महामृत्युंजय मंत्र से क्या होता है?
महामृत्युंजय मंत्र से क्या होता है? - महामत्युंजय मंत्र के बहुत ही लाभ हैं इन लाभों के बारें में निम्न लिखित जानकारी हम आपको दे रहे हैं।
1 महामत्युंजय मंत्र ऐसा शक्तिशाली मंत्र है जिसके उच्चारण मात्र से हर तरह का संकट, बीमारी दूर हो जाती है।
2. इससे साधक को मृत्यु का भय नहीं लगता।
3. यह मंत्र साधक को अकाल मृत्यु के जंजाल से बचा लेता है।
4. इस मंत्र महा-मृत्युं-जय का अर्थ है मौत पर विजय पाना। जो भी प्राणी इस मंत्र के प्रभाव में आ जाता है, वह मौत पर विजय पा लेता है।
5.जिस प्रकार गायत्री मंत्र की महिमा है उसी प्रकार त्रियंबकं मंत्र भी ऐसी पाजिटिव एनर्जी को पैदा करता है कि हर प्रकार की समस्या दूर हो जाती है।
6. इस मंत्र की महिमा वेदों में गाई गई है, विशेषकर इसका वर्णन ऋगवेद में किया गया है।
7.ऐसा माना जाता है कि जिसकी जब बचने की कोई उम्मीद नहीं रहती, तो इस मंत्र को जाप से उसको मौत से भी बचा कर वापस लाया जा सकता है।
8.यह मंत्र आपके आसपास सुरक्षा की एक ढाल बना देता है। जिससे कोई भी आपको नुक्सान नहीं पहुंचा पाता।
9. यह मंत्र आपको चुनौतियों से जूझने की शक्ति प्रदान करता है, जीवन में आ रही अड़चनों को दूर करता है और भाग्य को चमकाता है।
10.इस मंत्र के जाप से समृद्धि आती है।
11. आप ऐसे मोड़ पर फंस गए हैं, जहां से आपको कोई रास्ता नहीं दिखाई देता तो यह मंत्र आपको सही निर्णय लेने में मदद करता है।
12. आपकी कुंडली में ग्रहों के दोष हों, अंतर दशा, महादशा,राहू , कालसर्प दोष हों तो यह इन दोषों को दूर करता है।
13. इस मंत्र के जाप से आप जीवन मरण के चक्र से छुटकारा पा सकते हैं।
14 आपको बुरे स्वप्न आते हैं और आप सो नहीं पाते तो यह आपके भय को दूर करता है और आपको अच्छी नींद आती है।
15. मेलापक में नाड़ीदोष, षडाष्टक आदि आता हो तो इस मंत्र का जाप करवाना चाहिए।
महामृत्युंजय जाप कौन सा है?
इस मंत्र का करें जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
महामृत्युंजय दौरान सावधानियां-
महामृत्युंजय मंत्र का जप स्नान करते समय करने से स्वास्थय का लाभ होता है।
दूध को देखकर इस मंत्र का जप किया जाए और फिर वही दूध का सेवन किया जाए तो यौवन की सुरक्षा होती है। इसका जप करने से बहुत सी बाधाएं दूर होती हैं।
महामृत्युंजय जाप कैसे किया जाता है? महामृत्युंजय मंत्र जप में जरूरी है सावधानियां
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है, लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां रखना चाहिए जिससे कि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे।
अतः जप से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए।
2. महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार करना चाहिए?- मंत्रों की संख्या निश्चित कर लें। यदि आप 108 बार जप करते हैं तो अगले दिन आप संख्या बढ़ा सकते हैं लेकिन संख्या कम न करें।
3. मंत्र का उच्चारण न तो ज्यादा तेज हो और न ही धीमा। आवाज बहुत ऊंची नहीं होनी चाहिए।
4. मंत्र जाप के दौरान धूप-दीपक जला कर रखना चाहिए।
5. महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला लेकर ही करें।
6. जप काल दौरान भगवान शिव की प्रतिमा, तस्वीर या शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखा जाना बहुत ही आवश्यक है।
7. कुशा आसन पर बैठ कर ही मंत्र का जाप करना चाहिए।
8. कच्ची लस्सी दूध मिले जल से शिव का अभिषेक करते रहें ।
9. पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
10. एक स्थान निश्चित कर लें और उसी स्थान पर प्रतिदिन मंत्र का जाप करें।
11. जपकाल दौरान मन को इधर-उधर न भटकटने दें।
12. जपकाल दौरान चेतन्य अवस्था में बैठें आलस्य या उबासी को न आने दें।
13. मिथ्या बातें न करें।
14. जपकाल में स्त्री सम्भोग से दूर रहें, पवित्रता बनाएं रखें।
15. मांसाहार न करें और शरीर को शुद्ध रखें।
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1 महामत्युंजय मंत्र ऐसा शक्तिशाली मंत्र है जिसके उच्चारण मात्र से हर तरह का संकट, बीमारी दूर हो जाती है।
2. इससे साधक को मृत्यु का भय नहीं लगता।
3. यह मंत्र साधक को अकाल मृत्यु के जंजाल से बचा लेता है।
4. इस मंत्र महा-मृत्युं-जय का अर्थ है मौत पर विजय पाना। जो भी प्राणी इस मंत्र के प्रभाव में आ जाता है, वह मौत पर विजय पा लेता है।
5.जिस प्रकार गायत्री मंत्र की महिमा है उसी प्रकार त्रियंबकं मंत्र भी ऐसी पाजिटिव एनर्जी को पैदा करता है कि हर प्रकार की समस्या दूर हो जाती है।
6. इस मंत्र की महिमा वेदों में गाई गई है, विशेषकर इसका वर्णन ऋगवेद में किया गया है।
7.ऐसा माना जाता है कि जिसकी जब बचने की कोई उम्मीद नहीं रहती, तो इस मंत्र को जाप से उसको मौत से भी बचा कर वापस लाया जा सकता है।
8.यह मंत्र आपके आसपास सुरक्षा की एक ढाल बना देता है। जिससे कोई भी आपको नुक्सान नहीं पहुंचा पाता।
9. यह मंत्र आपको चुनौतियों से जूझने की शक्ति प्रदान करता है, जीवन में आ रही अड़चनों को दूर करता है और भाग्य को चमकाता है।
10.इस मंत्र के जाप से समृद्धि आती है।
11. आप ऐसे मोड़ पर फंस गए हैं, जहां से आपको कोई रास्ता नहीं दिखाई देता तो यह मंत्र आपको सही निर्णय लेने में मदद करता है।
12. आपकी कुंडली में ग्रहों के दोष हों, अंतर दशा, महादशा,राहू , कालसर्प दोष हों तो यह इन दोषों को दूर करता है।
13. इस मंत्र के जाप से आप जीवन मरण के चक्र से छुटकारा पा सकते हैं।
14 आपको बुरे स्वप्न आते हैं और आप सो नहीं पाते तो यह आपके भय को दूर करता है और आपको अच्छी नींद आती है।
15. मेलापक में नाड़ीदोष, षडाष्टक आदि आता हो तो इस मंत्र का जाप करवाना चाहिए।
महामृत्युंजय जाप कौन सा है?
इस मंत्र का करें जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
महामृत्युंजय दौरान सावधानियां-
महामृत्युंजय मंत्र का जप स्नान करते समय करने से स्वास्थय का लाभ होता है।
दूध को देखकर इस मंत्र का जप किया जाए और फिर वही दूध का सेवन किया जाए तो यौवन की सुरक्षा होती है। इसका जप करने से बहुत सी बाधाएं दूर होती हैं।
महामृत्युंजय जाप कैसे किया जाता है? महामृत्युंजय मंत्र जप में जरूरी है सावधानियां
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है, लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां रखना चाहिए जिससे कि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे।
अतः जप से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए।
2. महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार करना चाहिए?- मंत्रों की संख्या निश्चित कर लें। यदि आप 108 बार जप करते हैं तो अगले दिन आप संख्या बढ़ा सकते हैं लेकिन संख्या कम न करें।
3. मंत्र का उच्चारण न तो ज्यादा तेज हो और न ही धीमा। आवाज बहुत ऊंची नहीं होनी चाहिए।
4. मंत्र जाप के दौरान धूप-दीपक जला कर रखना चाहिए।
5. महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला लेकर ही करें।
6. जप काल दौरान भगवान शिव की प्रतिमा, तस्वीर या शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखा जाना बहुत ही आवश्यक है।
7. कुशा आसन पर बैठ कर ही मंत्र का जाप करना चाहिए।
8. कच्ची लस्सी दूध मिले जल से शिव का अभिषेक करते रहें ।
9. पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
10. एक स्थान निश्चित कर लें और उसी स्थान पर प्रतिदिन मंत्र का जाप करें।
11. जपकाल दौरान मन को इधर-उधर न भटकटने दें।
12. जपकाल दौरान चेतन्य अवस्था में बैठें आलस्य या उबासी को न आने दें।
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