महागाथाओं से संस्कृति व सभ्यता का विकास- द ग्रैंड नेरेटिव
महागाथाओं से संस्कृति व सभ्यता का विकास- द ग्रैंड नेरेटिव
विश्व के हर देश, क्षेत्र की अपनी-अपनी महागाथाएं हैं और इन महागाथाओं के नायक व खलनायक भी हैं। कोलम्बस ने जब अमेरिका पर आक्रमण किया तो इसके पास अपने देश फ्रांस के राजाओं व नायकों की गाथाएं व बाइबल की कहानियां थीं। वह दुनिया में अपने धर्म का प्रचार करने के लिए भी निकला था। यूरोप में शेक्सपीयर ने समाज में प्रचलित गाथाओं को आधार बना कर महाकाव्यों व नाटकों की रचना की। जूलियस सीजर, रॉबिन हु़ड आदि की गाथाएं प्रचलित थीं।
इंग्लैंड में रानीविक्टोरिया के वंशजों की गाथाओं को गाया जाता था और इसी को आधार मानकार यूनियन जैक दुनिया में अपने उपनिवेशिक अभियान में निकला था। जर्मनी में हिटलर नाजियों का नायक बनकर उभरा था। इसी प्रकार चंखेग खां, बाबर व तैमुर लंग, मौहम्मद गौरी आदि उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान व इरान आदि देशों से अपने धर्म के प्रचार व अपनी गाथाओं को आधार मानकर दुनिया को उपनिवेश बनाने के लिए निकले थे। इनके साथ आने वालों के लिए ये नायक थे।
उज्बेकिस्तान में चंगेज खान, बाबर को नायक माना जात है और वहां उनके बड़े-बड़े बुत भी हर जगह लगाए गए हैं। ये आक्रमणकारी जब भारत को लूटने आए तो भारत की जनता त्राहि-त्राहि कर उठी। यहां तक के बाबर के कुकृत्यों के लिए उसे लानतें भी दी गईं। इसके बाद जो हर मुगल ने उनका विरोध करने वालों को बेरहमी से कुचल दिया और उन्हें काफिरों की संज्ञा दी।मुगलों ने अपना विरोध करने वालों को खलनायकों की क्षेणी में रखा। आज भी भारत, पाकिस्तान व बंगलादेश के लोग अपने व अपने बच्चों के नाम इन्हीं मुगलों के नामों पर रखते हैं और उन्हें अपना नायक भी मानते हैं।
भारत की महागाथाएंं- भारत की महागाथाएं पूरे भारत से एशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, कोरिया, उत्तर अमेरिका, जापान आदि देशों में जनश्रुतियों के रुप में पहुंची और वहां के अपनी लोक भाषाओं में गायकों,कवियों आदि ने उनकी महानता के किस्से लिखे। इन महागाथाओं को लिखने वाले समाज के हर वर्ग से थे। भगवान बुध, महावीर जैन की महागाथाएं विश्व के कोने-कोने तक पहुंची।
भारत के किसी भी राजा ने दुनिया के अन्य देशों पर आक्रमण नहीं किया लेकिन फिर भी ये महागाथाएं लोगों के प्राणों में बस कर हजारों मील दूर पहुंच चुकी थी। रामायण, महाभारत, तथागत के पूव जन्मों पर बनी कथाओं, महावीर के महागाथाएं, महाग्रंथों की रचनाओं में रामअवतार, कृष्ण अवतार व चंडी अवतारा आदि पौराणिक कथाओं को भी शामिल किया गया।
यही भारतीय जनमानस की श्रद्धा व राष्ट्रीय एकता का आधार बनीं। शिवा जी, गुरुओं, संतों, समाज सुधारकों के लिए ये महागाथाएं प्रेरणा का स्रोत बनी। आज भी इंडोनेशिया, श्रीलंका, जकार्ता, मलेशिया, जापान व कोरिया में इन महागाथाओं को गाया, मंचित किया जाता है। भारत के ग्रैंड नेरिटव को तोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रपंच रचे जा रहे हैं। भारत के महानायकों को खलनायक बनाने के प्रयास रचे जाते रहे हैं। श्रीराम, कृष्ण, शिव, चंडी आदि भारतीय जनमानस की चेतना का आधार हैं करोड़ों लोग इन्हें अपना ईष्ट मानते हैं और इनकी अराधना करते हैं।
विश्व के हर देश, क्षेत्र की अपनी-अपनी महागाथाएं हैं और इन महागाथाओं के नायक व खलनायक भी हैं। कोलम्बस ने जब अमेरिका पर आक्रमण किया तो इसके पास अपने देश फ्रांस के राजाओं व नायकों की गाथाएं व बाइबल की कहानियां थीं। वह दुनिया में अपने धर्म का प्रचार करने के लिए भी निकला था। यूरोप में शेक्सपीयर ने समाज में प्रचलित गाथाओं को आधार बना कर महाकाव्यों व नाटकों की रचना की। जूलियस सीजर, रॉबिन हु़ड आदि की गाथाएं प्रचलित थीं।
इंग्लैंड में रानीविक्टोरिया के वंशजों की गाथाओं को गाया जाता था और इसी को आधार मानकार यूनियन जैक दुनिया में अपने उपनिवेशिक अभियान में निकला था। जर्मनी में हिटलर नाजियों का नायक बनकर उभरा था। इसी प्रकार चंखेग खां, बाबर व तैमुर लंग, मौहम्मद गौरी आदि उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान व इरान आदि देशों से अपने धर्म के प्रचार व अपनी गाथाओं को आधार मानकर दुनिया को उपनिवेश बनाने के लिए निकले थे। इनके साथ आने वालों के लिए ये नायक थे।
उज्बेकिस्तान में चंगेज खान, बाबर को नायक माना जात है और वहां उनके बड़े-बड़े बुत भी हर जगह लगाए गए हैं। ये आक्रमणकारी जब भारत को लूटने आए तो भारत की जनता त्राहि-त्राहि कर उठी। यहां तक के बाबर के कुकृत्यों के लिए उसे लानतें भी दी गईं। इसके बाद जो हर मुगल ने उनका विरोध करने वालों को बेरहमी से कुचल दिया और उन्हें काफिरों की संज्ञा दी।मुगलों ने अपना विरोध करने वालों को खलनायकों की क्षेणी में रखा। आज भी भारत, पाकिस्तान व बंगलादेश के लोग अपने व अपने बच्चों के नाम इन्हीं मुगलों के नामों पर रखते हैं और उन्हें अपना नायक भी मानते हैं।
भारत की महागाथाएंं- भारत की महागाथाएं पूरे भारत से एशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, कोरिया, उत्तर अमेरिका, जापान आदि देशों में जनश्रुतियों के रुप में पहुंची और वहां के अपनी लोक भाषाओं में गायकों,कवियों आदि ने उनकी महानता के किस्से लिखे। इन महागाथाओं को लिखने वाले समाज के हर वर्ग से थे। भगवान बुध, महावीर जैन की महागाथाएं विश्व के कोने-कोने तक पहुंची।
भारत के किसी भी राजा ने दुनिया के अन्य देशों पर आक्रमण नहीं किया लेकिन फिर भी ये महागाथाएं लोगों के प्राणों में बस कर हजारों मील दूर पहुंच चुकी थी। रामायण, महाभारत, तथागत के पूव जन्मों पर बनी कथाओं, महावीर के महागाथाएं, महाग्रंथों की रचनाओं में रामअवतार, कृष्ण अवतार व चंडी अवतारा आदि पौराणिक कथाओं को भी शामिल किया गया।
यही भारतीय जनमानस की श्रद्धा व राष्ट्रीय एकता का आधार बनीं। शिवा जी, गुरुओं, संतों, समाज सुधारकों के लिए ये महागाथाएं प्रेरणा का स्रोत बनी। आज भी इंडोनेशिया, श्रीलंका, जकार्ता, मलेशिया, जापान व कोरिया में इन महागाथाओं को गाया, मंचित किया जाता है। भारत के ग्रैंड नेरिटव को तोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रपंच रचे जा रहे हैं। भारत के महानायकों को खलनायक बनाने के प्रयास रचे जाते रहे हैं। श्रीराम, कृष्ण, शिव, चंडी आदि भारतीय जनमानस की चेतना का आधार हैं करोड़ों लोग इन्हें अपना ईष्ट मानते हैं और इनकी अराधना करते हैं।
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