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माता चिंतपूर्णी का प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित है। दुनिया भर से माता के भक्त यहां पर माथा टेकने आते हैं। माता के दरबार में हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। जो भक्त माता चिंतपूर्णी  से मांगते हैं वह मिलता है। ज्योतिषी भृगुपंडित जी चिंतपूर्णी में भक्तों की हर जिज्ञासा का हल निकालते हैं। pandit ji in chintpurni | jawalaji | call 98726 65620


माता चिंतपूर्णी  के सावन माह का मेला सावन माह शुक्ल पक्ष में 29 जुलाई 2022 को शुरु होगा और 5 अगस्त 2022 को सम्पन्न होगा। यह मेला 11 अगस्त तक जारी रहेगा।


मुंडन,दुर्गासप्तसती का पाठ हवन , कुंडली रीडिंग आदि का काम संतोषजनक होता है। विदेशों में मां के भक्त जो किसी कारण से मंदिर नहीं आ सकते वे भी पंडित जी से ऑनलाइन पूजा पाठ करवाते हैं। पंडित जी उनके नाम का माता ङ्क्षचतपूर्णी  को प्रशाद इत्यादि चढ़ाते हैं और उनके नाम की पूजा भी करवा देते हैं। हजारों भक्तों को वे सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। भक्तों के नाम का लंगर भी लगाया जाता है। कहा जाता है कि मुगल राजा अकबर ने यहां सोने का छतर चढ़ाया था और माता ने उसकी मनोकामना पूरी की थी। लेकिन अकबर को अपने काम पर घमंड हो गया था तो माता ने उसके छतर को पीतल का बना दिया। अकबर ने माता के दरबार में नाक रगड़कर माफी मांगी थी। माता चिंतपूर्णी के दरबार से आगे माता ज्वाला जी का भी प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में हजारों सालों से माताजी की ज्योति जलती रहती है। भक्त यहां भी माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं। पंडित जी यहां भी भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं। पंडित जी भक्तों के अनुसार पूजा-पाठ कर देते हैं। माता ज्वाला जी की इतनी कृपा है कि देश-विदेश से भक्त यहां माथा टेकने के लिए आते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
कैसे पहुंचे माता चिंतपूर्णी के दरबार व माता ज्वाला जी के दरबार में-
यदि अाप पंजाब के किसी भी हिस्से में रहते हों तो वहां से सीधी बसें माता चिंतपूर्णीव ज्वाला जी के दरबार को जाती हैं। जालंधर, अमृतसर, लुधियाना अादि से अाप होशियारपुर के लिए बस पकड़ें। होशियारपुर पहुंचने के बाद अाप सीधामाता चिंतपूर्णी व ज्वाला जी के लिए बस पकड़ सकते हैं। होशियारपुर से माता चिंतपूर्णी के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है। यहां से चिंतपूर्णी की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है अौर इससे अागे लगभग 32 किलोमीटर ज्वाला जी है। पंजाब के भक्त काफी संख्या में माता के दर्शनों को अाते रहते हैं। सावन के माह में तो हर साल यहां माता के मेले लगते हैं। मनोकामनाएं पूरी होने पर भक्त परिवार सहित माता के दरबार में माथा टेकने के लिए अाते हैं। अब तो माता  का दरबार बहुत ही सुंदर बन गया है। भक्तों के ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं खोली गई हैं।
अाने से पहले भक्त इन धर्मशालाअों में अपने लिए कमरे बुक करवा सकते हैं। माता के दरबार में भक्तों से निवेदन है कि गंदगी बिल्कुल न डालें। खाऩे के पैकेट इत्यादि कूड़ेदानों में ही डालें, हो सके तो सफाई करने की सेवा भी करें। भक्त शैड में सफाई करके अन्य भक्तों के लिए पुण्य का काम कर सकते हैं। माता रानी की कृपा सब पर बनी रहती है। वह अपने सब भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

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