माता-पिता के प्रेम का धागा
माता-पिता के प्रेम का धागा
विदेश में काम करते हुए आप हर किसी को अपने विश्वास, अपने धर्म व अपनी पहचान के बारे में विस्तार से नहीं बता सकते क्योंकि वे इससे विदेशी पूरी तरह अनजान होते हैं और उनके लिए यह एक अनोखी बात भी होती है। उनके डिक्शनरी में एक किताब, एक ईश्वर व एक विचारधारा ही होती है। वे अपनी सोच के अनुसार ही निर्णय करते हैं। कैसे हजारों धर्म ग्रंथ हो सकते हैं कैसे कई ईश्वर हो सकते हैं और कैसे विभिन्न पूजा पद्धतियां हो सकती हैं।यह सब कुछ उनको असमंजस में डालने वाला होता है। हमारे लिए यह एक आम बात है और इसमें हम आसानी से जीते हैं। वे हमारे प्रति ग्लानि भाव से देखते हैं कि कैसे ये लोग इतना फंसे हुए हैं और कैसे इतना मैनेज कर लेते हैं, वे अपने माइंडसेट के अनुसार ही निर्णय लेते हैं। वैसे ही जैसे एक बच्चा पूछता है कि अंग्रेज भी तो हमारी तरह अंग्रेजी का अनुवाद हिन्दी में करते होंगे कभी तो उनको अंग्रेजी समझ आती होगी।
साथ काम करते अंग्रेज सहयोगी पूछते कि ये जो तुमने कंधे पर धागा पहन रखा है इसका क्या प्रयोजन है। तो मैं बताता कि जैसे हम टाई पहनते हैं और बैल्ट लगाते हैं और समाज में जाते हैं वैसे ही हम जब अपने माता-पिता के साथ होते हैं तो इस धागे को पहने रखते हैं क्योंकि इससे हमारे माता-पिता बहुत खुश होते हैं। जब तक ये धागा हमारे शरीर में होता है तो ऐसा लगता है कि हमारे माता-पिता का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है। ये उन्होंने हमें इसे इसलिए पहनाया था कि वे हमें जब भी देखें इसे पहने ही देखें। माता-पिता हमारी खुशी के लिए बहुत त्याग करते हैं और हम उनकी खुशी के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। हमारे किस काम से माता-पिता को खुशी मिले वही काम करने में हमारी भलाई है। इस प्रकार यदि हम उन्हें धार्मिक महत्व बताएंगे तो उन्हें कुछ समझ नहीं आएगी। कुछ धार्मिक चिन्हों आदि का महत्व केवल हमारे लिए हैं विदेशियों के लिए इसका कोई महत्व नहीं होता। हमें अपनी आस्था को सकारात्मक तरीके से डिफैंड करना या एक्सपलेन करना आना चाहिए लेकिन इससे पहले हमें सामने वाले की आस्था, विश्वास व धर्म के बारे में पता होना चाहिए तभी हम उसे निकटता से समझा सकते हैं।
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