कन्या राशि क्या होती है इसके जातक कैसे होते हैं

 कन्या राशि क्या होती है इसके जातक कैसे होते हैं
 कन्या राशि स्त्री तत्व राशि है।  पृथ्वी तत्व सौम्य स्वभाव तथा दक्षिण दिशा की मालिक है। यह  सरल भूमि में विचरण करने वाली है इसका स्वामी बुध है तथा यह अस्थिर स्वभाव की मालिक है।  कद लंबा परंतु कई जातक के छोटे कद भी देखे गए हैं। घने काले बाल छोटी छोटी आंखें और नजर तेज होती हैं। रंग साफ गेहुआं होता है, जल्दी-जल्दी चलते हैं ।इनका शरीर चिकना व कोमल होता है यह बड़े चुस्त होते हैं तथा सही आयु से ही इनकी आयु कम प्रतीत होती है। यह बहुत ही फुर्तीले व जवान होते हैं।
 यह न्यायप्रिय, दयालु तथा हर काम को बहुत ठंडे दिमाग से सोचते हैं। विचारशील बुद्धिमान नम्रता वाले होते हैं। उलझन व समस्याओं की गुत्थी सुलझाने का इनमें पूर्ण सामर्थ होता है। कई भाई-बहन होते हैं परंतु उनके साथ इनकी क्म ही बनती है। विचारों में असमानता के कारण तथा स्वभाव परिवर्तनशील होने के लिए परिजन कई बार नाराज हो जाते हैं। फिर भी यह चतुर होते हैं और मौका संभाल लेते हैं प्रेम संबंध में अड़चन आती है।       स्वभाव के कारण विवाह ठीक ही रहता है परंतु यह विवाह  काफी देर के बाद ही करवाते हैं। परिवार में झगड़े भी होते रहते हैं संतान सुख मिलता है। संतान से कष्ट भी खेलना पड़ता है। किसी बच्चे के ऊंची जगह से गिरने के कारण चोट लगने तथा बीमारी का भय भी लगा रहता है। पानी एवं गाड़ियों आदि से बच कर रहना चाहिए। पढ़ाई होती है ।
  अधिक पढ़े लिखे जातकों में विज्ञान के प्रति पूर्ण होती है। साधारण जातक व्यापार को बहुत पसंद करते हैं तथा अपनी बुद्धि से धन कमाते हैं । पहले जीवन में सफलता कम मिलती है परंतु आयु बढ़ने के साथ-साथ सफल होते जाते हैं। गणित में पूर्ण होते हैं कभी रचनाकार गणित में चतुर होते हैं। डाक्टर, ज्योतिषी, ऑडिटर, पत्रकार, अध्यापक, राजदूत, सहायक सेक्रेटरी, सहायक नर्स, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट अकाउंटेंट वकील हों तो सफल रहते हैं ।
कन्या राशि के जातकों का ध्यान धनोपार्जन की ओर बहुत होता है तथा धन एकत्र करने में लगे रहते हैं।  5, 9  12 14, 15, 18, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 27, 29, 30, 32, 38, 39, 43, 46,  48, 50, 53 ,56 ,59, 63, आदि  वर्ष बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ।यात्राएं बहुत होती हैं तथा जीवन में संघर्ष भी करना पड़ता है। विदेश यात्रा होती है।  इनको रोग का भय बना रहता है।  बदहजमी, पेट दर्द, पेट के ऊपरी भाग में दर्द, डकार, पेचिश, संग्रहणी, खांसी, बवासीर बादी के रोगों की संभावना रहती है।
यदि कहीं बुध छठे घर में हो जो कि इसका स्वाभाविक घर है  तो जातक की पत्नी बीमार रहती है तथा किस्मत खराब होती है। यदि केतु बैठ जाए तो जातक बड़ा मामा ही होता है। बुधवार का दिन 5 की संख्या शुभ है। संख्या 5 की बाकी संख्याओं के साथ अच्छी लगती है, परंतु संख्या 9 का विशेष प्रभाव दिखा जाए। सोने की अंगूठी में दाएं हाथ की कनिष्टका में धारण करना शुभ है।

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astrologer bhrigu pandit

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