क्या नजरिया है ?

एक ही वस्तु को लेकर नजरिए अलग-अलग हैं। एक गाय को देखकर इसे एक पशु को तौर पर देखता है जिसे नकारा होने पर भैंस, बकरी, मुर्गी, सूअर की तरह काट कर खाया जा सकता है, एक पौराणिक जब गाय को देखता है तो वह उसे मां का दर्जा देता है और सोचता है कि कैसे इस जीव की मदद की जाए, इसे ठंड लगे तो कहीं से खाली बोरियों से उसे ढकने का प्रयास करता है, भूख लगे तो इसे चारा देने का प्रयास करता है, वह अन्य कई जीवों की तरफ भी इसी तरह का नजरिया रखता है, एक किसी गाय या बछड़े को देखता है तो वह लार लमकाने लगता है कि किसी तरह वह इसे चुरा ले और इसका गोश्त खाए या इसे बेचे, उसे कोई लेना-देना नहीं कि गाय दुधारू है, गर्भवति है कि नहीं।


जैसे ही किसी पेड़ को देखता है और उसे पता चलता है कि इस पेड़ का धार्मिक महत्व है तो वह इसे कटवाने का प्रयास करता है, पौराणिक व्यक्ति  पर्यावरण के बारे में जानता भी न हो लेकिन वह पीपल, बरगद, तुलसी, आम, केला आदि को देखता है तो उसको नमन करता है, दीया जलाता है,पानी देता है, काटने से परहेज करता है, अपने परिवार की सुख समृद्दि के लिए धागे बांधता है, चुनरी चढ़ाता है देव व देवी का दर्जा प्रदान करता है। एक कहीं भी देखता है तो उसकी जड़ पर लघुशंका करने की सोचता है, वह उसे काटने के लिए एक पल भी नहीं सोचता कि यह पाप है।


वामपंथी धार्मिक ग्रंथों को देखता है तो उसमें से जातिवाद, नारीविरोधी, समाज विरोधी, अपराध, यौन विकृति आदि निकाल कर जानबूझ कर उछालता है और इनका मजाक उड़ाता है, वहीं पौराणिक अपने सभी मान्य धार्मिक ग्रंथों का आदर करता है, उनकी पूजा करता है, अपने संकल्प में उनका नाम लेता है, इनके नायकों को भगवान मानता है।


एक भारत में पैदा होने के बावजूद इन ग्रंथों को जलाता है, फाड़ता है और इनके नायको पर अभद्र टिप्पणियां करता है, इनके पूजा स्थलों का अपमान करता है क्योंकि उसकी निष्टा केवल अरबी संस्कृति पर होती है। हमारे कालेजों में से जो बच्चे निकलते हैं वामपंथी नजरिए के निकलते हैं। हम चाहे उन्हें घर पर कितनी भी धार्मिक शिक्षा देते रहे वे वैसे ही सोचेंगे जैसे उनका माइंसैट पहले स्कूलों व फिर कालेजों से बनाया गया है।


वे हमारा मन रखने के लिए हमारे साथ पूजा में भी बैठेंगे लेकिन उनकी उसमें कोई रुचि नहीं होगी। यह वैसा ही है जैसे मदरसे से पढ़ा बच्चा डाक्टर या इंजीनियर तो बन सकता है लेकिन जो उसके दीमाग में बचपन से डाला गया है वह निकालना बहुत ही मुश्किल होता है।


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