लिबरल सैकुलर हिन्दुओं का माइंड सैट
लिबरल सैकुलर हिन्दुओं का माइंड सैट
हमारे सैकुलर गुरु लिबरल सैकुलर हिन्दुओं का माइंडसैट अच्छी तरह से समझते हैं। ये वह वर्ग है जो कालेजों से प्रोफैशनल शिक्षा लेकर निकला है जैसे कि वकील, डाक्टर, व्यापारी आदि। इन लोगों के घरों में कोई सनातन धार्मिक ग्रंथ नहीं है और न ही इनके दादा-दादी या माता-पिता ने इनको कभी पौराणिक नायकों की कथाएं सुनाई हैं लेकिन ये परिवार धार्मिक हैं और ईश्वर में विश्वास रखते हैं। इनको संस्कृत नहीं आती लेकिन ये संस्कृत को प्रेम करते हैं। ये अंग्रेजी में प्रवीण लोग हैं।इन्होंने जो कुछ जाना टीवी या इंटरनेट से ही जाना है। ये वेदों का आदर करते हैं, गाय का सम्मान करते हैं, महादेव में विश्वास रखते हैं लेकिन इनके पास समय नहीं है कि ये किसी शास्त्र को श्रद्धा भाव से पढ़ें या उनका मनन करें। बस इस माइंड सैट को सैकुलर गुरुओं ने जाना और अपना काम शुरु किया। केवल 25 सालों में इतनी तेजी से प्रचार व प्रसार तंत्र का सहारा लेकर इन्होंने अपनी वाकपटुता से सबको अपने खेमे में कर लिया। इस प्रकार आज इनके दुनियाभर में करोड़ों भक्त हैं। यह अपनी बात इतनी चालाकी से कह जाते हैं कि कोई भी आसानी से पकड़ नहीं पाता। पूरी तरह से प्रशिक्षित, जानते हैं कि क्या कहना है और कहां बात खत्म करनी है।
हिन्दुओं का माइंसैट ऐसा है जैसे ही कोई गाय के खिलाफ, मूर्ति पूजा के खिलाफ, राम,कृष्ण, महादेव आदि के खिलाफ, वेदों, उपनिषदों, पुराणों के खिलाफ बोलता है तो हिन्दू सिरे से इसको नकार देते हैं। इनके खिलाफ जब एक बार भी बोला तो हिन्दू नजरअंदाज कर देंगे, ये बात ये गुरु अच्छी तरह से जानते हैं इसलिए वे इन सबके पक्ष में बोलते हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि थोड़े शब्दों में करोड़ों हिन्दुओं तक ऐसे आवाज पहुंचाई जाए वे आसानी से समझ जाएं।
बात यहीं खत्म नहीं होती, मृत शरीरों का व्यवसास अरबों रुपयों का है। वह अच्छी तरह से जानते हैं कि हिन्दू हरिद्वार या अपने ईष्टों के तीर्थ स्थलों में अंतिम संस्कार की क्रियाओं को करने के लिए जाते हैं। बस यहीं वह अपना सिक्का उछालते हैं और कहते हैं कि हम अपने लोगों को अंतिम संस्कार के लिए प्रशिक्षित करेंगे। इसके लिए उन्होंने अपना संस्कार केन्द्र बना लिया है और वहीं हिन्दुओं के अंतिम संस्कार होंगे।
यदि उनके करोड़ों भक्तों से हर साल 10 लाख लोग भी उनके केन्द्रों में अंतिम संस्कार करेंगे तो आय बढ़ेगी। यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें अधिकतर लिबरल सेकुलर संतों का अभी ध्यान नहीं गया है। खर्चा कुछ भी नहीं आमदनी ही आमदनी। वह फ्री का लालच भी देते हैं ,चालाकी से बताते हैं कि सनातन धर्म की दान देने की प्रक्रिया गलत है। इस तरह से वे अपना एजैंडा घुसेड़ते हैं। एक भरे हुए धार्मिक व्यवसाय को भेदने की तैयारी हो चुकी है। इनके करोड़ों भक्त अब इनके बनाए केन्द्रों में ही आएंगे। इनको देखते बाबाजी भी तैयारी कर रहे हैं, जल्दी ही उनके ई श्मशानघाट तैयार हो जाएंगे।
जहां वीआईपी भक्तों के लिए अलग पांच सितारा व्यवस्था होगी। अगले 25 सालों में जब आप कभी हरिद्वार जाएंगे तो पाएंगे कि वहां घाटों की निलामी हो चुकी है और इनके असली मालिक मलेच्छ हैं तो कोई हैरानी वाली बात न होगी। जब वहां पंडों, दुकानकारों की आमदनी नहीं होगी तो उनको वहां बैठकर क्या मिलेगा क्योंकि सारा माल तो ये लोग हड़प जाएंगे। इस प्रकार एक सनातनधर्म का स्तम्भ धवस्त हो जाएगा। माया में बहुत ही शक्ति है। एक बड़ा मॉल सैंकड़ों छोटे दुकानदारों को खत्म कर देता है और एक बड़ी मछली छोटी मछलियों को खा जाती है।
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