क्या धार्मिक ग्रंथों को वैज्ञानिक ग्रंथ माना जा सकता है?

 क्या धार्मिक ग्रंथों को वैज्ञानिक ग्रंथ माना जा सकता है?

क्या सभी धर्मों के ग्रंथों को स्कूलों में विज्ञान की किताबों भौतिकी, रसाइन विज्ञान, जीव विज्ञान के स्थान पर पढ़ा जा सकता है, नहीं। क्या इन ग्रंथों को पढ़ कर कोई छात्र वैज्ञानिक बन सकता है, नहीं। यदि ये ग्रंथ विज्ञान की जगह नहीं ले सकते तो इनमें से विज्ञान निकालना एक तरह की नासमझी ही है। 

धार्मिक ग्रंथ पूरी तरह से व्यवहारिक ग्रंथ नहीं हैं,यदि ऐसा होता तो हर डाक्टर, इंजीनियर, वकील, व्यापारी आदि इसे पढ़कर ही बनते और किसी विज्ञान की पुस्तक की जरूरत न होती। धार्मिक ग्रंथों के ज्ञाता प्रचारक तो बन सकते हैं लेकिन यदि उन्हें सरकारी नौकरी पानी है तो प्रोफेशनल कॉलेज आदि की पढ़ाई करनी ही होगी।

 जब भी कोई नई वैज्ञानिक खोज होती है तो इसके गुण दोष भी साथ ही आते हैं। उसी के आधार पर खोजों को आगे मानव कल्याण के रास्ते पर लगाया जाता है। यदि किसी आसामाजिक तत्व के हाथ ऐसी खोज पड़ जाती है तो वह विनाश की करता है। 

धार्मिक ग्रंथ सभ्य समाज की संरचना कर सकते हैं यदि इनमें समय-समय पर सभ्य तरीके से बदलाव होते रहें।


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