film-संजू बायोपिक की कहानी

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संजू अपने बारे में किताब लिखवाना चाहता है। वह शीशे के सामने खड़े  होकर कहता है कि मीडिया ने उसकी छवि को गलत ढंग से पेश किया। वह लोगों  को अपना पक्ष बताने के लिए एक किताब लिखना चाहता है।
इसके बाद वह एक लेखक से किताब लिखवाता है जिसमें संजू के बारे में लिखा होता है। वह लेखक की किताब
को पंसद नहीं करता और उसे कहता है कि उसकी आरती उतारे। इसके बाद वह लेखक को भगा देता है। उसकी पत्नी उसे राय देती है कि वह किसी अच्छे लेखक से अपनी आत्म कथा लिखवाए। संजू को वह बताती है कि एक लेखिका विन्नी (अनुष्का शर्मा) है वह उसे मनाए और कहे कि उसकी वह आत्मकथा लिखे। संजू की पत्नी नम्रता (दीया मिर्जा) बहुत ही समझदार है और वह अपने पति की छवि को फिर से निखारना चाहती है। वह चाहती है कि लोगों को संजू का पक्ष पता चले। संजू लेखिका विन्नी से मिलता है और उसे अपनी आत्मकथा लिखने के लिए मना लेता है। विन्नी को आत्मकथा लिखने से रोका जाता है और वह है संजू का दोस्त जो उसे नशा बेचता था।
संजू के पिता सुनील दत्त (परेश रावल) उसे फिल्म जगत में स्थापित करना चाहते हैं और उसके लिए फिल्म रॉकी बनाते हैं। संजू नशों का शिकार है और वह पिता के हर काम पर मिट्टी डाल देता है। माता नॢगस दत्त (मनीशा कोइराला) को कैंसर होता है और सुनील दत्त उसे उपचार के लिए अमेरिका ले जाते हैं। हवाई जहाज में नॢगस दत्त अपनी इच्छा जताती है कि वह मरने से पहले अपने बेटे की फिल्म देखना चाहती है। साथ में उसकी दोनों बेटियां भी हैं। संजू वहां भी नहीं सुधरता और अस्पताल में नशे से धुत्त रहता है। वहां अस्पताल में एक दोस्त बनता है जो इनके परिवार का साथ देता है। वह गणपति जी की मूर्ति उन्हें देता है। इस प्रकार कमलेश संजय को नशों से दूर रहने की नसीहत देता है। एक दिन संजू अस्पताल में नशा किए होता है और साथ ही बैड पर उसकी मां दम तोड़ देती है।
संजू मां की मौत के बाद टूट जाता है और भारत आकर और नशा करने  लगता है। इसी नशे के कारण उसकी प्रेमिका रुबी उसे छोड़ देती है।
पिता चाहता है कि उसका बेटा नशा छोड़े वह उसे अमेरिका लेकर जाता है और उसका उपचार करवाता है।
संजू वहां अस्पताल से भाग जाता है। इस प्रकार उसका पिता फिर उसे मना कर अस्पताल में भर्ती करवा देता है।
मां की याद में डूबा संजय नशों से बाहर आ जाता है। पिता उसे लेकर मुम्बई आते हैं और वहां संजू को उसका नशे बेचने वाला दोस्त मिलता है। संजू को पता चलता है कि वह दोस्त असल में उसे नशा देता था और आप उसके सामने गुलूकोस लगाकर एक्ंिटग करता था। संजू उसकी पिटाई करते उसे भगा देता है।
इसी दौरान मुम्बई में दंगे और फि र टाईगर मेनन व उसके साथियों की तरफ से मुम्बई में 12 बम विस्फोट करवा दिए जाते हैं । सैंकड़ों लोग मारे जाते हैं। इन बम बिस्फोटों व एके56 असाल्ट राइफल रखने के आरोप में संजू को कैद हो जाती है। पिता उसे बचाने के लिए हर तरफ जाता है लेकिन कोई लाभ नहीं होता। किसी अखबार में यह समाचार छपा होता है कि संजू के घर पर आरडीएक्स से भरा टरक खड़ा होता है। इस बात को सुनकर अमेरिका वाला दोस्त कमलेश उसका साथ छोड़ देता है। पिता सुनील दत्त की मौत हो जाती है। इसके बाद संजू को अपने आप को निर्दोश साबित करने की जंग शुरु हो जाती है। वह अपने माथे से आतंकवादी होने का कलंक धो डालता है और अंत में अदालत की तरफ से उसे बरी कर दिया जाता है। इस फिल्म में 300 से अधिक सोने का डॉयलाग बहूदा सा लगता है और जब संजू अपनी प्रेमिका के घर जाकर बेहूदा डॉयलाग मारता है वो अखरता है।
इस प्रकार संजू ने इस फिल्म में अपना पक्ष रखा है। फिल्म को दर्शकों ने  सराहा भी है। बाक्स अफिस पर फिल्म अच्छा कमा रही है।

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