होना व मानने मेें क्या अंतर है
होना व मानने मेें क्या अंतर है किसी विचारधारा को या किसी वस्तु के बारे में जो हम मानते हैं वह वैसा नहीं होती और कई बार वैसा हो भी सकती है जैसा हम मानते हैं। एक व्यक्ति का मानना है कि धरती चपटी है गोल नहीं। वह इसके बारे में तर्क देता है कि क्योंकि उसकी आसमानी किताब जिसपर वह विश्वास करता है उसमें ऐसा लिखा है कि धरती चपटी है क्योंकि किताब गलत नहीं हो सकती इसलिए वह भी गलत नहीं हो सकता और वह इस प्रकार झूठ नहीं बोल रहा। उसके ऐसे मानने से वैज्ञानिकों कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वे अपना काम वैज्ञानिक प्रमाणों के हिसाब से करते रहते हैं और न ही धरती को कोई फर्क पड़ता। कई लोग अपने धार्मिक मान्यता के अनुसार किसी किताब को जीवित व्यक्ति का शरीर मानते हैं और वे उसे सिर पर रखकर अपनी मान्यता को दिखाते हैं। इससे किताब को कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई व्यक्ति आसमान की तरफ देखकर किसी अदृश्य शक्ति की तरफ इशारा करता है तो वह विश्वास करता है कि ऊपर कोई बैठा है जो असीम शक्ति का मालिक है लेकिन उसके पास इसका कोई प्रमाण नहीं है। इस दुनिया में हर इंसान कुछ ऐसी बातों को मानता है या विश्वास करता है जिसका उसके पास क...