Rahu and Jupiter in 12th house in Hindi | Chandal yoga


Rahu and Jupiter in 12th house in Hindi rahu v brihaspati 12vein BhaV main


guru chandal yoga राहू एक छाया ग्रह है। यह 12वें भाव में राहू के साथ आता है तो चांडाल योग (chandal Yoga) बनता है। राहू व बृहस्पति दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं। 12वें भाव में यदि राहू की युति बृहस्पति से होती है तो ऐसा जातक  अक्सर आलसी, कम खर्च करने वाला, दुष्ट स्वभाव वाला होता है। वह लोभी और लालची भी होता है। बारहवां घर बृहस्पति और राहु के संयुक्त प्रभाव में होता है। ये एक दूसरे के शत्रु होते हैं। 
ऐसा माना जाता है कि राहू यदि द्वादश भाव में हो तो इसके बारे में कहा जाता है कि व्यक्ति की या तो जेल यात्रा होगी या हस्पताल की यात्रा होगा। इसके अतिरिक्कत यदि शुक्र तथा ब्रहस्पति शुभ हुए तो ऐसे व्यक्ति की विदेश यात्रा भी हो जाती है !
 जब राहू द्वादश भाव में होता है तो पति पत्नी के सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं। व्यक्ति बिना कारण शक करता रहता है। वह अपने ख्याली पुलाव बनाता रहता है जिससे उसका शक मजबूत हो। द्वादश भाव में बैठा राहू प्रेत बाधा देता है। राहू से पीड़ित व्यक्ति को यह वहम रहता है कि कोई मेरे खिलाफ षड़यंत्र रच रहा है अथवा किसी ने मेरे ऊपर तंत्र प्रयोग कर दिया है।  What is Vashikaran?

Rahu and Jupiter in 12th house in Hindi | Chandal yoga गुरु चांडाल योग, गुरु-राहु की युति

राहू के द्वादश भाव में बृहस्पति के साथ युति होने पर व्यक्ति का खर्चा बहुत अधिक बढ़ जाता है। यह खर्चा  अशुभ कामों में होता है, अधिक खर्चा होने के कारण जातक दुखी रहने लगता है।
जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग यानि कि गुरु-राहु की युति हो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति षडयंत्र करने वाला, ईष्र्या-द्वेष, छल-कपट आदि दुर्भावना रखने वाला एवं कामुक प्रवत्ति का होता है, गुरु चांडाल योग धारण करने वाले जातक और कोई न कोई शारीरिक मानसिक विकृति होती है। क्योंकि राहु चांडाल जाति, स्वभाव यानि कि नकारात्मक गुणों का ग्रह है, इसलिए इस योग को गुरु चांडाल योग कहा जाता है। गुरु ज्ञान का ग्रह है, बुद्धि का दाता है। जब यह नीच का हो जाता है तो ज्ञान में कमी लाता है। बुद्धि को क्षीण बना देता है।
राहु और बृहस्पति का सम्बन्ध होने से शिष्य का गुरू के प्रति द्रोह देखने में आता है। यदि राहु बलशाली हुए तो शिष्य, गुरू के कार्य को अपना बना कर प्रस्तुत करते हैं या गुरू के ही सिद्धांतों का ही खण्डन करते हैं। बहुत से मामलों में शिष्यों की उपस्थिति में ही गुरू का अपमान होता है और शिष्य चुप रहते हैं। 
उपाय :

1. राहू व बृहस्पति के बुरे प्रभाव से बचने के लिए किसी भी मामले में झूठी गवाही से बचें।
2. राहू का बुरा प्रभाव खत्म करने के लिए जातक को को साधुओं, गुरुओं और पीपल के पेड़ की सेवा करनी चाहिए।
3. रात में अपने बिस्तर के सिरहाने पानी और सौंफ रखें।
4. हनुमान चालीसा व शिव चालीसा पढ़ने से राहू का बुरा प्रभाव कम होता है।


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astrologer bhrigu pandit

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