हिन्दू अन्न के बारे में क्या नजरिया रखते हैं?

 


हिन्दू अन्न के बारे में क्या नजरिया रखते हैं?


हिन्दू अन्न को  परमात्मा भी कहते हैं । वे मानते हैं कि मां अन्नपूर्णा इस संसार के समस्त जीवों का भरण- पोषण करती हैं। अन्न को पवित्रता की श्रेणी में रखा जाता है। भोजन कैसा होना चाहिए, कहां करना चाहिए और कितना करना चाहिए इसके लिए हर हिन्दू बचपन से ही जागृत होता है।


घरों का माहौल ही ऐसा होता है कि भगवान को भोग लगाने के बाद ही भोजन किया जाता है। गांवों के लोग भोजन के प्रति बहुत ही सावधानी रखते हैं । वे बाहर का भोजन करने से परहेज करते हैं और घर में सात्विक भोजन करते हैं। ज्यादातर हिन्दू शाकाहारी भोजन को ही महत्व देते हैं। यही उनके अच्छे स्वास्थ्य का एक बहुत बड़ा कारण होता है। घर का माहौल ही ऐसा होता है कि परिजन हर रोज सात्विक भोजन करने व कहां भोजन नहीं करना है के बारे में बात करते रहते हैं। रसोईघर एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है और वहां प्रवेश करने के लिए कुछ नियमों का पालन हरेक को करना होता है। भोजन करने से पहले गौ ग्रास व कौए व कुत्ते के लिए लिए भी भोजन रखा जाता है।


कहीं तो पहली रोटी गऊ को या कुत्ते के  लिए रखी जाती है। जल को ग्रहण करने के भी नियम हैं । आसन की शुद्धता भी जरूरी होती है। हिन्दुओं को ऐसा दिखाने की जरूरत नहीं होती वे इसको हर कदम पर थोड़ा बहुत जानते ही हैं। पूरी दुनिया को शाकाहार व सात्विक भोजन, आयुर्वेदिक योग, शादी का कांसेप्ट हिंदुओं की तरफ से ही दिया गया है। 


नोट- आपका पानी आपको ही बेचा जा रहा है। 


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