होना व मानने मेें क्या अंतर है

 होना व मानने मेें क्या अंतर है

किसी विचारधारा को या किसी वस्तु के बारे में जो हम मानते हैं वह वैसा नहीं होती और कई बार वैसा हो भी सकती है जैसा हम मानते हैं। एक व्यक्ति का मानना है कि धरती चपटी है गोल नहीं। वह इसके बारे में तर्क देता है कि क्योंकि उसकी आसमानी किताब जिसपर वह विश्वास करता है उसमें ऐसा लिखा है कि धरती चपटी है क्योंकि किताब गलत नहीं हो सकती इसलिए वह भी गलत नहीं हो सकता और वह इस प्रकार झूठ नहीं बोल रहा। उसके ऐसे मानने से वैज्ञानिकों कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वे अपना काम वैज्ञानिक प्रमाणों के हिसाब से करते रहते हैं और न ही धरती को कोई फर्क पड़ता। कई लोग अपने धार्मिक मान्यता के अनुसार किसी किताब को जीवित व्यक्ति का शरीर मानते हैं और वे उसे सिर पर रखकर अपनी मान्यता को दिखाते हैं। इससे किताब को कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई व्यक्ति आसमान की तरफ देखकर किसी अदृश्य शक्ति की तरफ इशारा करता है तो वह विश्वास करता है कि ऊपर कोई बैठा है जो असीम शक्ति का मालिक है लेकिन उसके पास इसका कोई प्रमाण नहीं है। इस दुनिया में हर इंसान कुछ ऐसी बातों को मानता है या विश्वास करता है जिसका उसके पास कोई प्रमाण नहीं होता। यदि वह एक विश्वास छोड़ता है तो दूसरे को पकड़ लेता है। प्रकृति अपने नियमों के अनुसार चलती रहती है। 

इंसान की मानसिकता ऐसी है कि उसके माइंडसैट को जैसा बनाया जाता है वह वैसा ही बन जाता है। बचपन से किसी बच्चे के दीमाग में नफरत भरी जाए तो वह जब बड़ा होता है तो इसी नफरत को दूसरों पर निकालता है। जैसा उसके माइंड में भरा होता है उसे वैसा ही दिखाई देता है। एक बच्चे को बचपन से सिखाया जाता है कि देखो ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, इससे धरती के प्राणी मर रहे हैं और जल्दी ही हम सब मर जाएंगे तो उसका माइंड इन बातों की कल्पना कर रहा होता है। प्रतिदिन बार-बार ऐसा कहने से उसकी मनोदशा ऐसी हो जाती है कि उसे लगता है कि जल्दी ही हम सब मर जाएंगे। उसके चेहरे के हाव-भाव आदि बदल जाते हैं जैस ही वह ग्लोबल वार्मिंग की बात करता है। इस प्रकार अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है, यह वैसा ही है जैसे बच्चों के हाथों में बंदूकें पकड़ा दी जाती है। 

यदि किसी के विश्वास के कारण समाज में गृह युद्द जैसी स्थितियां पैदा होती हैं, मानावाधिकारों का हनन होता है, निर्दोषों की हत्याएं होती है, आगजनी होती है तो इसका हल प्रोफैशनल तरीके से ही निकाला जा सकता है। समस्या की जड़ तक जाना, उसपर खुलकर चर्चा करना और फिर विशेषज्ञों की सलाह लेने से ही किसी समस्या का हल निकल सकता है।

अरब देश की स्थिति- इंटरनेट के आने से अरब देश में एक सूचना क्रांति ने भीतर-ही भीतर जन्म ले लिया। जब देश से जवान लड़कियां व लड़के इस्लाम छोड़कर अमेरिका व यूरोप आदि के देशों में शरण लेने लगे तो सरकार का माथा ठनक गया। उसे पता चल गया कि जनता को अब और अधिक देर तक पुराने विचारों से काबू में नहीं रखा जा सकता। ऐसी घटनाएं होने लगी कि सीवरेजों से धार्मिक पुस्तकें बरामद होने लगीं। तेल भी हमेशा के लिए नहीं रहना था और नए बाजार की खोज के लिए वैश्विक नीतियां अपनानी ही पड़नी थीं। इस प्रकार कट्टर विरोधी इजराइल से समझौते ने तो सारी दुनिया  को हैरान कर दिया। एक बात साफ हो गई कि जिसके पास उच्च तकनीक होगी, जानकारी होगी वही अब दुनिया में आगे आ सकेंगे। इजराइल से ज्यादा वर्तमान में तेज, उच्च तकनीक से लैस कोई नहीं है। दुनिया के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और इस दौड़ में अमीर मुस्लिम देश पीछे नहीं रहना चाहते क्योंकि जो इस दौड़ में एक बार पीछे रह गया उसका फिर उठ कर आगे आना बहुत ही कठिन है।







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