शंकराचार्य ने किस तरह सनातन धर्म को बचाया?
शंकराचार्य ने किस तरह सनातन धर्म को बचाया? शंकरार्चाय का जन्म उस समय हुआ जब चर्वाक, बौध धर्म अपने पूरे उत्थान पर था। हर तरफ बौध धर्म का प्रचार हो रहा था और उसे बौध राजाओं का संरक्षण प्राप्त था। गुरुकुल खत्म होते जा रहे थे। वैदिक सनातनी परम्परा भी लुप्त हो रही थी। इस समय दौरान एक बच्चे ने मन में ठाना कि वह अपने धर्म की रक्षा करूंगा व सारे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोऊंगा। शंकराचार्य के सामने विकल्प थे कि वे या तो चवार्कों जो उस समय के वामपंथी थे जो वैदिक सनातन परम्परा के घोर विरोधी थे और इसके हर पक्ष को रिजैक्ट करते थे, के साथ मोर्चे में डट जाते या फिर बौधों के समक्ष मोर्चा लगाते। बौधों की संख्या बहुत थी और वे शक्तिशाली भी थे। शंकरा को पता था कि यदि वह अगल-अलग मोर्चों पर लड़ेंगे तो शायद उनकी जीत न हो पाए। उच्च वर्ग के लोग बौध धर्म अपना चुके थे। एक अकेले बालक को पहाड़ से लड़ना था। उसने पैदल अपनी यात्राएं शुरु कीं और गांव-गांव सनातन वैदिक धर्म की पताका थाम कर प्रचार करने लगे। अपने पक्ष को निडरता से सामने रखते और विरोधियों का पूर्वपक्ष जानकर उन्हें हरा देते। उन्होंने समस्त...