हिन्दुओं को क्या छोड़ना है और क्या शामिल करना है, इस बारे में वे भ्रमित हैं


हिन्दुओं को क्या छोड़ना है और क्या शामिल करना है, इस बारे में वे भ्रमित हैं

भारत को अरबी हमलावरों और इसके बाद अंग्रेजों ने अपना गुलाम बनाया। विदेशी शासकों ने अपनी विचारधारा, संस्कृति, भाषा, पहनावा आदि को जबरन भारतीयों पर थोपा और कहीं भारतीयों ने देखा देखी शासकों की विचारधारा, संस्कृति आदि को अपना लिया। ये विदेशी हमलावर दुनिया के जिस भी देश को जीतते वे वहां अपना धर्म, विचारधारा, संस्कृति आदि को वहां के हारे हुए लोगों पर थोपते और इसके लिए वह हर तरह के अमानवीय हथकंडे अपनाते। ये लोग अपनी संस्कृति, भाषा व धर्म के बारे में इतना उन्मादी थे कि किसी भी हद तक चले जाते थे। करोड़ों लोगों की इनकी हिंसा के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी और आज भी गंवा रहे हैं।

 गुलाम हमेशा शासक की नकल करता है, उसपर उसकी विचारधारा कब हावी हो जाती है उसे पता ही नहीं चलता। वह भी शासक की तरह सोचने व व्यवहार करने लगता है। अंग्रेजी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता के बारे में तो सभी बात करते हैं लेकिन बहुत कम लोग अरबी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता के बारे में चर्चा करते हैं, जो कि भारतीयों के लिए बहुत ही घातक है। 

पिछले 1400 सालों से भारतीयों ने बहुत कुछ छोड़ा है और बहुत कुछ नया अपनाया है। लेकिन जहां सुदूर पहाड़ों या मैदानी इलाकों में विदेशी हमलावर नहीं पहुंच पाए वहां के लोग अपना धर्म, संस्कृति, भाषा, पहरावा, खान-पान रहन-सहन पूरी तरह से तो नहीं कह सकते 90 प्रतिशत तक आज भी बचा कर रखे हुए हैं। सैकुलर सरकारों की तरफ से इनकी संस्कृति को भ्रष्ट करने के लिए बहुत ही प्रयास किए गए लेकिन सफल नहीं हो पाई। लेकिन पूर्ववर्ती राज्यों सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय में आदिवासियों की संस्कृति को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। यहां के लोगों ने भारतीय संस्कृति के हर चिन्ह को स्वयं ही नष्ट कर दिया।

समय चक्र के अनुसार हिन्दुओं ने बहुत कुछ छोड़ दिया, सरकारी संतों, प्रचारकों के कुचक्र में ऐसे फंसे कि पता ही नहीं चला कि कब वे अपनी संस्कृति के ही भस्मासुर बन कर बैठ गए। हिमाचल प्रदेश के गांवों को सैकुलर बाबाओं ने अपने जाल में पूरी तरह से फंसा लिया है। वहां गांवों में आपको घरों के सामने वे चबूतरे भी मिलेंगे जहां कभी सायं को तुलसी पूजा होती थी लेकिन वहां अब कच्छे टंगे मिलेंगे। मंदिर भी मिलेगा लेकिन पूरी तरह से उजड़ा हुआ, कोई वहां दीपक नहीं जलाता, जहां स्वातिक का निशान होता था मिटा दिया गया है, केले व आम का पेड़ तो है लेकिन वहां कोई पूजा नहीं करता, गाय भी पालते हैं लेकिन केवल दूध के लिए, उसका कोई धार्मिक महत्व नहीं। कोई हिन्दू धार्मिक ग्रंथ, किसी भगवान, देवी, देवता, या महापुरुष की कोई तस्वीर घर में नहीं। 

तिलक नहीं लगाते, मौली नहीं बांधते और न ही पूजा करते हैं।इन प्रचारकों ने इनको अपने डेरों तक ही सीमित कर दिया है। पिछले 25 सालों से ये लोग किसी हिन्दू तीर्थ स्थल नहीं जाते और अब तो हरिद्वार भी जाना बंद कर दिया गया है। तरह- तरह के तर्क हिन्दुओं को देकर, मूर्ख बनाकर अपनी संस्कृति से दूर कर दिया गया और उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वे अघोषित अरबी हो गए। उनको पता ही नहीं कि उनसे क्या छुड़वा दिया और उनके हाथों में क्या झुनझुना पकड़ा दिया। ये नव हिन्दू इतने उन्मादी हैं कि ये भारतीय धर्म के कड़े विरोधी हैं लेकिन ये स्वयं को बड़े समाज सुधारक मानते हैं। इनका माइंडसैट ही ऐसा कर दिया गया है कि ये समझते हैं कि जैसे इनके प्रचारक ने लिख दिया या कह दिया वह पत्थर की लकीर है। 

अब हिन्दू प्रचारकों ने तो हद कर दी ये महान लोग इतने मूढ़ हैं कि ये लोग जो इनको आइटम पेश करने के पैसे देता है उसी आइटम को ये पेश करते हैं। ये पता नहीं किनको खुश करने का प्रयास करते हैं। इनको पता ही नहीं कि ये अपनी विचारधारा, संस्कृति को तोड़ रहे हैं और अपने अनुयाइयों को दूसरी विचारधारा यानि प्रोड्क्ट खरीदने को कह रहे हैं। राजनितिज्ञयों की तो वोट के लिए कई प्रकार की मजबूरियां होती हैं लेकिन इनकी क्या मजबूरियां हैं कोई समझ नहीं पाता।  लोग भी इनको ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि कुछ वोट टूट कर उनके खाते में आ जाएं लेकिन वे ये भूल रहे हैं कि जो वोट उनके पक्ष में हैं, जिन्होंने उनको सत्ता में बैठाया है वही एक झटके से टूट सकते हैं। 
हिन्दुओं को चाहिए कि इन प्रचारकों को समझाओ, नहीं मानते तो इनका बहिष्कार करो। ये ऐसे ही बालीवुड स्टार की तरह हैं जो हिन्दुओं के पैसों से बनते हैं और हिन्दू नाराज हो जाते हैं तो इनको मिट्टी में भी मिला देते हैं। इसके लिए धर्म का, भारतीय संस्कृति की आत्मा का पता होना चाहिए। आज भगवान राम करोड़ों भारतीयों के दिलों में बसते हैं तो राम मंदिर बन रहा है यदि राम को लोग आम इंसान या राजा मानते तो उनका मंदिर कभी नहीं बनना था। हिन्दुओं को जागरूक रहना होगा कि ये प्रचारक बहुत कुछ छु़ड़वा चुके हैं और चालाकी से अपना एजैंडा सैट करेंगे,इनकी चाल में नहीं आना।  






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