मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है- Gand Mool 2023


Image result for gandmool nakshatra

मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है

गंडमूल नक्षत्रों  में पैदा हुए बच्चों के बारे में अलग-अलग विचार हैं। लोगों को पूरी जानकारी न होने के कारण वे छोड़े परेशान हो जाते हैं। गंडमूल नक्षत्रों में पैदा हुए बच्चों को जिस नक्षत्र मेंवे पैदा हुए होते हैं उसी नक्षत्र में उनकी पूजा की जाती है। कर्मकांड में पारंगत पंडित जी या निपुण ज्योतिषि इस काम को बहुत ही अच्छे ढंग से कर देते हैं। लोगों को इसके लिए ज्यादा परेशान होने की अावश्यकता नहीं है। भगृपंडित जी के पास 25 साल का अनुभव है अौर वह इस काम को अच्छे ढंग से करवा देते हैं। हम अापको मूल नक्षत्रों की पूरी जानकारी व पूजा का पूरा विधान यहा बता रहे हैं।  Gandmool dates 2021  september 2022 ki Date Neeche hai AAge
गंड मूल नक्षत्रों के लिए हर कोई जानना चाहता है। इन नक्षत्रों में पैदा हुए 2500 जातकों के जीवन को जांचा गया। प्राचीन काल में ऋषि मुनियों ने यह कार्य किया था। वर्तमान में ऐसा इसलिए किया गया कि जाना जा सके कि इनके प्रभावों का क्या परिणाम है। जांच में सभी बातें सटीक व सी पाई गईं।
What are Gandmool Nakshatra?- ज्येष्ठा आश्लेषा और रेवती,मूल मघा और अश्विनी यह नक्षत्र मूल नक्षत्र कहलाये जाते हैं,इन नक्षत्रों के अन्दर पैदा होने वाला जातक किसी न किसी प्रकार से पीडि़त होता है,ज्येष्ठा नक्षत्र में पैदा होने वाले के अगर इन नक्षत्र को शांत नहीं करवाया गया तो यह जातक को तुरंत सात महीने के अन्दर से दुष्प्रभाव देना चालू कर देता है। अगर किसी प्रकार से जातक खुद बड़ा है,तो माता पिता को अलग कर देता है,और खुद छोटा है,तो अपने से बड़े को दूर कर देता है या अन्त कर देता है। यही बात अश्लेशा नक्षत्र के बारे में कही जाती है कि अगर पहले पद मे जन्म हुआ है तो माता को त्याग देता है, दूसरे पाये में पिता को त्याग देता है, तीसरे पाये में अपने बड़े भाई या बहन को और चौथे पाये में अपने को ही सात दिन, सात महीने, सात वर्ष के अन्दर सभी प्रभावों को दिखा देता है।
अभुक्त मूल विचार Moola Gandmool
ज्येष्ठा नक्षत्र की अन्त की दो घड़ी तथा मूल नक्षत्र की आदि की दो घड़ी अभुक्त मूल कहलाती है,लेकिन यह बातें तब मानी जाती थीं,जब जातक के माता पिता पहले से ही धर्म कार्यों के अन्दर खुद को लगा कर रखते थे, मगर आज के जमाने में सभी भौतिक कारणों से और कुछ कारण दोनों नक्षत्रों की चारों ही घड़ी अभुक्त मूल कहलाने लगी हैं, इन दो नक्षत्रों में पैदा होने वाला जातक अपने मामा या पिता परिवार को बर्बाद कर देता है, अथवा खुद ही बर्बाद हो जाता है। कर्क लगन मे और कर्क राशि के अन्दर पैदा हुआ जातक अश्लेषा का जातक कहा जाता है,यह पिता के लिये भारी कहा जाता है, माता को परदेश वास देता है तथा धन के लिये माता को सभी सुख देता है और पिता को मरण देता है। nakshtra ke charan
जानिए कैसे बनता है गंडमूल नक्षत्र ? KAise banta hai Gandmool Nakshtra?
राशि और नक्षत्र के एक ही जगह पर उदय और मिलन के आधार पर गण्डमूल नक्षत्रों का निर्माण होता है। इसके बनने में  छह 6 परिस्तथितियां बनती हैं। इसमें से 3 नक्षत्र गण्ड के होते हैं और तीन मूल होते हैं। इन्हीं को गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है। 
कर्क राशि तथा आश्लेषा नक्षत्र  की समाप्ति साथ-साथ होती है वही सिंह राशि का समापन और मघा राशि का उदय एक साथ होता है। इसी कारण इसे अश्लेषा गण्ड संज्ञक और मघा मूल संज्ञक नक्षत्र कहा जाता हैं।
वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र की समाप्ति एक साथ होती हैं तथा धनु राशि और मूल नक्षत्र  का आरम्भ भी यहीं से होता है। इस स्थिति को ज्येष्ठा गण्ड और ‘मूल’ मूल नक्षत्र कहा जाता हैं।
मीन राशि और रेवती नक्षत्र एक साथ समाप्त होते हैं तथा मेष राशि व अश्विनि नक्षत्र की शुरुआत  एक साथ होती है। इस स्थिति को रेवती गण्ड और अश्विनि मूल नक्षत्र कहा जाता हैं।
उपरोक्त 3 गण्ड नक्षत्र अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती का स्वामी ग्रह बुध और तीन नक्षत्र  मघा, मूल तथा अश्विनि का स्वामी केतु  है। जातक के जन्म  दिन से सत्ताइसवें दिन जन्म नक्षत्र  की पुनः आवृति होती है तब मूल और गण्ड नक्षत्रों के शुभ फल की प्राप्ति के लिए गण्ड-मूल उपाय कराया जाता है।

 मुहूर्तचिंतामणि के अनुसार —

स्वर्गेशुचि प्रौष्ठपदेशमाघे भूमौ नभः कार्तिकचैत्रपौषे।
मूलं हि अधस्तास्तु तपस्यमार्गवैशाख शुक्रेष्वशुभं च तत्र।।

अर्थात आषाढ़, भाद्रपद आश्विन व माघ में गण्ड  का वास स्वर्ग में श्रवण कार्तिक चैत्र व पौष मास में गण्डवास मृत्युलोक अथवा पृथ्वी पर तथा ज्येष्ठ वैशाख मार्गशीर्ष व फाल्गुन  मास में पाताल अर्थात नरक में गण्ड का वास होता है।  जन्म काल में  मूल का जिस लोक में वास होता है उसी लोक का अनिष्ट करता है अतः मृत्यलोक अर्थात धरातल पर  वास होने की स्थिति में ही अनिष्ट है।

 Effects of Gandmool Nakshatra- 

मूलामघाश्विचरणे प्रथमे पितुश्च पौष्णेन्द्रयोश्च फणिनस्तु चतुर्थपादे।
मातुः पितुः सववपुषो स्ववपुष: अपि करोति नाशं जातो यथा निशि दिनेप्यथ सन्धयोश्च।।

मूला मघा और अश्विनी के प्रथम चरण का जातक पिता के लिए, रेवती के चौथे चरण और रात्रि का जातक माता के लिए, ज्येष्ठ के चतुर्थ चरण और दिन का जातक पिता तथा आश्लेषा के चौथे चरण संधिकाल ( दिन से रात,व रात से दिन की संधि) में जन्म हो तो स्वयं के लिए जातक अरिष्ट कारक होता है।

गण्डमूल अश्विनी नक्षत्र का प्रभाव 
मेष राशि में अश्विनी नक्षत्र शून्य अंश से प्रारम्भ होकर 13:20 अंश  तक तक रहता है जन्म के समय यदि चंद्रमा 2 : 30 अंशों के मध्य अर्थात प्रथम चरण में स्थित हो तो गण्डमूल नक्षत्र में जन्म माना जाता है। अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म होने पर जातक को अपने जीवन काल में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने पर बच्चा पिता के लिए कष्टकारी होता है परन्तु हमेशा नहीं।

प्रथम चरण – पिता को शारीरिक कष्ट एवं  हानि।

दूसरे चरण —फिजूलखर्ची परिवार में सुख शांति ।

तीसरे चरण —  भ्रमण करने वाला, अपने शरीर के लिए कष्टकारी लेकिन सरकार से लाभ  तथा मंत्री पद का लाभ ।

चतुर्थ चरण —अपने लिए ठीक नहीं, परिवार एवं जातक को राज सम्मान तथा ख्याति ।

ण्डमूल मघा नक्षत्र का प्रभाव
सिंह राशि के आरम्भ के साथ ही मघा नक्षत्र शुरु होता है। परन्तु सिंह राशि में जब चंद्रमा शून्य से लेकर दो अंश और बीस मिनट अर्थात प्रथम चरण में रहता है तब ही गंडमूल नक्षत्र माना गया है।

प्रथम चरण  — माता पिता को कष्ट होता है या मातृ पक्ष को हानि

दूसरे चरण –   अपने  पिता को कोई कष्ट या हानि  होता है।

तीसरे चरण –  तीसरे चरण में जन्म हो तो जातक सुखी जीवन व्यतीत करता है।

चौथे चरण –    जातक को धन विद्या का लाभ, कार्य क्षेत्र में स्थायित्व प्राप्त होता है। ऊंचे पद को प्राप्त करता है।

गण्डमूल मूल नक्षत्र का प्रभाव

केतु के नक्षत्र  और गुरु की राशि धनु में पैदा हुआ जातक धार्मिक रुचि, उदार दिल वाला मिलनसार, परोपकारी, धन वाहनादि सुखों वाला होता है। वाला जब चंद्रमा धनु राशि में शून्य से तेरह अंश और बीस मिनट के मध्य स्थित होता है तब यह मूल नक्षत्र में आता है परन्तु जव चन्द्रमा शून्य अंश से तीस मिनट अर्थात प्रथम चरण में हो तो गण्ड मूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

मूल प्रथम चरण – मूल के प्रथम चरण में पैदा हुआ जातक  पिता के जीवन के लिए घातक।

मूल दूसरे चरण –  मूल के दूसरे चरण में पैदा हुआ जातक माता के लिए अशुभ, को कष्ट।

तीसरे चरण – -धन, प्रापर्टी, पारिवारिक यश का  नाश करने वाला होता है। इसके निर्णय बहुत ही घातक व आपराधिक हो सकते हैं।

चतुर्थ चरण – जातक सुखी तथा समृद्ध जीवन व्यतीत करता है।
इस नक्षत्र की विधीपूर्वक शांति करवा लेने से अनिष्ट का कोई भय नहीं रहता। 

जातक के जीवन पर गण्डमूल आश्लेषा नक्षत्र का प्रभाव

कर्क राशि व बुध के जातक चंचल चतुर, बुद्दिमान तथा हर समय पर बदल जाने वाले स्वभाव के होते हैं। इनका स्वभाव बदलता रहता है। जब चंद्रमा जन्म के समय कर्क राशि में 16 अंश और 40 मिनट से 30 अंश के मध्य स्थित होता है तब आश्लेषा नक्षत्र कहलाता है। परन्तु जब चन्द्रमा  छब्बीस अंश से चालीस मिनट अर्थात चतुर्थ चरण में हो तो गण्डमूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

आश्लेषा नक्षत्र प्रथम चरण —आश्लेषा नक्षत्र का पहला चरण हो तो कोई दोष नहीं लगता, शांति और सुख मिलेगा।

आश्लेषा नक्षत्र दूसरे चरण –  पैतृक धन की हानि धन नाश,बहन-भाइयों को कष्ट।

आश्लेषा नक्षत्र तृतीय चरण — आश्लेषा नक्षत्र तृतीय चरण में पैदा हुआ जातक माता के लिए कष्टकारी होता है।

आश्लेषा नक्षत्र चतुर्थ चरण —  आश्लेषा नक्षत्र तृतीय चरण में पैदा होने वाला जातक पिता माता दोनों के लिए कष्टकारी होता है, आर्थिक हानि।

गण्डमूल ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रभाव
मंगल की राशि वृश्चिक एवम बुध के नक्षत्र में पैदा हुआ जातक सरल स्वभाव वाला, तेज दिमाग वाला, धर्म का पालन करने वाला होता है। जीवन में प्रगति तो करता है लेकिन बहुत ही संर्घष व बाधाएं उसके जीवन में आती हैं। जब चंद्रमा जन्म के समय  वृश्चिक राशि में 16 अंश और 40 मिनट से 30 अंश के मध्य स्थित होता है तब ज्येष्ठा नक्षत्र कहलाता है। परन्तु जव चन्द्रमा  छब्बीस अंश और चालीस मिनट अर्थात चतुर्थ चरण में हो तो गण्डमूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रथम चरण – ज्येष्ठा नक्षत्र का जातक बड़े भाई-बहनों के लिए कष्टकारी होता है।

ज्येष्ठा नक्षत्र का दूसरा चरण  –  ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण में पैदा हुआ जातक छोटे भाई – बहनों के लिए अशुभ होता है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र का तीसरा चरण –  जातक माता को कष्ट पहुंचाता है।

ज्येष्ठा नक्षत्र का चतुर्थ चरण –यह जातक अपने लिए कष्टकारी होता है।  स्वयं का नाश करने वाला ।

गण्डमूल रेवती नक्षत्र का प्रभाव
बुध के नक्षत्र और गुरु की राशि मीन में पैदा हुआ जातक सर्वप्रिय, विद्यावान, गुणी, चतुर, सुंदर, तर्कशील व धनवान होता है।  मीन राशि में 16 अंश 40 मिनट से 30 अंश तक रेवती नक्षत्र होता है। जिस समय चंद्रमा मीन राशि में 26 अंश और 30  मिनट के मध्य रहता है तो गंडमूल नक्षत्र वाला जातक कहलाता है।

रेवती नक्षत्र का प्रथम चरण  – राजा के समान, सौभाग्यशाली, जीवन सुख और आराम में व्यतीत होगा।

रेवती नक्षत्र का दूसरा चरण – मंत्री के समान आदर व धनवान, मेहनत एवं  बुद्धि से नौकरी में उच्च पद  प्राप्त, भाग्यशाली।

रेवती नक्षत्र का तीसरा चरण – अच्छा पैसा कमाने वाला,  धन-संपत्ति का सुख के साथ धन हानि  भी।

रेवती नक्षत्र का चतुर्थ चरण -रेवती नक्षत्र के  चर्तुथ चरण में पैदा होने वाला जातक स्वयं के लिए कष्टकारी  होता है।

गंडमूल नक्षत्र  2019
प्रारम्भ काल                                                        समाप्ति काल

3 जनवरी  ज्येष्ठा 11.03                            5 जनवरी मूला 15.08 तक
13 जनवरी रेवती   11.06                          15 जनवरी अश्विनी  13.56
21 जनवरी आष्लेषा 26.27                        23 जनवरी मघा 20.47
30 जनवरी ज्येष्ठा 16.40                       1 फरवरी मूला 21.07
9 फरवरी रेवती 17.30                          11फरवरी अश्विनी 21.13
18 फरवरी आष्लेषा 14.02                    20 फरवरी मघा 8.00
26 फरवरी  ज्येष्ठा 23.04                    28 फरवरी मूला 10.10
5 अप्रैल रेवती 5.36 बजे                      7 अप्रैल अश्विनी  8.44
14 अप्रैल आष्लेषा 7.40                      16 अप्रैल मघा 4.01
22 अप्रैल ज्येष्ठा 16.45                    24 अप्रैल मूल  18.35  
14 April Ashlesha From 07:40 16 April Magha Till 04:01
22 April Jyeshtha From 16:45 24 April Mool Till 18:35
2 May Revati From 13:02 04 May Ashwini Till 15:47
11 May Ashlesha From 13:13 13 May Magha Till 10:27
19 May Jyeshtha From 26:07 21 May Mool Till 27:31
29 May Revati From 21:18 31 May Ashwini Till  24:12
7 June Ashlesha From 18:56 9 June Magha Till 15:59
16 June Jyeshtha From 10:07 18 June Mool Till 11:50
26 June Revati From 05:38 28 June Ashwini Till  09:12
4 July Ashlesha From 26:30 6 July Magha Till 22:10
13 July Jyeshtha From 16:27 15 July Mool Till 18:52
23 July Revati From 13:14 25 July Ashwini Till 17:39
1 August Ashlesha From 12:12 3 August Magha Till 06:44
9 August Jyeshtha From 21:58 11 August Mool Till 24:45
19 August Revati From 19:48 21 August Ashwini Till 24:47
28 August Ashlesha From 22:55 30 August Magha Till 17:11
6 September Jyeshtha From 04:09 8 September Mool Till 06:29
15 September Revati From 25:45 18 September Ashwini Till 06:44
25 September Ashlesha From 08:53 27 September Magha Till 04:01
3 October Jyeshtha From 12:10 5 October Mool Till 13:19
13 October Revati From 07:53 15 October Ashwini Till 12:30
22 October Ashlesha From 16:39 24 October Magha Till 13:18
30 October Jyeshtha From 21:59 1 November Mool Till 21:52
9 November Revati From 14:56 11 November Ashwini Till 19:17
18 November Ashlesha From 22:21 20 November Magha Till 20:05
27 November Jyeshtha From 08:12 29 November Mool Till 07:34
6 December Revati From 22:57 9 December Ashwini Till 03:30
16 December Ashlesha From 04:01 17 December Magha Till 16:50

24 December Jyeshtha From 16:58 26 December Mool Till 16:50

Ganad Mool Dates in 2020 


3-Jan 7:20          5-Jan 12:27
12-Jan 11:49 14-Jan 7:55
20-Jan 23:30 22-Jan 24:20:00
30-Jan 15:12 1-Feb 20:53

February,2020


8-Feb 22:05 10-Feb 17:06
16-Feb 28:53:00 18-Feb 30:06:00
26-Feb 22:08 28-Feb 28:03:00

March,2020


7-Mar 9:05 8-Mar 28:10:00
15-Mar 11:23 17-Mar 11:46
24-Mar 28:19:00 27-Mar 10:09

April,2020


3-Apr 18:40 5-Apr 14:57
11-Apr 20:11 13-Apr 19:02
21-Apr 10:22 23-Apr 16:05
30-Apr 25:52:00 2-May 23:40

May,2020


9-May 6:33         10-May 28:13:00
18-May 16:58 20-May 22:37
28-May 7:27         30-May 6:03

June,2020


5-Jun 16:43 7-Jun 14:10
14-Jun 24:21:00 17-Jun 6:04
24-Jun 13:10 26-Jun 11:26

July,2020


2-Jul 25:13:00 4-Jul 23:22
12-Jul 8:18        14-Jul 14:06
21-Jul 20:30 23-Jul 17:44
30-Jul 7:40         1-Aug 6:48

August,2020


8-Aug 16:12 10-Aug 22:05
17-Aug 29:43:00 19-Aug 26:07:00
26-Aug 13:04 28-Aug 12:37

September,2020


4-Sep 23:28 6-Sep 29:23:00
14-Sep 15:52 16-Sep 12:20
22-Sep 19:18 24-Sep 18:09

October,2020


1-Oct 29:57:00 4-Oct 11:52
11-Oct 25:19:00 13-Oct 22:54
19-Oct 27:52:00 21-Oct 25:13:00
29-Oct 12:00 31-Oct 17:58

November,2020


8-Nov 8:45 10-Nov 7:56
16-Nov 14:36 18-Nov 10:40
25-Nov 18:20 27-Nov 24:22:00

December,2020


5-Dec 14:27 7-Dec 14:32
13-Dec 25:40:00 15-Dec 21:31
22-Dec 25:37:00 25-Dec 7:36

 Below are Moola Nakshatra dates in 2021


Mool Nakshatra Date and Time 2021 - North - East - South of India
This time is applicable in Delhi, Rajasthan, Uttar Pradesh, Bihar, Jharkhand, Madhya Pradesh, Haryana, Punjab, Himachal Pradesh, Uttarakhand, Chhattisgarh, Orissa, West Bengal, Kerala, Tamil Nadu, Telangana, Andhra Pradesh, Karnataka, Pondicherry, Jammu and Kashmir, Manipur, Tripura, Assam, Meghalaya, Arunachal Pradesh, Nagaland, Mizoram and Andaman and Nicobar.


January 12, 2021, Tuesday

Time is from 8:17 AM on January 11 to 7:08 AM on January 12, 2021

February 8, 2021, Monday

Time is from 4:16 PM on February 7 to 3:03 PM on February 8, 2021

March 7, 2021, Sunday

Time is from 12:18 AM on March 7 to 11:02 PM on March 7, 2021

April 4, 2021, Sunday

Time is from 8:23 AM on April 3 to 7:04 AM on April 4, 2021

May 1, 2021, Saturday

Time is from 4:33 PM on April 30 to 3:09 PM on May 1, 2021

May 28, 2021, Friday

Time is from 12:45 AM on May 28 to 11:20 PM on May 28, 2021

June 25, 2021, Friday

Time is from 9:04 AM on June 24 to 7:31 AM on June 25, 2021

July 22, 2021, Thursday

Time is from 5:14 PM on July 21 to 3:45 PM on July 22, 2021

August 18, 2021, Wednesday

Time is from 1:30 AM on August 18 to 11:57 PM on August 18, 2021

September 15, 2021, Wednesday

Time is from 9:40 AM on September 14 to 8:06 AM on September 15, 2021

October 12, 2021, Tuesday

Time is from 5:51 PM on October 11 to 4:15 PM on October 12, 2021

November 8, 2021, Monday

Time is from 2:01 AM on November 8 to 12:23 AM on November 9, 2021 

December 6, 2021, Monday

Time is 10:06 AM on December 5 to 8:27 AM on December 6, 2021

Mool Nakshatra Dates and Time in 2021: Western Parts of India

This time is applicable in Gujarat, Maharashtra, Dadar Nagar Haveli, Daman and Diu, Goa, northern parts of Karnataka (having a border with Maharashtra) and South Rajasthan having a border with Gujarat.

January 12, 2021, Tuesday

Time is from 9:10 AM on January 11 to 7:38 AM on January 12, 2021

February 8, 2021, Monday
Time is from 4:15 PM on February 7 to 3:21 PM on February 8, 2021

March 7, 2021, Sunday
Time is from 9:38 PM on March 6 to 8:59 PM on March 7, 2021

April 3, 2021, Saturday
Time is from 3:44 AM on April 3 to 2:39 AM on April 4, 2021

May 1, 2021, Saturday
Time is from 12:08 PM on April 30 to 10:16 AM on May 1, 2021

May 28, 2021, Friday
Time is from 10:29 PM on May 27 to 8:02 PM on May 28, 2021

June 25, 2021, Friday
Time is from 9:11 AM on June 24 to 6:40 AM on June 25, 2021

July 22, 2021, Thursday
Time is from 6:30 PM on July 21 to 4:25 PM on July 22, 2021

August 18, 2021, Wednesday
Time is from 1:36 AM on August 18 to 12:08 AM on August 19, 2021

September 14, 2021, Tuesday
Time is from 7:05 AM on September 14 to 5:55 AM on September 15, 2021

October 12, 2021, Tuesday
Time is from 12:56 PM on October 11 to 11:27 AM on October 12, 2021

November 8, 2021, Monday
Time is from 9:05 PM on November 7 to 6:49 PM on November 8, 2021

December 5, 2021, Sunday
Time is from 7:47 AM on December 5 to 4:54 AM on December 6, 2021

Gandmool Dates in September 2022

Ganda Mool begins
September 3, 2022, Saturday at 10:57 PM
Ganda Mool ends
September 5, 2022, Monday at 08:06 PM
Ganda Mool begins
September 12, 2022, Monday at 06:59 AM
Ganda Mool ends
September 14, 2022, Wednesday at 06:58 AM
Ganda Mool begins
September 21, 2022, Wednesday at 11:47 PM
Ganda Mool ends
September 24, 2022, Saturday at 03:51 AM

Gandmool Nakshatra Vichar in October 2022

Ganda Mool Begins : Saturday, 01 October 2022 at 04:19 am

Ganda Mool Ends : Monday, 03 October 2022 at 01:53 am

Ganda Mool Begins : Sunday, 09 October 2022 at 04:21 pm
Ganda Mool Ends : Tuesday, 11 October 2022 at 04:17 pm

Ganda Mool Begins : Wednesday, 19 October 2022 at 08:02 am
Ganda Mool Ends : Friday, 21 October 2022 at 12:28 pm

Ganda Mool Begins : Friday, 28 October 2022 at 10:42 am
Ganda Mool Ends : Sunday, 30 October 2022 at 07:26 am

Gandmool Nakshatra Vichar in November 2022

Ganda Mool Begins : Saturday, 05 November 2022 at 11:56 pm
Ganda Mool Ends : Tuesday, 08 November 2022 at 00:37 am

Ganda Mool Begins : Tuesday, 15 November 2022 at 04:13 pm
Ganda Mool Ends : Thursday, 17 November 2022 at 09:21 pm

Ganda Mool Begins : Thursday, 24 November 2022 at 07:37 pm
Ganda Mool Ends : Saturday, 26 November 2022 at 02:58 pm

Gandmool Nakshatra Vichar in December 2022

Ganda Mool Begins : Saturday, 03 December 2022 at 05:45 am
Ganda Mool Ends : Monday, 05 December 2022 at 07:15 am

Ganda Mool Begins : Monday, 12 December 2022 at 11:36 pm

Ganda Mool Ends : Thursday, 15 December 2022 at 05:16 am

Ganda Mool Begins : Thursday, 22 December 2022 at 06:33 am
Ganda Mool Ends : Saturday, 24 December 2022 at 01:13 am

Ganda Mool Begins : Friday, 30 December 2022 at 11:24 am
Ganda Mool Ends : Sunday, 01 January 2023 at 12:48 pm

Mool Dates- 2023


Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra January 2023

30 December

2023 Friday 11:24 AM 1 January

2023 Sunday 12:48 PM

9 January

2023 Monday 06:05 AM 11 January

2023 Wednesday 11:50 AM

18 January

2023 Wednesday 05:23 PM 20 January

2023 Friday 12:40 PM

26 January

2023 Thursday 06:57 PM 28 January

2023 Saturday 07:06 PM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra February 2023

5 February

2023 Sunday 12:13 PM 7 February

2023 Tuesday 05:45 PM

15 February

2023 Wednesday 02:02 AM 16 February

2023 Thursday 10:53 PM

23 February

2023 Thursday 04:50 AM 25 February

2023 Saturday 03:27 AM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra March 2023

4 March

2023 Saturday 06:41 PM 7 March

2023 Tuesday 12:05 AM

14 March

2023 Tuesday 08:13 AM 16 March

2023 Thursday 06:24 AM

22 March

2023 Wednesday 03:32 PM 24 March

2023 Friday 01:22 PM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra April 2023

1 April

2023 Saturday 01:57 AM 3 April

2023 Monday 07:24 AM

10 April

2023 Monday 01:39 PM 12 April

2023 Wednesday 11:59 AM

19 April

2023 Wednesday 01:01 AM 20 April

2023 Thursday 11:11 PM

28 April

2023 Friday 09:53 AM 30 April

2023 Sunday 03:30 PM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra May 2023

7 May

2023 Sunday 08:21 PM 9 May

2023 Tuesday 05:45 PM

16 May

2023 Tuesday 08:15 AM 18 May

2023 Thursday 07:22 AM

25 May

2023 Thursday 05:54 PM 27 May

2023 Saturday 11:43 PM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra June 2023

4 June

2023 Sunday 05:03 AM 6 June

2023 Tuesday 01:23 AM

12 June

2023 Monday 01:49 PM 14 June

2023 Wednesday 01:40 PM

22 June

2023 Thursday 01:21 AM 24 June

2023 Saturday 07:19 AM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra July 2023

1 July

2023 Saturday 03:04 PM 3 July

2023 Monday 11:02 AM

9 July

2023 Sunday 07:29 PM 11 July

2023 Tuesday 07:04 PM

19 July

2023 Wednesday 07:58 AM 21 July

2023 Friday 01:58 PM

29 July

2023 Saturday 12:55 AM 30 July

2023 Sunday 09:32 PM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra August 2023

6 August

2023 Sunday 02:54 AM 8 August

2023 Tuesday 01:16 AM

15 August

2023 Tuesday 01:59 PM 17 August

2023 Thursday 07:58 PM

25 August

2023 Friday 09:14 AM 27 August

2023 Sunday 07:16 AM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra September 2023

2 September

2023 Saturday 12:30 PM 4 September

2023 Monday 09:26 AM

11 September

2023 Monday 08:01 PM 14 September

2023 Thursday 02:01 AM

21 September

2023 Thursday 03:35 PM 23 September

2023 Saturday 02:56 PM

29 September

2023 Friday 11:18 PM 1 October

2023 Sunday 07:27 PM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra October 2023

29 September

2023 Friday 11:18 PM 1 October

2023 Sunday 07:27 PM

9 October

2023 Monday 02:45 AM 11 October

2023 Wednesday 08:45 AM

18 October

2023 Wednesday 09:01 PM 20 October

2023 Friday 08:41 PM

27 October

2023 Friday 09:25 AM 29 October

2023 Sunday 05:54 AM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra November 2023

5 November

2023 Sunday 10:29 AM 7 November

2023 Tuesday 04:24 PM

15 November

2023 Wednesday 03:24 AM 17 November

2023 Friday 02:17 AM

23 November

2023 Thursday 05:16 PM 25 November

2023 Saturday 02:56 PM

Start On Ends On

Date Day Time Date Day Time

Ganda Mool Nakshatra December 2023

2 December

2023 Saturday 06:54 PM 5 December

2023 Tuesday 12:35 AM

12 December

2023 Tuesday 11:57 AM 14 December

2023 Thursday 09:47 AM

20 December

2023 Wednesday 10:58 PM 22 December

2023 Friday 09:36 PM

30 December

2023 Saturday 03:10 AM   1 January

2023 Monday 08:36 AM


मूल शांति के उपाय
ज्येष्ठा मूल या अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक के लिये नीचे लिखे मंत्रों का जाप 28000 जाप करवाने चाहिये,और 28वें दिन जब वही नक्षत्र आये तो मूल शान्ति का प्रयोजन करना चाहिये,जिस मन्त्र का जाप किया जावे उसका दशांश हवन करवाना चाहिये,और 28 ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिये,बिना मूल शांति करवाये मूल नक्षत्रों का प्रभाव दूर नही होता है।

मंत्र
"ऊँ मातवे पुत्र पृथ्वी पुरीत्यमग्नि पूवेतो नावं मासवातां विश्वे र्देवेर ऋतुभि: सं विद्वान प्रजापति विश्वकर्मा विमन्चतु॥"

मूल नक्षत्र का बड़ा मंत्र यह है,इसके बाद छोटा मंत्र इस प्रकार से है-

"ऊँ एष ते निऋते। भागस्तं जुषुस्व।"


ज्येष्ठा नक्षत्र का मंत्र इस प्रकार से है-
"ऊँ सं इषहस्त-सनिषांगिर्भिर्क्वशीस सृष्टा सयुयऽइन्द्रोगणेन। सं सृष्टजित्सोमया शुद्धर्युध धन्वाप्रतिहिताभिरस्ता।"

आश्लेषा मंत्र
"ऊँ नमोऽर्स्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु। ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नम:॥"

मूल शांति की सामग्री
घड़ा एक,करवा एक,सरवा एक,  पांच प्रकार के रंग, नारियल एक, 50 सुपारी, दूब, कुशा, बतासे, इन्द्र जौ, भोजपत्र, धूप, कपूर आटा चावल 2 गमछे, दो गज लाल कपड़े चंदोवे के लिये, मेवा 50 ग्राम, पेड़ा 50 ग्राम, बूरा 50 ग्राम, केला चार, माला दो, 27 पेड़ों की लकड़, 27 वृक्षों के अलग-अलग पत्ते, 27 कुंओं का पानी, गंगाजल, यमुना जल, हरनन्द का जल, समुद्र का जल अथवा समुद्र फेन, आम के पत्ते, पांच रत्न, पंच गव्य वन्दनवार, हल, 2 बांस की टोकरी, 101 छेद वाला कच्चा घड़ा, 1 घंटी 2 टोकरी छायादान के लिये, 1 मूल की मूर्ति स्वनिर्मित, बैल गाय 27 सेर सतनजा, 7 प्रकार की मिट्टी,  हाथी के नीचे की घोड़े के नीचे की गाय के नीचे की तालाब की सांप की बांबी की नदी की और राजद्वार की वेदी के लिये पीली मिट्टी।  

Read in More Details - Click this link-        Nakshatron ke charan

हवन सामग्री
चावल एक भाग,घी दो भाग बूरा दो भाग, जौ तीन भाग, तिल चार भाग,इसके अतिरिक्त मेवा अष्टगंध इन्द्र जौ,भोजपत्र मधु कपूर आदि। एक लाख मंत्र के एक सेर हवन सामग्री की जरूरत होती है,यदि कम मात्रा में जपना हो तो कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिये।

for more information and puja callor whatsapp +91 98726 65620
E-Mail us: info@bhrigupandit.com
Website: http://www.bhrigupandit.com

Twitter: https://twitter.com/bhrigupandit588

TAGS- नक्षत्र के चरण, nakshatra charan, नक्षत्र चरण,nakshatra ke charan, नक्षत्र चरणाक्षर, नक्षत्र चरण अक्षर, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अक्षर, अश्विनी नक्षत्र चतुर्थ चरण, nakshatra charan in hindi, हस्त नक्षत्र चतुर्थ चरण, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र चरण, रेवती नक्षत्र तृतीय चरण, चित्रा नक्षत्र तृतीय चरण
अश्विनी नक्षत्र के चरण, nakshatra in hindi, नक्षत्र, नक्षत्र चरण स्वामी, charan nakshatra, nakshatra akshar, आश्लेषा नक्षत्र 4 चरण, nakshatra charan akshar, mool nakshatra charan in hindi, नछत्र चरण, नक्षत्र अक्षर, शतभिषा नक्षत्र के चरण अक्षर, marjar yoni, नक्षत्रों के नाम, मूल नक्षत्र के चरण, nakshatra jyotish, अश्विनी नक्षत्र के अक्षर, नक्षत्रों के चरण, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के अक्षर, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र तृतीय चरण, नक्षत्र ज्योतिष, uttarashada nakshatra in hindi, नक्षत्र फलादेश, 27 nakshatra in hindi, नक्षत्र के अनुसार नाम का पहला अक्षर, नक्षत्र ज्योतिष के पी, मूल नक्षत्र के चारों चरण, नक्षत्र के अनुसार नाम, dhanishta, nakshatra in hindi, नक्षत्र और उनके चरण, मृगशिरा नक्षत्र तृतीय चरण, ज्येष्ठा नक्षत्र नाम अक्षर, अश्विनी नक्षत्र तृतीय चरण, चू चे चो ला अश्विनी, पुनर्वसु नक्षत्र ke akshar, अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण, कृतिका नक्षत्र के अक्षर, श्रवण नक्षत्र नाम अक्षर, हस्त नक्षत्र तृतीय चरण, अश्विनी नक्षत्र के नाम, आद्रा नक्षत्र चतुर्थ चरण, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र प्रथम चरण, उत्तराभाद्रपद प्रथम चरण, विशाखा नक्षत्र चतुर्थ चरण, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र चरण, मृगशिरा नक्षत्र प्रथम चरण, रेवती नक्षत्र चतुर्थ चरण, शतभिषा नक्षत्र 4 चरण, मार्जार योनि, अनुराधा नक्षत्र चतुर्थ चरण, मूल नक्षत्र चतुर्थ चरण, विशाखा नक्षत्र चरण, धनिष्ठा नक्षत्र 4 चरण, purvashada nakshatra in hindi, nakshatra ke naam, नक्षत्र लिस्ट, nakul yoni, ashwini nakshatra in hindi, purvashada nakshatra hindi, नक्षत्र के नाम, अश्विनी नक्षत्र, manushya gan and rakshas gan marriage in hindi

Comments

astrologer bhrigu pandit

नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मूहूर्त

बच्चे के दांत निकलने का फल | bache ke dant niklne kaa phal