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खाटू श्याम जी के प्राचीन मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में पूजा करवाने के लिए भृगुपंडित जी भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। जो भक्त मंदिर नहीं पहुंच पाते वे पंडित जी से पूजा बुक करवा लेते हैं। भगवान खाटू श्याम के मंदिर में इतनी शक्ति है कि भक्तों के दुख दूर हो जाते हैं।pandit ji in Khatu shyaam ji temple | call 98726 65620
राजस्थान के सीकर में  स्थित है खाटू श्याम जी का मंदिर। यह मंदिर देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इसके बारे में रोचक कथा का वर्णन आपको हम करते हैं।
खाटू श्याम जी को भगवान श्री कृष्ण ने वरदान दिया था इसलिए खाटू श्याम जी को भगवान कृष्ण का एक अवतार माना गया है। खाटू श्याम बाबा का प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान राज्य के सीकर जिले के खाटू ग्राम में स्थित है। इस मंदिर पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक आस्था है। यहां प्रत्येक वर्ष होली के शुभ अवसर पर खाटू श्याम जी का भारी मेला लगता है। इस मेले में भाग लेने के लिए उनके श्रद्धालुओं का उत्साह बहुत रहता है। इस मेले में देश-विदेश से कई भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। खाटू श्याम बाबा के मंदिर की इन मान्यताओं के पीछे महाभारत काल की एक पौराणिक कथा है।
बहुत प्राचीन है खाटू श्याम बाबा के मंदिर का इतिहास 
बबरीक जी के पिता जी घटोत्कच थे। महाभारत के काल दौरान महाराज भीम के पौत्र एवं घटोत्कच के पुत्र बबरीक जी के रूप में खाटू श्याम बाबा ने अवतार लिया। बबरीक जी  बचपन से ही बहुत ही वीर एवं बलशाली योद्धा थे। उनके  इसी बल कौशल को देखकर अग्नि देव ने उन्हें एक विशिष्ट धनुष दिया एवं भगवान् शिव ने उन्हें वरदान स्वरुप 3 बाण दिए। इस वरदान के कारण बबरीक जी तीन बाण धारी कहे जाने लगे। महाभारत के  युद्ध को देखकर बर्बरीक ने युद्ध का साक्षी बनने की इच्छा प्रकट की। वह अपनी मां से युद्ध में जाने की अनुमति ले तीनों बाण लेकर युद्ध की ओर निकल पड़े।
जब बबरीक जी महाभारत के युद्ध में जा रहे थे तभी भगवान श्री कृष्ण ने उनकी परीक्षा लेने के लिए उनसे कहा कि केवल तीन तीर से कोई कभी युद्ध जीत नहीं सकता। तब बर्बरीक ने तीनों तीरों का महत्व बताते हुए कहा कि उनका पहला तीर निश्चित स्थानों पर निशान बनाएगा एवं दूसरा व तीसरा तीर उन स्थानों को क्रमश: सुरक्षित एवं तबाह कर सकतें हैं।
बबरीक जी को प्राप्त इस वरदान के कारण कौरव व पांडव दोनों ही उन्हें अपने साथ रखना चाहते थे। तब श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण स्वरुप धरण कर दान स्वरुप बबरीक जी से उनका सिर माँगा। उनकी इस विचित्र मांग के कारण बबरीक जी ने उनसे उन्हें अपने असली रूप में आने को कहा। तब श्री कृष्ण प्रकट हुए एवं उन्होंने बबरीक जी को उस युद्ध का सबसे वीर क्षत्रिय व योद्धा बताते हुए उनसे कहा कि युद्ध में सबसे वीर व क्षत्रिय योद्धा को सर्वप्रथम बलि देना अति आवश्यक है। अत: उनके ऐसे वचन सुनकर बबरीक जी ने अपना सिर काटकर श्री कृष्ण को दानस्वरूप दे दिया। तब भगवान् श्री कृष्ण ने उनके इस अद्भुत बलिदान को देखकर उन्हें वरदान दिया कि उन्हें सम्पूर्ण संसार में श्री कृष्ण के नाम खाटू श्याम रूप में जाना जाएगा।
भगवान् श्री कृष्ण ने युद्ध की समाप्ति पर बर्बरीक का सिर रूपवती नदी को समर्पित कर दिया। तब कलयुग में एक समय खाटू गांव के राजा के मन में आए स्वप्न और श्याम कुंड के समीप हुए चमत्कारों के बाद फाल्गुन माह में खाटू श्याम मंदिर की स्थापना की गई। शुक्ल मास के 11 वे दिन उस मंदिर में खाटू बाबा को विराजमान किया गया। 1720 ईस्वी में दीवान अभयसिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और तब से आज तक उस मंदिर की चमक यथावत है। श्याम कुंड की मान्यता देश-विदेश में है. ऐसा माना जाता है कि जो श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर की मान्यता बाबा के अनेक मंदिरो में सर्वाधिक रही है।
इस तरह बरसों से खाटू श्याम जी के रूप में भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करके उन्हें अनुग्रहित करते आ रहे हैं।
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बाबा खाटू श्याम जी के चमत्कार, किस्मत बदल दी - 500 CRORE Ki LAGAT SE BANEGA BABA KAA NAYA MANDIR, NEW TEMPLE Will BE CONSTRUCTED SOON \


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पिछले कई सालों में पंडित जी खाटू श्याम आ रहे थे। गर्मियों, सर्दियों, बरसात में अपने खाटू श्याम जी के दरबार में उनका आना लगातार जारी था। हर बार आते और बाबा के दर्शन पूरी तरह से पास से नहीं हो पाते। मन में एक टीस सी रहती कि बाबा के भक्तों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों होता। कुछ लोग पास पहुंचा दिए जाते और कुछ दूर ही रह जाते। एक रात पंडित जी सोए हुए थे और बाबा जी साक्षात् प्रकट हो गए। 


कहने लगे बेटा, "मैं सबकुछ जानता हूं, तेरे मन में मेरे प्रति प्यार है और मेरे भक्तों ने कई धर्मशालाओं का निर्माण करवाया है। मैं अब अपने भक्तों को एक जगह और दर्शन दूंगा और मेरे उनको खुले दर्शन होंगे। तुम एक बड़ा मंदिर बनाओ औ मैं तुम्हें ऐसा करने का आदेश देता हूं।" 


पंडित जी ने बाबा को कहा कि, :बाबा मैं तो सबल नहीं हूं, मैं कैसे एक ऐसा भव्य मंदिर बना सकता हूं।" 


बाबा बोले, :तुम इसकी चिंता न करो प्रयास शुरु करो मेरा यह आदेश हैं, एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा और मेरे सारे भक्त वहां भी आएंगे। मेरा प्रकाश वहां और भी तीव्र होगा और जो भी यहां आएगा उसकी हर प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।"

 

 ऐसा कहते ही श्याम बाबा अंतरध्यान हो गए।


इसके बाद पंडित जी ने अपने प्रयास करने शुरु कर दिए। भक्तों ने सहयोग देने का आश्वासन किया और बाबा की कृपा से अगले 5 वर्षों में मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। इस मंदिर में लगभग 100 करोड़ रुपए का खर्च आएगा और लगभग 50 एकड़ भूमि में इस मंदिर को बनाया जाएगा।


किसी भी भक्त को नहीं करना पड़ेगा इंतजार- एक ऐसी कम्पयूट्रीकृत प्रणाली काम करेगी जिसमें ऑनलाइन बुकिंग होगी और आपको दर्शन करने का समय दिया जाएगा। हर भक्त बाबा का निकट से दर्शन कर सकेगा। 


मंदिर पूरी तरह से वातानुकूलित होगा- मंदिर परिसर पूरी तरह से वातानूकूलित होगा। अंदर प्रवेश करते ही भक्तों को गर्मी नहीं लगेगी। 


वृद्ध भक्तों के लिए विशेष सुविधा- वृद्ध भक्त जो चल नहीं सकते उनके लिए बाबा तक पहुंचने के लिए विषेश व्हील चेयर उपलब्ध करवाई जाएंगी।


मंदिर में धर्मशाला का निर्माण भी होगा- मंदिर में 500 कमरों की धर्मशाला बनाई जाएगी जिसमें उचित मूल्य पर कमरे भक्तों के लिए बुक करवाए जाएंगे। कोई भी भक्त 3 दिनों तक यहां रह पाएगा, खाने का सामान नो प्राफिट नो लोस के आधार पर उपल्ब्ध होगा। 


वाहन पार्किंग की सुविधा- भक्तों के लिए 3 मंजिला पार्किंग की सुविधा होगी। इसमें लिफ्ट भी लगी होंगी।


प्रशाद मंदिर परिसर में मिलेगा- कम कीमत पर प्रशाद मंदिर परिसर में मंदिर परिसर की दुकानों पर उपलब्ध होगा। इनको बाबा के भक्त चलाएंगे जो स्वयंसेवक के तौर पर अपनी ड्यूटियां निभाएंगे।


सफाई का विशेष प्रबंध- इस मंदिर की छटा देखने योग्य होगी, सफाई का प्रबंध बहुत बढ़िया होगा। 


पेयजल व भोजन की सुविधा- यहां आपको पेयजल व भोजन की सुविधा मिलेगी जो बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध करवाई जाएगी। सभी भक्त स्वयंसेवक होंगे। 


बाबा के सुंदर बाग होंगे- इस भूमि में बाबा के सुंदर बाग होंगे, जहां बरगद, पीपल, आम आदि के पेड़ लगाए जाएंगे, सुंदर तलाब होंगे। 


बाबा का आदेश आ चुका है, जल्द ही जमीन देखी जाएगी और वहां पर मंदिर निर्माण शुरु किया जाएगा। यह काम भक्तों के सहयोग से ही हो सकता है। एक-एक बूंद से सागर भर जाता है। किसी को भी यह नहीं सोचना की उसके एक रुपए से क्या होगा। एक रुपया ही हमारी शक्ति है, हमारी आने वाली पीढ़ियों को दिखाना है कि उनके लिए उनके पूर्वज क्या सौगात छोड़कर गए हैं। बाबा की कृपा से शीघ्र भव्य मंदिर का निर्माण शुरु होगा। जो भी भक्त सहयोग देना चाहते हैं, दे सकते हैं। 


" हारे का सहारे खाटू श्याम हमारे, जय बाबा खाटू श्याम जी " 





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