मुगल भारत में ही रह गए लेकिन अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा क्यों
मुगल भारत में ही रह गए लेकिन अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा क्यों
जब मुगलों ने भारत पर आक्रमण किया तो उस समय भारत कई रियासतों में बंटा हुआ था। हरेक राजा का अपना स्वतंत्र शासन था और वह उसी समय किसी पर आक्रमण करता था जब कोई उसकी रियासत पर आक्रमण करता था। कुछ राज आपस में संधी करके भी रहते थे कि यदि इन पर कोई दूसरा राजा आक्रमण करेगा तो वे सभी मिलकर उसका मुकाबला करेंगे। पहले युद्द नियमों का हर राजा पालन करता था। हारे हुए राजा को अधीनता स्वीकार करनी पड़ती, निहत्थे पर वार नहीं किया जाता,उसे जुर्माना लगाया जाता और संधी पत्र पर हस्ताक्षर होते।
महिलाओं व बच्चों, साधारण नागरिकों पर हमला नहीं किया जाता, रात को हमला नहीं होता था आदि। जब मुगलों ने आक्रमण किया तो वे इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते थे कि उनका विश्वास क्या है, धर्म कैसा है या वे उनके बारे में क्या सोचते थे। वे समझते थे कि हमलावर युद्ध नियमों के अनुसार ही लड़ेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ हमलावरों ने रात को हमले किए महिलाओं, बच्चों व आम नागरिकों तक को नहीं छोड़ा। संधी वही थी जो राजा जीतता अन्य राजा उसके साथ मिल जाते और इस प्रकार मुगलों ने अपनी ताकत बढ़ाई। उन्होंने जमकर लूटपाट की लेकिन वे वापस नहीं गए यहीं बस गए।
यहीं महिलाओं से शादियां की और जमकर अय्याशी की। फिर वही सिलसिला जारी हो गया जो पहले था राजाओं की आपसी संधी, रंजिशें व एक दूसरे को हराना। सत्ता के लिए संर्घष जारी रहा। जो विदेशों से सैनिक भी आए थे वे भी यहीं के हो गए वापस जाने की किसी ने नहीं सोची। यहां सबकुछ था जो उन्हें अपने देशों के रेगिस्तानों में नहीं मिलता। अब वे लुटेरे नहीं रहे थे अब वे भी परिवार वाले हो गए थे।
हिन्दुस्तानी राजा उनके खिलाफ लड़ते रहे क्योंकि वे उनके राज्यों को भी हथियाना चाहते थे। इस प्रकार संघर्ष जारी था लेकिन आम हिन्दुस्तानी अन्य राजाओं की तरह ही। वे हिन्दुस्तानी बोलते, पहनावा भी यहीं का अपना लिया व खानपान भी। एक बात जो उन्हें अलग करती थी वह था धर्म। मुगलों ने तेजी से अधिकतर भारतीय लोगों का धर्म बदल दिया। इस कारण वे उनके पाले में चले गए।
जब अंग्रेज भारत में आए तो उनका रंग गोरा था, भाषा अंग्रेजी थी व पहनावा भी अंग्रेजी था। इसका प्रभाव यह पड़ा कि उन्हें विदेशी 7 समुद्र से पार का कहा जाने लगा। अंग्रेज हिन्दुस्तानी भाषा नहीं बोलते थे और न ही भारतीय लोगों से उन्होंने कोई मेल मिलाप रखा। शादियां तो बहुत ही दूर की बात थी।
अंग्रेजों ने स्वयं को विदेशी ही घोषित किया हुआ था। यदि वे भी भारतीय भाषा बोलने लगते, यहां का पहनावा पहनने लगते, यहां का माल लूटकर अपनी रानी को इंगलैंड न भेजते तो वे वहीं के वाशिंदे कहलाने लगते। यदि वे एक या अन्य रियासत तक स्वयं को सीमित रखते, व्यापार करते रहते और किसी दूसरे राजा पर आक्रमण न करते और रानी से अपने सारे संबंध तोड़ लेते तो वे भी यहीं के वाशिंदे बन जाने थे।
अंग्रेज भारतीय संस्कृति में स्वयं को समाहित नहीं कर पाए। उनके दिमाग में था कि यहां से माल बटोर कर वापिस इंगलैंड जाकर आराम की जिंदगी जीनी है। ऐसा सोचते- सोचते लालच में वे कब हमलावर हो गए पता ही नहीं चला। अंग्रेजों ने अपने कानून, नियम भारतीयों पर थोपने शुरु कर दिए। इसके विरोध में लोग खड़े हो गए और अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।
मुगलों ने तेजी से अधिकतर भारतीय लोगों का धर्म बदल दिया। इस कारण वे उनके पाले में चले गए।
जब मुगलों ने भारत पर आक्रमण किया तो उस समय भारत कई रियासतों में बंटा हुआ था। हरेक राजा का अपना स्वतंत्र शासन था और वह उसी समय किसी पर आक्रमण करता था जब कोई उसकी रियासत पर आक्रमण करता था। कुछ राज आपस में संधी करके भी रहते थे कि यदि इन पर कोई दूसरा राजा आक्रमण करेगा तो वे सभी मिलकर उसका मुकाबला करेंगे। पहले युद्द नियमों का हर राजा पालन करता था। हारे हुए राजा को अधीनता स्वीकार करनी पड़ती, निहत्थे पर वार नहीं किया जाता,उसे जुर्माना लगाया जाता और संधी पत्र पर हस्ताक्षर होते।
महिलाओं व बच्चों, साधारण नागरिकों पर हमला नहीं किया जाता, रात को हमला नहीं होता था आदि। जब मुगलों ने आक्रमण किया तो वे इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते थे कि उनका विश्वास क्या है, धर्म कैसा है या वे उनके बारे में क्या सोचते थे। वे समझते थे कि हमलावर युद्ध नियमों के अनुसार ही लड़ेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ हमलावरों ने रात को हमले किए महिलाओं, बच्चों व आम नागरिकों तक को नहीं छोड़ा। संधी वही थी जो राजा जीतता अन्य राजा उसके साथ मिल जाते और इस प्रकार मुगलों ने अपनी ताकत बढ़ाई। उन्होंने जमकर लूटपाट की लेकिन वे वापस नहीं गए यहीं बस गए।
यहीं महिलाओं से शादियां की और जमकर अय्याशी की। फिर वही सिलसिला जारी हो गया जो पहले था राजाओं की आपसी संधी, रंजिशें व एक दूसरे को हराना। सत्ता के लिए संर्घष जारी रहा। जो विदेशों से सैनिक भी आए थे वे भी यहीं के हो गए वापस जाने की किसी ने नहीं सोची। यहां सबकुछ था जो उन्हें अपने देशों के रेगिस्तानों में नहीं मिलता। अब वे लुटेरे नहीं रहे थे अब वे भी परिवार वाले हो गए थे।
हिन्दुस्तानी राजा उनके खिलाफ लड़ते रहे क्योंकि वे उनके राज्यों को भी हथियाना चाहते थे। इस प्रकार संघर्ष जारी था लेकिन आम हिन्दुस्तानी अन्य राजाओं की तरह ही। वे हिन्दुस्तानी बोलते, पहनावा भी यहीं का अपना लिया व खानपान भी। एक बात जो उन्हें अलग करती थी वह था धर्म। मुगलों ने तेजी से अधिकतर भारतीय लोगों का धर्म बदल दिया। इस कारण वे उनके पाले में चले गए।
जब अंग्रेज भारत में आए तो उनका रंग गोरा था, भाषा अंग्रेजी थी व पहनावा भी अंग्रेजी था। इसका प्रभाव यह पड़ा कि उन्हें विदेशी 7 समुद्र से पार का कहा जाने लगा। अंग्रेज हिन्दुस्तानी भाषा नहीं बोलते थे और न ही भारतीय लोगों से उन्होंने कोई मेल मिलाप रखा। शादियां तो बहुत ही दूर की बात थी।
अंग्रेजों ने स्वयं को विदेशी ही घोषित किया हुआ था। यदि वे भी भारतीय भाषा बोलने लगते, यहां का पहनावा पहनने लगते, यहां का माल लूटकर अपनी रानी को इंगलैंड न भेजते तो वे वहीं के वाशिंदे कहलाने लगते। यदि वे एक या अन्य रियासत तक स्वयं को सीमित रखते, व्यापार करते रहते और किसी दूसरे राजा पर आक्रमण न करते और रानी से अपने सारे संबंध तोड़ लेते तो वे भी यहीं के वाशिंदे बन जाने थे।
अंग्रेज भारतीय संस्कृति में स्वयं को समाहित नहीं कर पाए। उनके दिमाग में था कि यहां से माल बटोर कर वापिस इंगलैंड जाकर आराम की जिंदगी जीनी है। ऐसा सोचते- सोचते लालच में वे कब हमलावर हो गए पता ही नहीं चला। अंग्रेजों ने अपने कानून, नियम भारतीयों पर थोपने शुरु कर दिए। इसके विरोध में लोग खड़े हो गए और अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।
मुगलों ने तेजी से अधिकतर भारतीय लोगों का धर्म बदल दिया। इस कारण वे उनके पाले में चले गए।
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