विवाह में देरी क्यों, समाधान व उपाय
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विवाह में देरी क्यों, समाधान व उपाय
वर्तमान समय तेजी से भाग रहा है। हर तरफ दौड़ लगी हुई है। भारत में पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव भी जोरों पर है।
लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं। लड़के व लड़कियां नौकरी कर रहे हैं। इस दौरान पढ़ाई करते करते लड़का- लड़की
की आयु 25-26 वर्ष तक हो जाती है और फिर होती है नौकरी की तलाश। कोई भाग्यशाली ही होता है जिसे सरकारी नौकरी लग जाती है बाकी सब छोटा-मोटा काम धंधा अपना लेते हैं।
इस प्रकार पता ही नहीं चलता कि शादी की उम्र कब निकल गई। जो लोग अपने बच्चों को पढ़ाते नहीं और जल्दी ही काम धंधे में लगा देते हैं वे 22 की उम्र पहुंचते ही 6-7 बच्चों के पिता-माता बन जाते हैं। जिन घरों की लड़कियां ज्यादा पढ़ लिख जाती हैं उनके लिए योग्य वर ही नहीं मिलता और वे अविवाहित ही रह जाती हैं। यह एक घोर समस्या बनती जा रही है।
उच्च या नौकरी में लगे लोग तो अपनी पसंद की शादी कर लेते हैं लेकिन मध्यम वर्ग के लिए समस्या रहती है कि वे कहां से उचित वर-वधू की तलाश करें।
यदि कोई लड़का अच्छी पोस्ट पर लगता है तो उसे चाहिए कि अपनी जाति की किसी कन्या से ही शादी करे ताकि एक कन्या को वर मिल सके। इसी तरह लड़की को भी चाहिए कि वह स्टेटस व पढ़ाई का गर्व न करते हुए अपनी जाति के किसी समझदार युवक को ही चुने।
इससे यह होगा कि कम से कम जाति में तो लड़का-लड़की कुंवारा नहीं रहेगा। मान लो एक दलित समाज का लड़का या लड़की ऊंचे पोस्ट पर है यदि वह अपनी बिरादरी में शादी करता है या करती है तो एक-एक घर संवर सकता है। यह भी पुण्य का काम होता है।
प्रेम विवाह के चक्कर में बिरादरियों में लड़का- लड़की कुंवारे रह जाते हैं। हां यदि बिरादरी में नहीं कोई योग्य वर मिलता तो बिरादरी के बाहर शादी की जा सकती है। मान लो कि एक किसी बिरादरी की लड़की अच्छा पढ़ लिख गई है यदि व अपनी बिरादरी से कम पढ़े लिखे से भी शादी करती है तो बिरादरी का एक युवक विवाहित होता है। यही नियम लड़कों पर भी लागू हो सकता है।
हम यहां कुछ ज्योतिषीय कारण भी आपको बता रहे हैं जिस कारण विवाह में देरी होती है।
शनि ग्रह दूसरे,तीसरे,पांचवें,सातवें तथा विशेषकर जब लग्न अथवा चंद्र लग्न से शनि 1,3,5,7,10 भावों में होता है तो स्वयं किसी शुभ भाव का स्वामी अथवा सूचक नहीं होता, विवाह विघ्न विलम्ब दिखाता है।
बुरे ग्रह यदि सातवें,पांचवें या ग्यारहवें भाव में हों और इन पर प्रभाव भी अशुभ हो तो भी विवाह विलम्ब से होता है। काम नहीं बनता, रिश्ता टूट जाता है। यदि चंद्र शनि जन्म कुंडली में कहीं भी एक साथ हों विशेष तौर पर 1,2,5,7,11 भावों में हों तो विवाह विलम्ब से होता है।
शुक्र व मंगल यदि किसी भाव में एक साथ हों तो भी विवाह विलम्ब से होता है। इस दौरान विवाह के बाद भी अनबन देखी गई है। यदि ये 5,7,9 भावों में हों तो और भी अशांति देखी गई है और इनका प्रभाव अशुभ होता है।
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