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Showing posts from 2021

Is there any child Yoga in My Horoscope ? | Child Birth prediction

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  Is there any child Yoga in My Horoscope | Child Birth prediction Have you not got child happiness?, do you want child?, do you want to know when you will have a child ?, whether there is child Yoga in your birth chart or not, can there be child yoga by astrology? All the information about this can be given after seeing your horoscope. Based on your details, the horoscope will be prepared and the planets will be checked after which you will be told when you will conceive and what measures you should take to conceive. You will be asked to do pooja etc and to chant some mantras, you will have to take easy measures and surely you will get success and you will get child happiness. Many times, despite all kinds of medical tests being done, success is not achieved in getting a baby, then by taking some astrological measures, success is achieved.  read more- 5 grahon ki yuti child birth astrology 2022-2023- At present it has been seen that getting child happiness is becoming more di...

Famous Tantrik in United Kingdom | Black magic Expert in UK +91 98726 65620

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  Famous Tantrik in United Kingdom | Black magic Expert in UK +91 98726 65620 Famous Tantrik in the United Kingdom: Black Magic Specialist and Vashikaran Expert # Aghori Baba in United Kingdom: Black Magic Removal in London - Unlocking the Mysteries of Tantric Siddhis In the mystical realm of astrology and tantric siddhis, choosing Aghori Baba as your family astrologer in the United Kingdom can be one of the wisest decisions you make. This article explores the profound world of Aghori Babas, their expertise in black magic removal, and the significance they hold in the lives of their clients. Join us on this journey to understand the real value of astrological science and the intricate art of tantric siddhis. (2024) The Path of Austerity and Dedication Becoming an expert tantric in the field of astrology is no easy feat. It requires years of austerity and unwavering dedication. Aghori Babas, practitioners of the tantric arts, delve deep into the cosmic mysteries, unlocking the secre...

उच्चाटन कैसे किया जाए | How to do Uchattan

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  उच्चाटन कैसे किया जाए, How Can I Do Uchattan hindi इस  उच्चाटन मंत्र का जाप किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए क्योंकि यह बहुत हानिकारक हो सकता है। यदि यह किसी के भी घर में दबा दिया जाता है तो उस घर में लड़ाई-झगड़ा आरंभ हो जाता है। इसके प्रयोग की विधि इस प्रकार है- इसका निर्माण कृष्ण पक्ष के शनिवार को रात्रि में कौए के पंख पर एवं शमशान के कोयले की स्याही से सादे  सादे कागज पर किया जाता है। इसे सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यंत्र दुश्मन के घर में दबा दें तो उस घर में झगड़ा शुरू हो जाएगा। उच्चाटन के लिए मंत्र है- " ओम नमो नारायणाय अमुकस्य सह विद्वेषण कुरू कुरू स्व विद्वेषण स्वाहा। " सामूहिक उच्चाटन के लिए मंत्र How to do Uchattan  निम्न मंत्र सवा लाख जप करने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग के समय अमुक के स्थान पर नाम का प्रयोग करना चाहिए। मिट्टी के पात्र में श्मशान की भस्म भरें, उसके बाद उसके ऊपर व्यक्ति का नाम लिखें। फिर उस पात्र को बंद करके उसको नीले धागे से बांधकर धरती में गाड़ दें, उसके ऊपर भारी पत्थर रख दें तथा मंत्र जाप करें। इससे उच्चाटन हो जाता है। मंत्र ...

पीलिया से छुटकारा पाने के लिए आर्युवेदिक नुस्खे

 पीलिया से छुटकारा पाने के लिए  आर्युवेदिक नुस्खे Hindi विश्व में हर साल लाखों लोग पीलिया यानी जॉन्डिस से मर जाते हैं। इनफैक्शन औ गलत खान-पान की वजह से पीलिया होता है। जब पीलिया हो जाता है तो हम कुछ घरेलु उपचार करके ही इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। ठीक समय पर उपचार मिलने पर इसे ठीक किया जा सकता है।  क्यों होता है पीलिया ? मानव की बॉडी के रेड ब्लड सेल्स  120 दिन बाद टूट जाते हैं। इस दौरान  बिलिरुबिन नाम का बाई-प्रोडक्ट बनता है। यह मूत्र में मिलकर में शरीर से बाहर निकल जाता है।   क्या होते हैं पीलिया के लक्षण  मानव के शरीर में खून की कमी हो जाती है, शरीर पीला पड़ जाता है, पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, आंखें पीली हो जाती हैं , यूरिन का रंग पीला हो जाता है, मतली लगती है, भूख नहीं लगती,  चक्कर आने लगते हैं, थकावट होती है और वजन तेजी से गिर जाता है। ये  पीलिया के लक्षण हैं। इसके साथ लीवर बहुत ही कमजोर हो जाता है।  पीलिया से छुटकारा पाने के लिए  कुछ नुस्खे  हैं जो  आर्युवेदिक हैं-  1. खाली पेट अरंडी का पत्तों का रस 25 एमए...

माता-पिता के प्रेम का धागा

  माता-पिता के प्रेम का धागा विदेश में काम करते हुए आप हर किसी को अपने विश्वास, अपने धर्म व अपनी पहचान के बारे में विस्तार से नहीं बता सकते क्योंकि वे इससे विदेशी पूरी तरह अनजान होते हैं और उनके लिए यह एक अनोखी बात भी होती है। उनके डिक्शनरी में एक किताब, एक ईश्वर व एक विचारधारा ही होती है। वे अपनी सोच के अनुसार ही निर्णय करते हैं। कैसे हजारों धर्म ग्रंथ हो सकते हैं कैसे कई ईश्वर हो सकते हैं और कैसे विभिन्न पूजा पद्धतियां हो सकती हैं।यह सब कुछ उनको असमंजस में डालने वाला होता है। हमारे लिए यह एक आम बात है और इसमें हम आसानी से जीते हैं। वे हमारे प्रति ग्लानि भाव से देखते हैं कि कैसे ये लोग इतना फंसे हुए हैं और कैसे इतना मैनेज कर लेते हैं, वे अपने माइंडसेट के अनुसार ही निर्णय लेते हैं। वैसे ही जैसे एक बच्चा पूछता है कि अंग्रेज भी तो हमारी तरह अंग्रेजी का अनुवाद हिन्दी में करते होंगे कभी तो उनको अंग्रेजी समझ आती होगी। साथ काम करते अंग्रेज सहयोगी पूछते कि ये जो तुमने कंधे पर धागा पहन रखा है इसका क्या प्रयोजन है। तो मैं बताता कि जैसे हम टाई पहनते हैं और बैल्ट लगाते हैं और समाज में जाते है...

क्या धार्मिक ग्रंथों को वैज्ञानिक ग्रंथ माना जा सकता है?

 क्या धार्मिक ग्रंथों को वैज्ञानिक ग्रंथ माना जा सकता है? क्या सभी धर्मों के ग्रंथों को स्कूलों में विज्ञान की किताबों भौतिकी, रसाइन विज्ञान, जीव विज्ञान के स्थान पर पढ़ा जा सकता है, नहीं। क्या इन ग्रंथों को पढ़ कर कोई छात्र वैज्ञानिक बन सकता है, नहीं। यदि ये ग्रंथ विज्ञान की जगह नहीं ले सकते तो इनमें से विज्ञान निकालना एक तरह की नासमझी ही है।  धार्मिक ग्रंथ पूरी तरह से व्यवहारिक ग्रंथ नहीं हैं,यदि ऐसा होता तो हर डाक्टर, इंजीनियर, वकील, व्यापारी आदि इसे पढ़कर ही बनते और किसी विज्ञान की पुस्तक की जरूरत न होती। धार्मिक ग्रंथों के ज्ञाता प्रचारक तो बन सकते हैं लेकिन यदि उन्हें सरकारी नौकरी पानी है तो प्रोफेशनल कॉलेज आदि की पढ़ाई करनी ही होगी।  जब भी कोई नई वैज्ञानिक खोज होती है तो इसके गुण दोष भी साथ ही आते हैं। उसी के आधार पर खोजों को आगे मानव कल्याण के रास्ते पर लगाया जाता है। यदि किसी आसामाजिक तत्व के हाथ ऐसी खोज पड़ जाती है तो वह विनाश की करता है।  धार्मिक ग्रंथ सभ्य समाज की संरचना कर सकते हैं यदि इनमें समय-समय पर सभ्य तरीके से बदलाव होते रहें।

नई पीढ़ी व पश्चिमी जीवन का रहन सहन

  नई पीढ़ी व पश्चिमी जीवन का रहन सहन मैं तो अभी 16 साल की हुई हूं, 18 की हो जाऊंगी तो अपने फैसले स्वयं लूंगी। कोई होता कौन है जो मुझे बताए या टोटके। मैं समझदार हूं और सब कुछ जान गई हूं। मुझे समझाने की कोशिश न करो। मुझे क्या करना है और क्या नहीं करना मैं समझती हूं। कानून ने मुझे अधिकार दिए हैं। आप  दकियानूसी सोच को अपने पास रखें और अपनी जाति, धर्म को चाट कर खाएं। आज दुनिया कहां कि कहां पहुंच चुकी है और आप वहीं जात पात, धर्म में ही चिपके बैठे हैं। इंसान को इंसान समझना सीखो। हर कोई इंसान है। मैं जिससे  प्यार करती हूं उसी से साथ रहूंगी लिव इन रिलेशन में । यदि आपने कुछ ज्यादा बोला तो घर छोड़कर भाग जाऊंगी। मैं अपनी जिंदगी जीना चाहती हूं। बच्चे ऐसी बातें आप अपने अभिभावकों से करते हैं। अभिभावक सोचने लगते हैं कि हमने क्या नहीं किया इन बच्चों के लिए। अच्छी से अच्छी परवरिश दी,कर्ज लेकर पढ़ाया, अच्छे संस्कार दिए, फिर भी कहां गलती रह गई कि बच्चे विद्रोही हो गए। माता-पिता को पौराणिक, रूढ़िवादी आदि शब्दों से संबोधित करना शुरु कर दिया। अभिभावक अपने बच्चों की खुशी के लिए सब कुछ दांव पर ल...

पौराणिक जगत व संस्कृतियों का क्या संबंध है?

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  पौराणिक जगत व संस्कृतियों का क्या संबंध है? पौराणिक जगत से संस्कृतियों का गहरा संबंध है। किसी भी संस्कृति की कल्पना पौराणिक इतिहास के बिना नहीं की जा सकती। हर संस्कृति का अपना पौराणिक इतिहास है। दुनिया की हर संस्कृति में पौराणिक इतिहास है और इन संस्कृतियों के पौराणिक इतिहास के पात्र एक जैसे ही प्रतीत होते हैं। मिस्र, बेलीलोन, यूनान, रोमन, जापान, पेगेन, वीका, वूडू आदि संस्कृतियों व सभ्यताओं का मूल पौराणिक इतिहास ही है। यदि पौराणिक इतिहास न होता तो ये सभ्यताएं प्रफुल्लित ही नहीं हो पाती। आज इन सभ्यताओं के अवशेषों को देखा जाए तो सृमृद्दि की देवी, सूर्य देव, घोड़े के मुख वाला रोमन देव, सुख समृद्धि की देवी ईस्टर आदि हजारों पौराणिक देवी-देवताओं की मूर्तियां या रेखा चित्र देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये सभ्यताएं कितनी उन्नत रही होंगी। इन नायकों पात्र वास्तिवक होते थे। जैसे सूर्य, जंगल, पृथ्वी, पेड़, पशु आदि पात्र वास्तविक हैं लेकिन इनसे लोग संवाद करने के लिए इनका मानवीय करण कर देते थे। जैसे जंगल से अपनत्व दिखाने के लिए उसे देवता बनाया और फिर उससे देव की तरह संवाद किया और लोक कथाएं,...

गोस्वामी तुलसीदास व श्री रामचरितमानस

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  गोस्वामी तुलसीदास व श्री रामचरितमानस एक समय था जब मुगलों ने अयोध्या में श्री राम का मंदिर ध्वस्त कर दिया था और उस पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कर दिया था। यह एक ऐसा सांस्कृतिक व धार्मिक हमला था जिसमें हिन्दुओं की आस्था को नष्ट करने का कुप्रयास था। ऐसा नहीं था कि मस्जिद बनाने के लिए जगह की कमी थी लेकिन मंदिर को ध्वस्त करना जरूरी था। आस्था को तोड़ना था, श्रीराम जो भारतीय जनमानस के दिलों में बसे थे उस नायक की स्मृति को मिटाना था। एक इंसान ने एक ऐसा इतिहास रच दिया कि जन-जन तक राम की गाथा पहुंचा दी। जितना आस्था को तोड़ने का प्रयास किया गया उतनी ही आस्था और दृढ़ होती गई। गोस्वामी तुलसीदास जी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं राम कथा इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। काव्य ग्रंथ श्री रामचरितमानस ने पूरे हिन्दुस्तान में आस्था की क्रांति ला दी। एक ऐसी चिंगारी उठी कि हर तरफ आस्था की आग लग गई। एक अदना सा इंसान जो दो समय की रोटी भी नहीं जुटा पाता हो उसने रामकथा लिखकर, गाकर राम नाम की अलख जगा दी। यदि गोस्वामी जी ने रामचरितमानस न लिखा होता तो एक नायक श्रीराम जनमानस के ह्दय...

कुम्भ मेला या गंगा स्नान क्या है, इन्हें कैसे टार्गेट किया जाता है

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कुम्भ मेला या गंगा स्नान क्या है, इन्हें कैसे टार्गेट किया जाता है कुम्भ मेला व गंगा स्नान भारतीय संस्कृति का मिलन स्थल है। विभिन्न विचारधाराओं का एक सा मिलना और फिर वापस अपने मूल स्थल पर लौट जाना। दुनिया में सबसे बड़ा मेला जहां 25 करोड़ से अधिक लोग मिलते हैं, आपस में विचार विमर्श करते हैं और स्नान करते हैं। कोई चोरी नहीं होती, कोई छेड़छाड़ की घटना नहीं, न ही कोई बीमारी फैलती है। हजारों सालों से यह राष्ट्रीय एकता का अनौखा संगम। इतने बड़े मानव समूह को देखकर पूरा विश्व दांतों तले उंगलियां दबा लेता है। कोई शैव है, वैष्णव है, निर्मला है सब एक सूत्र में यहां आकर बंध जाते है। सैकुलर सरकार, मिशनरी व वामपंथी नहीं चाहते कि हिन्दुओं की एकता हो और वे इसे टार्गेट करने का पूरा प्रयास किया जाता है। कुम्भ मेले पर टीवी पर एड चलाई जाती है जिसमें एक बेटा अपने बूढ़े बाप को मेले में छोड़कर भागता दिखाया जाता है। समाचार पत्रों में खबरें छपाई जाती हैं कि मेले में लाखों कंडोम बांटे गए हैं, इतने लोगों के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं बीमारी फैल सकती है आदि। मेले में मिशनरी सदस्य दवाई देने के नाम पर टैंट लगाक...