सनातन धर्म है क्या
सनातन धर्म है क्या
भारतीय नारी के पैर का बिछुआ, माथे पर बिंदिया, मांग में सिंधूर,गले में मंगल सूत्र, घर में उसका बनाया छोटा सा मंदिर, मंदिर में स्थापित ईष्ट देव, छोटी सी घंटी, शंख,पानी का लौटा, दीप व उसकी बाती, घर में तुलसी का पौधा, वेद मंत्र, धार्मिक ग्रंथ, आरती, अग्नि का हवन कुंड, समिधा आदि सारी हमारी संस्कृति व धर्म के अभिन्न अंग भी हैं और भारतीय होने का अहसास भी। पुरुष के कंधे में सजा जनेऊ, माथे में तिलक, शीश में शिखा, धोती व कुर्ता भी हमारे धर्म में शामिल है। हमारी संस्कृति ही हमारा धर्म है और हमारा धर्म ही संस्कृति है। हमारी भाषा, पहनावा, हमारे त्यौहार, हमारे हाथों से किया गया दान भी धर्म का ही क्षेत्र है।
उपनिषदों, व पुराणों की विस्मित कर देने वाली कथाएं, रोचक तरीके से कहा गया इतिहास भी हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। वात्सयायन का लिखा कामशास्त्र हो या कौटिल्य का लिखा अर्थ शास्त्र दोनों ही महान धरोहर हैं। घर में पाली गाय, कुत्ता या बिल्ली भी हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। गांव के छोर पर बना कुल देवता का मंदिर व और उसमें कुल देवता की मूर्ति व बहती नदी भी हमारी संस्कृति व धर्म का हिस्सा हैं, बैल के गले में बंधी घंटियां भी। घर के बाहर राम-राम कहकर मांगने वाला भी हमारे धर्म का प्रचार कर रहा है, कांवड़िया भी और कुम्भ में एकत्र हुए लोग भी।
सनातन धर्म एक जीवन पद्धति एक जीवनशैली है,जीवन धारा है, जीने की कला है, भाषाएं भी हैं, व्यवहार भी, पहरावा भी और सबसे ऊपर यह एक धर्म है। इसे जब हम वामपंथ, इस्लामी या ईसाइयत के नजरिए से देखते हैं तो एक बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। हमें बचाना किसे है, हमने सहेज कर रखना किसे है यही तो हैं चीजें जो हमारे धर्म व संस्कृति का हिस्सा हैं।
भारतीय नारी के पैर का बिछुआ, माथे पर बिंदिया, मांग में सिंधूर,गले में मंगल सूत्र, घर में उसका बनाया छोटा सा मंदिर, मंदिर में स्थापित ईष्ट देव, छोटी सी घंटी, शंख,पानी का लौटा, दीप व उसकी बाती, घर में तुलसी का पौधा, वेद मंत्र, धार्मिक ग्रंथ, आरती, अग्नि का हवन कुंड, समिधा आदि सारी हमारी संस्कृति व धर्म के अभिन्न अंग भी हैं और भारतीय होने का अहसास भी। पुरुष के कंधे में सजा जनेऊ, माथे में तिलक, शीश में शिखा, धोती व कुर्ता भी हमारे धर्म में शामिल है। हमारी संस्कृति ही हमारा धर्म है और हमारा धर्म ही संस्कृति है। हमारी भाषा, पहनावा, हमारे त्यौहार, हमारे हाथों से किया गया दान भी धर्म का ही क्षेत्र है।
उपनिषदों, व पुराणों की विस्मित कर देने वाली कथाएं, रोचक तरीके से कहा गया इतिहास भी हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। वात्सयायन का लिखा कामशास्त्र हो या कौटिल्य का लिखा अर्थ शास्त्र दोनों ही महान धरोहर हैं। घर में पाली गाय, कुत्ता या बिल्ली भी हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। गांव के छोर पर बना कुल देवता का मंदिर व और उसमें कुल देवता की मूर्ति व बहती नदी भी हमारी संस्कृति व धर्म का हिस्सा हैं, बैल के गले में बंधी घंटियां भी। घर के बाहर राम-राम कहकर मांगने वाला भी हमारे धर्म का प्रचार कर रहा है, कांवड़िया भी और कुम्भ में एकत्र हुए लोग भी।
सनातन धर्म एक जीवन पद्धति एक जीवनशैली है,जीवन धारा है, जीने की कला है, भाषाएं भी हैं, व्यवहार भी, पहरावा भी और सबसे ऊपर यह एक धर्म है। इसे जब हम वामपंथ, इस्लामी या ईसाइयत के नजरिए से देखते हैं तो एक बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। हमें बचाना किसे है, हमने सहेज कर रखना किसे है यही तो हैं चीजें जो हमारे धर्म व संस्कृति का हिस्सा हैं।
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