लोक कथाएं, लोक गीत व संस्कृति

लोक कथाएं, लोक गीत व संस्कृति

हर देश, प्रदेश व समाज की लोक गाथाएं, लोक गीत होते हैं जो वहां की संस्कृति की पहचान होते हैं। ये लोक गाथाएं समाज को एक सूत्र में बांधती हैं। जब विदेशी हमलावर भारत में आए तो उन्होंने जिन-जिन जगहों पर अपना कब्जा किया वहां के लोगों का धर्मपरिवर्तन, उनके मंदिरों आदि को धवस्त तो किया साथ ही वहां  की लोक गाथाओं,लोक गीतों का पूरी तरह से खात्मा कर दिया।
आप देखेंगे कि लोक गीतों व गाथाओं में लैला मजनू, हीर रांझा आदि के किस्सों ने ले लिया और वहां की लोक गाथाओं व गीतों को खत्म कर दिया गया। ये काम होने में 800 साल लगे। लेकिन जिन जगहों पर ये विदेशी आक्रमणकारी न पहुंच सके या बहुत देर बाद पहुंचे वहां के लोगों ने अपनी इन महान संस्कृतियों को पीढ़ी-दर- पीढ़ी बचाए रखा। इसमें महान कलाकारों का सहयोग रहा जिन्होंने गरीबी का तंज सहते हुए भी कला को जीवित रखा। सैकुलर सरकारों, बालीवुड ने इन लोक कथाओं को खत्म करने में कोई कसर नहीं बाकी छोड़ी। इन लोक कथाओं को हमारे स्कूलों में भी बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता।

यदि पढ़ाया जाता है तो उनका सेकुलरकरण हो जाता है। आज की नौजवान पीढ़ी को नहीं पता की उनकी लोक कथाएं व लोक गीत कौन से हैं। पाकिस्तान व बंगलादेश जो कभी भारत के हिस्सा थे, अब पूरी तरह इस्लामिक हैं और वहां लोक कथाएं खत्म हैं। लोक गीतों में भाषा व नायक बदल गए हैं। इस प्रकार संस्कृति के एक अंग को पूरी तरह से धवस्त कर दिया गया है। आज हर घर में बच्चों को अपने प्रदेश की लोक कथाएं, लोक गीतों केबारे में जानकारी देना उनके अभिभावकों की प्रथम जिम्मेदारी है। ये लोक गीत व कथाएं हमारे धर्म का भी हिस्सा हैं जो हमें प्रेरित करते हैं धर्म से जुड़े रहने के लिए।

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