पवित्र सरोवर व गंदे लोग
पवित्र सरोवर व गंदे लोग
बहुत समय पहले की बात है कि एक गांव में एक बहुत बड़ा सरोवर था। गांव के लोग इस सरोवर को पवित्र मानते थे। उन्हें विश्वास था कि इस सरोवर में स्नान करने से रोग व कष्ट दूर हो जाते हैं। लोगों में यह भी विश्वास था कि यह सरोवर उनके किए गए बुरे कर्मों का भी नाश करता है। इस प्रकार वे सभी पवित्र काम इसी सरोवर में नहाने के बाद करते थे। सरोवर का जल उनके लिए पवित्र अमृत के समान था। वे इसे पीने के लिए भी प्रयोगकरते थे। इस प्रकार गांववासियों का समय अच्छा व्यतीत हो रहा था।
इसी दौरान गांव के बाहर शहर के कुछ अधर्मी लोग आ गए। उनकेे मन में गांववासियों की श्रद्धा का कोई स्थान नहीं था। वे रोज नहाने के बहाने सरोवर के पास जाते और जानबूझ कर सरोवर में नहाते समय मूत्र निवारण कर देते। कुछ तो इतने हरामी थे कि वे शौच करने के बाद सीधे सरोवर में घुस जाते और सरोवर को अपवित्र कर देते।
गांव वासी इस सबसे अंजान थे क्योंकि ये हरामी किस्म के लोग बड़ी चालाकी से यह सबकुछ करते। जब वे
गांववासियों से मिलते तो कहते कि सचमुच सरोवर बहुत ही पवित्र है। यहां स्नान करने से उनके पाप कट गए हैं।
किसी भी गांववासी को उनकी भनक तक न लगी।
जब ये अधर्मी लोग मिलते तो आपस में बातें करते कि देखा कैसे लोगों को हम अपना मूत्र व शोच से मिला जल पिला रहे हैं और ये मूर्ख समझते हैं कि हम बहुत ही धार्मिक हैं। एक दिन गांव की एक महिला ने उन्हें ऐसा करते
देख लिया और गांववासियों को सूचित कर दिया। गांववासियों में हाहाकार मच गया। महिलाएं, बच्चे ये सब बर्दाश्त न कर सके और फूट-फू ट कर रोने लगे। उनक ी धाॢमक भावनाएं बुरी तरह से आहत हुई थी।
गांववासियों ने अधर्मियों को सबक सिखाने की ठान ली। सारे गांववासियों ने एक प्लान बनाया जिससे उनके
किए गए कुकर्मों की सजा उन्हें मिल सके। सारे गांववासी एकत्र हुए और उन्होंने सारे हरामियों को उनके
घरों से उठा लिया। जिस सरोवर में गंद डालते थे उन्हें उसी में डुबा कर मार डाला। उनकी लाशें सरोवर में रात को तैरती रहीं। सुबह गांव वासियों ने शोर मचा दिया कि कुछ लोग रात को सरोवर में नहाते समय डूब गए और मारे गए। इस प्रकार गांवासियों ने अपनी श्रद्धा को टूटने से बचा लिया और अपनी सूझबूझ व एकता से अधर्मियों का नाश भी कर दिया।
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