एक अंग्रेज की अपराध स्वीकारोक्ति - द कनफैशन

एक अंग्रेज की अपराध स्वीकारोक्ति - द कनफैशन 

मेरा नाम विलीयम्स जोन्स है, और मैं अंग्रेज हूं। मैं यहां अपने  किए अपराधों की स्वीकारोक्ति करने के लिए खुले मन से यह पत्र लिख रहा हूं। मैं अंग्रेजों के किए नरसंहार, दूसरों की भूमि पर किए कब्जों, दुष्कर्म, चालाकियों, धोखेबाजी, झूठ, फरेब के बारे में कनफैशन करने के लिए आया हूं। मैं मानता हूं कि दुनिया की सबसे धूर्त, चालाक, अपराधी व दूसरों पर हावी होने वाली कौम अंग्रेज है। यह ऐसी कौम है जिसपर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता, जिसने भी विश्वास किया वह इस धरती पर जिंदा नहीं रहा। 
आज हमारे गुलाम रह चुके लोग हमें सभ्य कहते हैं लेकिन हमारे पूर्वजों ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे उन्हें सभ्य कहा जाए। भारत जैसे देश में हम व्यापार करने के लिए गए थे, जब हमने देखा कि ये लोग तो बहुत ही भोले भाले हैं । इन्हें आसानी से लड़ाया जा सकता है तो हमने जाति, धर्म, रंग आदि के नाम पर उन्हें तोड़ा। एक राजा को को अपने साथ मिलाया उसे दूसरे राजा को खत्म करने के लिए प्रयोग किया। हमने लाखों संधियां की लेकिन हमने जब चाहा, संधी को तोड़ दिया।

 हमने कई करार व वचन दिए और सभी को अपनी मर्जी से अपनी सुविधा के अनुसार तोड़ा। काले गुलाम लोग आज भी हमारी संधियों पर विश्वास करते हैं और उन्हें मानते हैं,जबकि इनका अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। हमने भारत को जमकर लूटा और हमारी लूट का विरोध करने वाले उनके असली वारिसों का जमकर कत्लेआम किया। 
हम अंग्रेजों की गोरी चमड़ी के नीचे हजारों गंदे राज छिपे हैं जो अपराधी होने की तरफ इंगित करते हैं। अंग्रेजों ने भारतीयों पर जमकर अत्याचार किए लेकिन हमें रोकने के लिए कोई नहीं था। एक अंग्रेज जो कई भारतीयों की हत्यारा था, वह खुलेआम घूमता था लेकिन जैसे ही कोई भारतीय अंग्रेज की हत्या करता तो इसकी सजा सारे गांव को दी जाती। भारत जैसे धनवान व सभ्य देश को हमने गुलाम बनाया। वे हम भेड़ियों की खाल में जानवरों को पहचान नहीं सके और हमारा आसानी से शिकार हो गए। 

आज जब मैं अपने अतीत में देखता हूं तो पाता हूं कि महानता जैसी बात अंग्रेजों ने कभी नहीं की। बस एक गुलाम देशों की सभ्यता को नष्ट करने व अपनी सभ्यता  को थोपने का ही प्रयास किया है। अंग्रेजों ने प्रोफैशनल लुटेरों जैसे ही दूसरे देशों को लूटा। कभी भी किसी अंग्रेज पर भरोसा न करो, यह विश्वास करने वाली कौम नहीं।  (सर विलियमजोन्स की कलम से। विलियम जोन्स ईस्ट इंडिया कम्पनी का अधिकारी था और इसने अंग्रेजों की चालाकियों पर अपराध स्वीकाररोक्ति पत्र लिखे थे जो कि अंग्रेजों ने नष्ट कर दिए थे। इनमें अंग्रेजों के काले कारनामों का वर्णऩ था। यह पत्र नष्ट करने से पहले उसे अनुयायी ने प्रमाण के तौर पर सम्भाल लिया था।)

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