Amar singh horoscope- क्या कहते हैं अमर सिंह के सितारे


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नाम - श्री अमर  सिंह
Date of Birth: Friday, January 27, 1956
Time of Birth: 12:00:00
Place of Birth: Azamgarh
यूपी के राजनीतिक गलियारों से एक शख्श अमर सिंह उठा और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक समय था कि अमर सिंह हर हाई प्रोफाइल व्यक्ति के साथ दिखाई देते थे। अमिताभ बच्चन हो या बालीवुड का कोई चमकता सितारा अमक सिंह के साथ खड़े होने में अपनी शान समझता था। एक दमदार व्यक्ति जो इस खेल को समझ न सका और इसमें काफी पीछे छोड़ दिया गया। हां बात कर रहे हैं अमर सिंह की।  अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़  में हुआ। 
अमर सिंह की नाम राशि मेष  है। लगन राशि कर्क स्वामी चंद्रमा है। जन्म नक्षत्र पुनर्वसु-4 जिसका स्वामी गुरु है।  लगन कुंडली में मंगल शनि राहु दूसरे सूर्य बुध चतुर्थ भाव में बैठे हैं। चंद्र कुंडली में लगन में कर्क राशि है। अमर सिंह का व्यक्तित्व आकर्षक, गठीला शरीर व तेज दिमाग वाला है। जातक रिश्ते बनाने में बहुत ही भावुक होते हैं। रिश्तों में यह अपनी प्रतिष्ठा व पहुंच का इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन एक बात भल जाते हैं कि ये जो रिश्ते वे बना रहे हैं वे केवल उनके पद व पहुंच के कारण ही हैं। वह यह गलती कर बैठते हैं कि जब जातक सोचने लगता है कि वह भावनात्मक पारिवारिक रिश्ते बना रहा है।
उसे अंदाजा भी नहीं होता की उसका जब कोई पद न रहेगा तो ये रिश्ते खत्म हो जाएंगे। नाम राशि मेष होने के कारण इनको अंदाजा होता है कि सामने वाला उसको बीच मंझदार में छोड़ जाएगा लेकिन फिर भी ये उसकी मदद करते हैं। बार-बार मदद करते हैं और बार-बार धोखा खा जाते हैं।

 दूसरे भाव में मंगल शनि और राहू के कारण ये अपने फैसलों के कारण आगे भी बढ़ते हैं लेकिन उन्हीं फैसलों के कारण ऐसे लोग फिर वहीं पहुंच जाते   हैं जहां से शुरु होते हैं। इनको जब असल बात समझ में आती है तो काफी देर हो गई होती है। 

चौथे भाव में सूर्य़ व बुध की युति होने के कारण नाम सत्ता में वे  विलासिता को ऐसे जीते हैं जैसे इनको हमेशा इसी में ही रहना होता है। पंचम भाव में शुक्र इन्हें कामुक बनाता है यह हर समय सुंदर महिलाओं से घिरे रहना पसंद करते हैं और रोमांस की स्थिति में रहते हैं। सत्ता का नशा इतना गहरा होता है कि ये किसी को भी अपने सामने खड़ा नहीं होने देते और इसी दौरान ये क्रोध में अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेते हैं।

आठवें , नवें व ग्यारहवे भाव में केतु, चंद्र व गुरु ग्रह होने के कारण  60 के बाद इनके बनाए गए सभी किले धह जाते हैं।  स्वास्थ एकदम गिर जाता है और ऐसा लगता है कि अब ये दोबारा ठीक नहीं हो पाएंगे। ऐसे मौत से सामना इनका कई बार होता है।
 अर्श से फर्श तक पहुंचने के बाद भी इस घोर उपेक्षा का शिकार होने के बाद फिर ये शख्श उठ कर एक बार फिर उस मुकाम पर पहुंचने का प्रयास करता है और बार-बार करता है। ऐसे जातकों में एक बात विशेष होती है कि ये फिर वापसी कर लेते हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर वापस लौट आते हैं।

शुक्र की महादशा 2022 तक रहने वाली है अंतर बुध की 2021 तक रहेगी। इस दौरान वाकपटुता से जातक अपनी पहली वाली स्थिति में लौटने का भरकस प्रयास करगे। यदि ये सत्ता के गलियारों में पहुंच जाता है तो अगले 7 साल ये अपने उच्च मुकाम पर पहुंच जाएगा। समय एहतिहात वाला है स्वास्थय का एक ऐसा गहरा झटका लगेगा कि इससे सम्भलना मुश्किल होगा। राजनीतिक शत्रु ऐसा व्यूहचक्र रच सकते हैं जो परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
नासमझी में इतना समय गुजार दिया कि जब समझ आई तो समय बहुत कम था। उम्र के अंतिम पड़ाव धार्मिक, तत्व ज्ञानी और माया के इस खेल को भेदने में ये शख्श कामयाब हो जाता है। महामृत्युंजय का  व बगलामुखी का पाठ करवाने से शत्रु कमजोर होंगे और स्वास्थय में सुधार रहेगा।

नोट - यह आंकलन अनुमान पर आधारित है ,दशाओं ग्रहों में अंतर हो सकता है, भविष्यवाणी सिर्फ जानकारी के लिए दी गई है। हम किसी प्रकार दावा नहीं करते।

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