एक वायरस ने पूरी दुनिया की जीवन शैली को बदल दिया

एक वायरस ने पूरी दुनिया की जीवन शैली को बदल दिया

आज एक वायरस ने पूरी दुनिया की जीवन शैली को बदल दिया है। जो लोग कल उछल-उछल कर भारतीय सनातन वैदिक जीवन शैली का ब्राह्मणवादी, पिछड़े, पौंगे आदि कह कर मजाक उड़ाते थे। वे मौत के भय से उस शैली को अपना रहे हैं। एकदम से जीवन में परिवर्तन हो गया है। लोग नमस्ते कर रहे हैं, शाकाहारी हो रहे हैं, योग को अपना रहे हैं, आयुर्वेद को नतमस्तक हो रहे हैं ।
भारतीय ऋषि मुनियों के दिए हठ योग, ज्ञान योग व भक्ति योग की तरफ आ रहे हैं। एकदम से ऐसा हुआ कि सभी देशों की सरकारों ने शवों का दाह-संस्कार करने को कह दिया। जेनेटिक वैज्ञानिकों ने कह दिया कि आपसी रिश्तेदारों में शादियां न करो,इससे अगली पीढ़ी में रोगों से लड़ने प्रतिरोधकता कम होती जा रही है।

आज लोग  सूतक, वैदिक अंतिम संस्कार के नियमों का,  हवन के लाभों का भी, अध्यात्मिकता का भी और मैडिटेशन का लाभ उठा रहे हैं। मूक प्राणियों पर किए जाते अत्याचारों का विरोध वेगन लोग पूरी दुनिया में कर रहे हैं। यद्दपि वे नहीं जानते कि वेगन यानि पूर्ण शाकाहार का नियम भारत ने ही दुनिया को दिया है।

आज सरकारें बहुत से लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने से लोगों को रोक रही हैं और वे संयमित जीवन बीमारी से बचने का साधन ऐसा बता रही हैं। एड्स जैसी संक्रामक बीमारी से बचने का उपाय संयमित जीवन वैदिक जीवन प्रणाली का ही हिस्सा हैं। आज जीवन को बचाने का एकमात्र ही तरीका है सनातन वैदिक जीवन पद्धति। नमस्ते करो, दूरी बनाए रखो, जूठा न खाओ,जीवों, पेड़ों पर दया करो,  स्वस्छता बनाए रखो। प्रकृति मां है, इसका शोषण न करो। 

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