पात्र भारतीय जममानस में जीवित रहते, सुपर हीरो का कंसैप्ट क्या है

यदि रामायण को न लिखा गया होता तो क्या पात्र भारतीय जममानस में जीवित रहते, सुपर हीरो का कंसैप्ट क्या है जब महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामयण लिखा तो वह भारतीय जनमानस की तरह की रामकथा से बहुत ही प्रभावित थे क्योकिं रामायण लिखे जाने से पहले ही राम कथा देश के विभन्न हिस्सों तक पहुंच चुकी थी। यहां तक की आदिवासियों, सुदूर पहाड़ों में, थाईलैंड, कम्बोडिया, जापान, श्रीलंका आदि के क्षेत्रों में रामकथा उनकी अपनी भाषाओं,गीतों, काव्यों आदि में धारा प्रवाह चल रही थी। यदि रामायण ग्रंथ न भी रचा जाता तो ये राम कथाएं जन-जन की लोक कथाओं में शामिल हो चुकी थीं। वे इसके नायकों, खलनायक , सहनायक व सुपर हीरो का चुनाव पहले ही कर चुके थे। गुफाओं में राम बनवास के चित्र आज भी मिलते हैं जो रामायण ग्रंथ काल से भी प्राचीन हैं। भारतीय जनमानस की विषेशता है कि ये अपने नायक,खलनायक व सुपर हीरो का चुनाव , स्वयं करते हैं, इसके लिए ये किसी ग्रंथ, इतिहास आदि के मोहताज नहीं हैं। ये नायक काल्पनिक भी हो सकते हैं या ऐतिहासिक भी।  सुपर हीरो पश्चिमी, अरबी व भारतीय दृष्टिकोण में- आपने देखा होगा कि पश्चिमी समाज के सुपर हीरो ब

प्रतीक और चिन्ह क्या हैं

प्रतीक और चिन्ह क्या हैं किसी भी देश की सभ्यता,संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए उसके प्रतीकों व चिन्हों की बहुत ही उपयोगिता है। इनमें एक ऐसे अणुओं के समान ताकत होती है कि ये किसी भी समाज को एक पल में ही किसी भी साहसिक या अपराधिक कार्य करने के लिए अग्रसर कर सकते हैं। आज रोमन सभ्यता जैसी कई सभ्यताएं व उनके प्रतीत- चिन्ह नष्ट कर दिए गए या उनपर अपना कब्जा कर लिया गया। आज रोमन सभ्यता डैड है औ उसके अवषेश केवल म्युजिमों में ही मिलते हैं। अब महर्षि आर्यभट्ट ने शून्य व पाई की वैल्यू जानी तो उसमे उन्हें प्रतीक के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। जब जर्मनी में हिटलर ने नाजियों की फौज तैयार की तो उसने उन्हें स्वातिक का विकृत रूप प्रतीक के रूप में दिया और तरह मयांमार में बौध संत थिराजु ने भी अंकों को प्रतीक के रूप में देश के लोगों के समक्ष रखा, सारे बौध एकजुट हो गए। देश का झंडा लेकर जब सैनिक युद्ध में जाता है तो वह इस प्रतीक की रक्षा के लिए अपना बलिदान तक दे देता है। कुछ लोग कह सकते हैं कि यह तो तीन रंगों व कपड़े का एक टुकड़ा ही तो है, लेकिन इस झंडे में इतनी ताकत है कि ये एक पल मेें सारे

मानवों को विज्ञान की ताकत का पता चल गया है

मानवों को विज्ञान की ताकत का पता चल गया है आज वैश्विक महामारी के इस दौर में सभी मानवों को विज्ञान की ताकत का पता चल गया है। जब संसार में चेचक, पीलिया, तपेदिक, टाइफाइड, रेबीज आदि  के  वायरसों ने हमला किया जो मानवता की सेवा में लगे वैज्ञानिकों ने इनके टीकों को इजाज किया और मानवों को इन महामारियों से बचाया। रेबीज ज्यादातर कुत्ते के काटने से फैलता है। फ्रांस में जब पागल कुत्तों के काटने से लोग मरने लगे तो  धर्मिक नेता कुछ भी न कर सके, उनके पास लोग प्रार्थना के लिए जाते लेकिन वे बेअसर रहतीं, एक भी रैबीज मरीज को नहीं बचाया जा सका। लेकिन महान वैज्ञानिक लुई पास्चर ने अपने हौसले से इस बीमारी का टीका इजाज किया और आज पूरी मानवता को रैबीज से बचा लिया। इस प्रकार अन्य वैज्ञानिकों ने भी अन्य बीमारियों के लिए दवाइयों का अविष्कार किया। करोना वायरस एक संक्रमित इंसान से दूसरे तक फैलता है लेकिन हैरानी की बात है कि यह केवल इंसानों को संक्रमित करता है। जानवरों कुत्तों,गायों,पक्षियों आदि पर इसका कोई असर नहीं। तो क्या ऐसा माना जाए कि यह इंसानों को उसके किए गए पाप कर्मों की सजा देने के लिए आया है। क्या यह

हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों का सैकुलराईजेशन

हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों का सैकुलराईजेशन हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों का सैकुलराईजेशन बड़े ही सुनियोजित ढंग से होता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों, अराध्यों व त्यौहारों ईश्वरीय आस्था, श्रद्धा व चिन्हों को निकाल दिया जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों का अनुवाद एक आम पुस्तक की तरह किया जाता है जिसमें उसमें शामिल अराध्यों को या तो नकार दिया जाता है या  फिर उनको आम राजा, महापुरुष व काल्पनिक पात्र की तरह प्रस्तुत किया जाता है।  इनमें डिवनिटी का जो पक्ष होता है उसे भी बाहर कर दिया जाता है। वांपपंथी महाभारत व रामायण का जब अनुवाद करते हैं तो उसमें भगवान राम व कृष्ण को एक आम राजा आदि के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है। इन महाकाव्यों को केवल राजनीतिक काव्यों के तौर पर ही प्रस्तुत किया जाता है। वेदों को भी सैकुलर तरीके से पढ़ाया व पढ़ा जाता है। जैसे एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी। इससे इन्हें या तो पुस्तकालयों में रखा जाएगा और फिर पढ़ने के बाद रद्दी वालों को बेच दिया जाएगा जैसे हम आम पुस्तकों व नावल इत्यादि के साथ करते हैं। अब तो योग का भी पूरी तरह से सैकुलराईजे

जनेऊ मुहूर्त 2021 -Janeu Muhurat 2021

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जनेऊ मुहूर्त 2020 (Janeu Muhurat 2021) - हिन्दू 16 संस्कारों में 9वां संस्कार है जो कि हिन्दू जीवन पद्धति के लिए महत्वपूर्ण संस्कार है। इसे यज्ञोपवीत, व्रतबन्ध, उपनयन, मौन्जिबन्धन और जनेऊ आदि भी कहा जाता है। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य का प्रथम जन्म माता के गर्भ से और दूसरा जन्म  व्रतबंध से संस्कृत होने पर माना जाएगा। इस कारण वे द्विज या द्विजन्मा कहलाते हैं। इस संस्कार को पूरी विधी से सम्पादित करना चाहिए।  वर्ष 2020 में पड़ने वाले सभी उपनयन मुहूर्त की विस्तृत सूची। जनेऊ मुहूर्त 2020 दिनांक वार तिथि नक्षत्र उपनयन महूर्त की समयावधि 15 जनवरी बुधवार माघ कृ. पंचमी उ.फाल्गुनी 07:15-12:10 27 जनवरी सोमवार माघ शु. तृतीया शतभिषा          07:12-14:37 29 जनवरी बुधवार माघ शु. चतुर्थी पूर्वाभाद्रपद 10:46-14:29 30 जनवरी गुरुवार माघ शु. पंचमी उ.भाद्रपद          07:11-13:20 26 फरवरी बुधवार फाल्गुन शु. तृतीया उ.भाद्रपद           06:50-14:53 28 फरवरी शुक्रवार फाल्गुन शु. पंचमी अश्विनी           06:48-14:45 11 मार्च बुधवार चैत्र कृ. द्वितीया हस्त              

सत्य और सत्य होने के दावे क्या एक समान हैं?

सत्य और सत्य होने के दावे क्या एक समान हैं ? एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति सत्य और सत्य होने के दावे एक समान नहीं है। इसको लेकर लोग व महान संत तक भ्रमित हैं। सत्य एक है और इसको बताने व जानने के कई रास्ते हैं, इससे सत्य के सभी दावे सत्य नहीं हो सकते।सत्य तक पहुंचने के 50 रास्ते बताए गए हो सकते हैं लेकिन सत्य होने के 50 लाख दावों को सत्य नहीं माना जा सकता।  एक डायग्राम हैं जिसमें सत्य व उस तक पहुंचने के अलग-अलग रास्ते लिखे हैं और एक अलग डायग्राम है जिसमें सत्य होने के दावे पेश किए गए हैं दोनों एक नहीं हैं। वेदों में कहा गया है कि सत्य तक पहुंचने के अलग-अलग रास्ते हो सकते हैं लेकिन यह नहीं कहा गया कि सत्य के  सारे दावे सत्य ही होते हैं।  यदि बिन लादेन कहता है कि उसने ही इस्लाम को समझा है, यह उसका सत्य है और उसका यह दावा सत्य है तो इसे नहीं माना जा सकता। यदि एक मठ का पुजारी कोई क्राइम करता है, व्यभचारी है और वहां आकर कहता है कि वह अपने सत्य का दावा करता है तो उसके दावे को नहीं माना जाएगा चाहे वह कितना भी अपने काम में पारंगत क्यों न हो,उसे तुरंत मठ से निकाल दिया जाएगा। सत्य का दावा करने

रामायण,महाभारत व अन्य ग्रंथों के क्या-क्या नेरेटिव प्रचलित हैं

रामायण,महाभारत व अन्य ग्रंथों के क्या-क्या नेरेटिव प्रचलित हैं वैसे तो हिन्दुओं के अलग-अलग धर्म ग्रंथों के बारे में अलग-अलग नेरेटिव भारत में प्रचिलित हैं लेकिन हम केवल रामायण व महाभारत महाकाव्यों के बारे में ही बात करेंगे। अलग-अलग कालखंड में नेरेटिव बदलते रहे हैं, जैसे- जैसे सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक परिस्थितियां बदलती रही हैं। हम मुख्य रूप से मुगलों से आने से  पहले ओर बाद का नेरेटिव- प्री एंड आफ्टर मुगल पीरियड, अंग्रेजों के आने के दौरान का पीरियड-ब्रिटिश कोलोनाइजड प्रीरियड और इसके बाद स्वतंत्रता के बाद का पीरियड के रूप में ले सकते हैं। 1. मुगलों से आने से  पहले का नेरेटिव- प्री मुगल पीरियड- मुगलों के आने से पहले भारत में वाल्मिकीय रामायण व महाभारत के मूल संस्कृत रामायण के नेरेटिव ही प्रसिद्ध थे। किसी के घर में कोई और ग्रंथ हो न हो रामायण व महाभारत जरूर होते थे। घर में समय समय पर ब्राह्मण या संत महापुरुष आते और बच्चों व परिवार को सरल भाषा में इन ग्रंथों की कथाओं को सुनाते थे। मुख्यत एक ही तरह का नेरेटिव होता था जिसमें श्री राम को भगवान विष्णु का अवतार मान कर पूजा जाता था और कृष

लोक कथाएं, लोक गीत व संस्कृति

लोक कथाएं, लोक गीत व संस्कृति हर देश, प्रदेश व समाज की लोक गाथाएं, लोक गीत होते हैं जो वहां की संस्कृति की पहचान होते हैं। ये लोक गाथाएं समाज को एक सूत्र में बांधती हैं। जब विदेशी हमलावर भारत में आए तो उन्होंने जिन-जिन जगहों पर अपना कब्जा किया वहां के लोगों का धर्मपरिवर्तन, उनके मंदिरों आदि को धवस्त तो किया साथ ही वहां  की लोक गाथाओं,लोक गीतों का पूरी तरह से खात्मा कर दिया। आप देखेंगे कि लोक गीतों व गाथाओं में लैला मजनू, हीर रांझा आदि के किस्सों ने ले लिया और वहां की लोक गाथाओं व गीतों को खत्म कर दिया गया। ये काम होने में 800 साल लगे। लेकिन जिन जगहों पर ये विदेशी आक्रमणकारी न पहुंच सके या बहुत देर बाद पहुंचे वहां के लोगों ने अपनी इन महान संस्कृतियों को पीढ़ी-दर- पीढ़ी बचाए रखा। इसमें महान कलाकारों का सहयोग रहा जिन्होंने गरीबी का तंज सहते हुए भी कला को जीवित रखा। सैकुलर सरकारों, बालीवुड ने इन लोक कथाओं को खत्म करने में कोई कसर नहीं बाकी छोड़ी। इन लोक कथाओं को हमारे स्कूलों में भी बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता। यदि पढ़ाया जाता है तो उनका सेकुलरकरण हो जाता है। आज की नौजवान पीढ़ी को नही

Indian Spiritual healer in UK | Spiritual healing in london +91 98726 65620

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Indian Spiritual healer in UK | Spiritual healing in london +91 98726 65620 Bhrigu ji is a famous spiritual healer in UK London. People are getting him into spiritual healing for health benefits. It is said that God provides such power within the human being that he is ready to fight a disease called Corona. Fighting with his self-power defeats every disease. In London, Bhrigu ji prays for the people. he does spiritual healing and health benefits in no time. Indian Spiritual healer in UK | Spiritual healing in london +91 98726 65620 When everything gets out of the hands of a human being and he feels that nothing is going to happen now, then he sees God in front of him. He pleads with God to save himself and his family. thousands of People all over the world are infected by Corona virus, Chinese virus. they wants to save themselves. Praying to God, O God, save us from the outbreak of this Corona virus.  Indian Spiritual healer in UK | Spiritual healing in london +91 98726 65620