जाति व्यवस्था का सकारात्मक दृष्टिकोण क्या है ?

 जाति व्यवस्था का सकारात्मक दृष्टिकोण क्या है


यूरोप व पश्चिमी देशों में भाषा, क्षेत्र व रंगभेद को लेकर समाज सदा हिंसक रहा है। काले-गोरे, मालिक-गुलाम की दूरी व नफरत सदा हावी रही है। ये समाज बाहरी लोगों व गुलामों के प्रति काफी हिंसक रहे हैं। इनका समाज सदा काले-गोरे, मालिक-गुलाम, स्त्री-पुरुष, अमीर-गरीब में हिंसक तौर पर बंटा रहा है। जब रूस की क्रांति हुई तो समाज के एक वर्ग ने दूसरे वर्ग पर करोड़ों की संख्या में हमला करके सत्ता पर कब्जा कर दिया और जघन्य नरसंहार किया। ऐसा ही फ्रांस, जर्मनी आदि कई देशों में हुआ ये वास्तव में क्रांतियां नहीं थी। एक हिंसक समाज का दूसरे समाज का नरसंहार करके सत्ता पर कब्जा करना था। जब पश्चिमी देशों में ऐसा कुछ हो रहा था को भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ। समाज मूलत कर्म के आधारित चार वर्गों में बंटा था।


ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य व शूद्र जिन्हें अनतज्य भी कहा जाता है। ये चारों वर्ण समाज में काम करते हुए इसे उत्कृष्ट व समृद्ध बना रहे थे। भारत में पश्चिम की तरह काले-गोरे का कभी भेदभाव नहीं था। कभी भी उच्च वर्ग ने मिलकर निम्न वर्ग पर हमला किया और न ही कभी निम्न वर्ग ने उच्च वर्ग पर हमला करके उनका नरसंहार किया।  आज आप जाति व्यवस्था के बारे में इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो सारे लेख इसके खिलाफ ही मिलेंगे वैसे ही जैसे सारे लेख हलाल के पक्ष में मिलेंगे। झटका के बारे में आपको इक्का-दुक्का लेख ही मिलेंगे। सदियों के प्रयासों से एक जैनरेशन के गुण दूसरी जैनरेशन में स्वत आ जाते हैं। जैसे ब्राहम्णओं के सदियों से किए जा रहे अध्ययन व कंठस्थ करने से उनकी बुद्धि का विकास होता गया। क्षत्रियों के शारीरिक विकास आदि होता रहा। हर वर्ग की अपनी विशेषता आगे पीढ़ियों तक बढ़ती गई। 


एक पीढ़ी का हुनर दूसरी पीढ़ी के पास आसानी से पहुंच जाता क्योंकि जन्म से ही रोजगार का अवसर होने के कारण समाज में कोई भी बेरोजगार नहीं था। आज कोई भी सरकार उन्नत प्रगति की कितनी भी ढींगें मारें लेकिन जन्म से किसी को भी रोजगार देने की स्थिति में नहीं है। एक ऐसी व्यवस्था जिसमें हमलावरों के आने से पहले लोग दुनिया में सबसे अधिक समृद्ध माने जाते थे। विदेशी हमलावरों ने यहां आकर जो पहले काम किया इस व्यवस्था को दूषित करने का प्रयास किया। इसे असपृष्यता, अपराध से जोड़ा। इसके खिलाफ नीचता की हद कर कुप्रचार किया। हर वर्ण की विशेषताओं को उजागर करने के बजाए सिर्फ कथित नकारात्मता को फैलाया।


वर्तमान में पटेलों ने एकसाथ काम करके अमेरिका के होटल व्यवसाय में एक छत्र शासन कायम किया है, स्विटजरलैंड के हीरा व्वयसाय में मारवाड़ियों का कब्जा है, जातियों का समाज में एकजुटता से काम करके इसे समृद्ध बनाया जा रहा है। स्वर्णकार बिरादरी, राज मिस्त्री बिरादरी, कृषक बिरादरी आदि समूहों में काम करते हुए अपने क्षेत्र में बिना किसी बाहरी प्रशिक्षण के पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रवीण हो गईं। जाति व्यवस्था में एक दूसरे का सहयोग व समूह में काम करने  से प्रगति होती गई।  आज वर्तमान में एक वर्ग का दूसरे वर्ग के प्रति नफरत इतनी हो चुकी है कि स्थिति सिविल वार की हो सकती है।


कश्मीर में हिन्दुओं का उनके घर से पलायन व नरसंहार इसी नफरत के चलते ही किया गया। एक वर्ग को दूसरे वर्ग का नरसंहार करने के लिए एक नई व्यवस्था ने उकसाया है। वर्तमान में एक तथाकथित वंचित को मेहनत करने और योग्य होने को नहीं कहा जा रहा बल्कि उनको उकसाया जा रहा है कि अन्य वर्ग पर हिंसक हमला करों, उनका नरसंहार करो और उनके माल पर कब्जा कर लो। 


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