पश्चिम में नास्तिकवाद क्यों तेजी से फैल रहा है

पश्चिम में नास्तिकवाद क्यों तेजी से फैल रहा है

पश्चिमी देशों में जैसे ही लोग सभ्य होते गए वैसे ही उन्होंने अपने धर्म ग्रंथों का भी विभिन्न नजरियों से अवलोकन करना शुरु कर दिया। पहले इंटरनैट न होने के कारण लोगों का माइंडसेट केवल एक ही तरह की विचारधारा को पचाने में सक्षम था। यदि कोई अन्य विचारधारा उनको पेश भी की जाती वे जल्दी ही ओफैंड हो जाते थे। लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान तर्क व प्रमाण के साथ अपनी खोजों को  सामने रखने लगा तो लोगों में रिलीजन के प्रति रुचि कम होने लगी। लोग कोई भी धार्मिक प्रतिबंध को मानने के लिए तैयार नहीं थे। वे दकियानूसी बातों को मानने से इंकार करने लगे। इस प्रकार नास्तिकवाद ने पश्चिमी देशों में अपने पैर जमा लिए। आज विश्व में नास्तिक लोगों की संख्या तेजी से फैल रही है। ये लोग बहुत ही सभ्य हैं और अपनी बात रखते हैं। इनमें से कई लोग बांगलादेश,पाकिस्तान व अरब आदि देशों से बचकर निकले हैं और पश्चिमी देशों ने उदारता से इनको शरण भी दी है क्योंकि यदि ये लोग अपने देशों में होते इनकी हत्या कर दी गई होती। आज सोशल मीडिया,यू ट्यूब में इन नास्तिकों के चैनलों में लाखों की संख्या में लोग हैं। आज जो लोग अब्राहमिक रिलीजनों के चंगुल से निकल रहे हैं उनको सहयोग की जरूरत है।

हिन्दू धर्म में नास्तिवाद का स्थान- हिन्दू धर्म में नास्तिकवाद का स्थान सिर्फ एक अन्य विचारधारा के तौर पर ही है। नास्तिकों को ईश्वर में विश्वास न करके के कारण कोई जान का खतरा नहीं। एक ही परिवार में कई सदस्य नास्तिक भी हैं लेकिन वे सभी अपनी विचारधारा के अनुसार जीवन जी सकते हैं। भारत में जैन धर्म व बौध धर्म साथ-साथ ही पनपते रहे हैं। वैचारिक मतभेद तो हैं लेकिन किसी को भी जान से नहीं मारा जाता जैसे कि पाकिस्तान व अरब देशों में हर साल नास्तिकों की हत्या बलैस्मी के नाम पर कर दी जाती है। 

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