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शंकराचार्य ने किस तरह सनातन धर्म को बचाया?

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शंकराचार्य ने किस तरह सनातन धर्म को बचाया? शंकरार्चाय का जन्म उस समय हुआ जब चर्वाक, बौध धर्म अपने पूरे उत्थान पर था। हर तरफ बौध धर्म का प्रचार हो रहा था और उसे बौध राजाओं का संरक्षण प्राप्त था। गुरुकुल खत्म होते जा रहे थे। वैदिक सनातनी परम्परा भी लुप्त हो रही थी। इस समय दौरान एक बच्चे ने मन में ठाना कि वह अपने धर्म की रक्षा करूंगा व सारे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोऊंगा। शंकराचार्य के सामने विकल्प थे कि वे या तो चवार्कों जो उस समय के वामपंथी थे जो वैदिक सनातन परम्परा के घोर विरोधी थे और इसके हर पक्ष को रिजैक्ट करते थे, के साथ मोर्चे में डट जाते या फिर बौधों के समक्ष मोर्चा लगाते।  बौधों की संख्या बहुत थी और वे शक्तिशाली भी थे। शंकरा को पता था कि यदि वह अगल-अलग मोर्चों पर लड़ेंगे तो शायद उनकी जीत न हो पाए। उच्च वर्ग के लोग बौध धर्म अपना चुके थे।  एक अकेले बालक को पहाड़ से लड़ना था। उसने पैदल अपनी यात्राएं शुरु कीं और गांव-गांव सनातन वैदिक धर्म की पताका थाम कर प्रचार करने लगे।  अपने पक्ष को निडरता से सामने रखते और विरोधियों का पूर्वपक्ष जानकर उन्हें हरा देते। उन्होंने समस्त सनातन पद्तियो

क्या करोना जैसा वायरस देसी दवाइयों से ठीक हो सकता है ?

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  क्या करोना जैसा वायरस देसी दवाइयों से ठीक हो सकता है? नहीं,करोना जैसा वायरस देसी दवाइयों से ठीक नहीं हो सकता। यदि कोई दावा करता है कि करोना देसी दवाइयों से ठीक हो जाता है तो वह केवल झूठ ही बोल रहा है। यदि कोई कहे कि कुत्ते के काटने से रैबीज वायरस को देसी दवाइयों से ठीक किया जा सकता है तो यह सरासर गलत होगा। डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, टी.बी. जैसे रोग देसी दवाइयों से ठीक नहीं हो सकते क्योंकि इनके लिए एंटीबायोटिक दवाइयां ही आखिरी उपाय है। करोना का भी इलाज एंटीबाइयोटिक दवाई ही है जो इस वायरस को खत्म कर सकती है।  हां, होम्यिोपैथी व आयुर्वैदिक दवाइयों का प्रयोग शरीर मे ताकत व विषाणु प्रतिरोधक शक्ति पैदा करने के लिए किया जा सकता है ताकि रोग के आक्रमण को निरस्त किया जा सके। दावे करने वाले दावे करते रहते हैं लेकिन जीव व विषाणु वैज्ञानिक इसका हल निकालने में लगे हुए हैं।  वैक्सीन तैयार कर लिया है, जल्द ही सभी देशों को यह वैक्सीन उपलब्ध होगा और करोना का हल निकाल लिया जाएगा।   भारत ने वैक्सीन बना लिए हैं और ये लोगों को अब उपलब्ध हैं। अमेरिका, चीन व रूस ने भी अपनी वैक्सीन बना लिए हैं।  करोना की दवाई
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ईश्वर को मानव ने कैसे चालाकियों से प्रयोग किया

 ईश्वर को मानव ने कैसे चालाकियों से प्रयोग किया ईश्वर के बारे में कई नजरिए हो सकते हैं। भारतीय धार्मिक परम्पराओं में ईश्वर है और ईश्वर नहीं है। ये दो विचार प्राचीन काल से चलते आ रहे हैं। इसके साथ-साथ यह भी चल रहा था कि हमारा ईश्वर व उनका ईश्वर, इस कथन में कोई विरोधाभास नहीं। हमारी पूजा पद्धति व उनकी पूजा पद्धति इसमें भी कोई विराधाभास नहीं। मेरा ईश्वर व तुम्हारा ईश्वर इसमें भी कोई विरोधाभास नहीं। हर कोई अपने-अपने ईश्वर की अराधना अपने तरीके से करता आ रहा है।  इसी दौरान एब्राहमिक रीलीजन भी दूर अरब देशों में पैदा हो रहे थे। पहले यहूदी रिलीजन में गॉड आया और वह किसी स्थान से अपने अनुयायीयों को आदेश देता है कि जो भी जैनटाईल हैं उनसबका कत्ल कर दो क्योंकि ये लोग उसे नहीं मानते किसी अन्य देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। सारे जेनटाइट बच्चे, बूढ़े,महिलाएं, जवान आदि इस सनक के कारण नरसंहार की भेंट चढ़ गए। ईश्वर एक है और वह है यहूदियों का। इसके इलावा कोई ईश्वर नहीं क्योंकि पवित्र ग्रंथ टोरा में ऐसा लिखा है। इसके बाद ईसाईयों में एक और व्याख्या सामने आई और वह थी कि ईश्वर एक ही है और दूसरे भगवानों की पूजा

माइंडसैट क्या है और कैसे तैयार किया जाता है?

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  माइंडसैट क्या है और  कैसे तैयार किया जाता है इंसान अपनी विचारधारा, संस्कृति, पहरावा, भाषा, क्षेत्र आदि से किसी भी समय शिफ्ट हो सकता है और किसी दूसरी संस्कृति की तरफ जा सकता है। उसे ऐसा करवाने के लिए कुछ टूल्स की आवश्यकता पड़ती है। पहले तो उसके दिमाग में बार बार भरा जाता है, फिर दिखाया जाता है और इसके बाद जब उसका शरीर पढ़ाए गए के अनुसार रिएक्ट करने लगता है तो उसे तुरंत शिफ्ट करवा दिया जाता है। इसमें हिंसा, हीनता, घृणा, लालच से भी काम लिया जाता है। आतंकी एक हिंसा वाली प्रवृति की तरफ अग्रसर हैं क्योंकि उनका माइंसैट ही वैसा बनाया गया है।  जैस एक टाइपिस्ट की उंगलियां बिना देखे अपने आप दिमाग को पढ़ कर रिएक्ट करती हैं वैसे ही एजैंडे के तरह माइंड सैट तैयार किए जाते हैं। एक मुसलमान को गाय खाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन जैसे ही उसे सू्अर का गोश्त खाने का कहा जाता है तो वह हिंसक प्रतिक्रया करता है। किसी भी काम को बार-बार करते रहने से भी माइंड सेट तैयार होता है। हिन्दुओं को बताया जाए कि गाय एक सूअर, भैंसे आदि के समान ही पशु है तो वे ऐसा कभी नहीं मानेंगे। धार्मिक ग्रंथों आदि के अपमान के आरोप