अलगाववाद की मानसिकता क्या है और इसे कैसे इंजैक्ट किया जाता है

 


अलगाववाद की मानसिकता क्या है और इसे कैसे इंजैक्ट किया जाता है

एक समाज को दूसरे समाज से, एक समूह को दूसरे समूह से दूर रखने के लिए कुछ काल्पनिक, धार्मिक,सांस्कृतिक, सामाजिक, क्षेत्रीय कारण को पैदा किया जाता है।  कुछ अलगावादियों हाथों में आधुनिक हथियार होते हैं और कुछ अपनी तथाकथित विद्धवता का सहारा लेकर अपने एजैंडे चलाते हैं। लोग अलगाववाद के लिए बड़ी चालाकी से हर एजैंडे का इस्तेमाल करते हैं।

अलगाववाद एक राजनीतिक टूल के लिए प्रयोग किया जाता है जिसमें एक समाज को दूसरे से अलग करके उनके अधिकारों की रक्षा करने के नाम पर वोट लिए जाते हैं, लेकिन किया कुछ नहीं जाता। 

अलगाववाद कैसे शुरु हुआ- वैसे तो अलगाववाद क्रियायों में प्राकृतिक ही है जैसे स्त्री व पुरुष। ज्यादातर महिलाएं अपनी महिला दोस्तों के साथ ही रहती हैं और पुरुष भी ऐसा ही करते हैं। बच्चे बच्चों से साथ ही अच्छा मानते हैं। जैसे विवाह में लड़का पक्ष के लोग अलग हो जाते हैं और लड़की पक्ष के लोग अलग। यह सारा कुछ प्राकृतिक ही है।

एब्रहामिक इतिहास में अलगाववाद व इसकी भारतीयों द्वारा की गई कापी- बाइबल में पहली बार शब्द प्रयोग हुआ हमारे ईश्वर व उनके ईश्वर। दूसरे ईश्वरों की अराधना करना। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि दूसरे ईश्वरों को मानने वालों को कत्त कर दो चाहे वे आपके रिश्तेदार ही क्यों न हों। इसी तरह भारतीयों में भी अलगाववाद का खेल खेला गया। हमारे भगवान व तुम्हारे भगवान। हमारे वेद और तुम्हारे वेद, पुराण उपनिषद आदि। हमारा कृष्ण व तुम्हारा कृष्ण। हमारे राम व तुम्हारे राम। हमारा ओम व तुम्हारा ओम। हमारा हवन व तुम्हारा हवन। हमारे महापुरुष व तुम्हारे भगवान व देवी-देवते। इलुमिनातियों के शातिर खेल में फंसे लोगों के माइंडसेट। इन इलुमिनातियों की संख्या पूरे विश्व में 5 प्रतिशत से भी कम है लेकिन ये हर इंसान के दीमाग से खेलते हैं और कभी भी किसी भी समाज का माइंडसैट बदलने की क्षमता रखते हैं।

कृष्ण जीवन का आधार हैं-कृष्ण हजारों सालों से हिन्दुओं के लिए ईश्वर, ऐश्वर्यवान, 16 कला सम्पूर्ण हैं। वह उनके लिए एक साधारण महापुरुष की तरह अतिउत्तम नहीं हैं। फिर कुछ महानुभाव करते हैं कि गीता में भगवान कृष्ण की वाणी नहीं है, इसके बाद वह भागवतम व महाभारत को भी चालाकी से नकार देते हैं। एक बालक के प्यार के नाम माखन चोर को वह आज के मोटरसाईकिल चोर, कार चोर जैसे घृणिक अपराधियों से करते हुए उनका चारित्रिक हनन करते हैं। रास रचाने की कला को अपनी दीमागी अश्लीलता से जोड़ते हैं, रणछोर जैसी महान युद्ध नीति का मजाक उड़ाते हैं। युद्ध नीति में गुप्तचरी, साम, दाम दंड, भेद आदि सारे मान्य टूल हैं। वह चालाकी से अलगाववाद का खेल खेलते हैं। हमारे कृष्ण व तुम्हारे कृष्ण। जन्माष्टमी का उत्सव मनाने की बजाए उलजलूल बातें करके अपने फोलवरर्स को जनमाष्टी उत्सवों भाग लेने से रोकते हैं। कहीं उनके फालोवर्स जन्माष्टी उत्सव न मनाएं तो वे सायं 6 बजे ही  दरवाजों को बंद करके गायब हो जाते हैं। जब सारे मंदिरों में उत्सव का माहौल होता है तो इनके दरवाजे बंद होते हैं कोई एक दीया तक नहीं जलाया जाता।

 इनका मकसद होता है कि कैसे अपने लोगों को जन्माष्टमी से दूर रखा जाए। कृष्ण की जीवन से शिक्षाएं लो ऐसे उत्सव मनाने से कोई लाभ नहीं, जैसे दकियानूसी सुझाव बिन मांगे देते हैं। इनको सिर्फ इस बात की चिंता है कि कहीं समाज में लोग भगवान का चित्र लेकर भजन, संगीत व झांकियां निकालने लगे तो जो मानसिक अलगाव जो इन्होंने सरकार की मदद से पिछले 70 सालों में बना कर रखा है पलभर में टूट जाएगा। इस वीडियो में महानुभाव ने सिर्फ अलगाववाद बनाए रखने के लिए मनघड़ंत बातों का सहारा लिया है।

कृष्ण जन्मोत्व की बधाई जो ये ऐसे कभी नहीं देंगे- सभी हिन्दुओं को भगवान कृष्ण के अवतार, प्रकाशोत्व की शुभकामनाएं। भगवान कृष्ण हमारे हजारों सालों तक प्राणप्रतिमासु रहे हैं और आगे भी रहेंगे। हम अपने घरों में बाल कृष्ण की लीलाएं करें, हर मंदिर को रौशनियों से चकाचौंध करें, रातभर भगवान की स्तुति में भजन करें नाचें और गाएं। ऐसी धमक हो कि पूरे साल तक याद बनी रहे। घरों को दीपकों से सजाया जाएगा, भजन  संध्याएं होंगी, भजन प्रतियोगिताएं होंगी, कृष्ण के रास, बाल समय आदि की सुंदर झांकियां होंगी। सभी भक्त जन भगवान को स्मरण करने के लिए जरूर पधारें। यदि ऐसा ही  तो इनको कभी कृष्ण के बारे में सफाई देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। ये ऐसा कभी नहीं करेंगे क्योंकि इससे इनके अलगाववाद के काल्पनिक बनाए किले एक ही रात में ध्वस्त हो जाएंगे और कुछ राजनीतिज्ञ ऐसा कभी नहीं कर सकते। 






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