रामायण व महाभारत पूरे हिन्दू समाज को एक करने की समर्था रखते हैं
रामायण व महाभारत पूरे हिन्दू समाज को एक करने की समर्था रखते हैं रामायण व महाभारत पूरे हिन्दू समाज को एक करने की समर्था रखते हैं और जब तक भारत है और ये महागाथाएं व इनके पात्र अमर हैं। भारत का जनमानस इन महागाथाओं में ऐसे रचा बसा है कि इनसे इनको दूर करना असम्भव है। बस यही वामपंथियों, अधर्मियों के रास्ते में बड़ा बाधक है। इसी कारण ये लोग इन महागाथाओं व इनके नायकों से इतना भय खाते हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि इन महागाथाओं व इनके नायकों को भारतीय जनमानस के हृदय पटलों से दूर करना आसान काम नहीं है। हिन्दू इनके पात्रों को ईश्वर का रूप मानते हैं और उन्हें अपना मित्र,पूर्वज, सलाहकार भी मारते हैं। उनसे ये जीवन की प्रेरणा भी लेते हैं। ये महाग्रंथ भारतीय इतिहास का जीवंत उदाहरण भी हैं। इस ऐतिहासिक घटनाओं को अधर्मि मिथिहास बताते हैं। इनके कुचक्र में भारतीय सैकुलर व कई तथाकथित समाज सुधारक भी फंस चुके हैं। ये लोग पहले इन महान नायकों को मिथिहासिक, फिर विलेन तथा इसके बाद इन्हें नकारने का प्रयास करते हैं। इन तीनों नेरेटिव को अलग-अलग हिन्दुओं के गुटों में प्रचारित किया जाता है और यदि कुछ हिन्दू इनके जा...