चीन ने भारत पर 600 साल तक शासन किया गया होता तो क्या होता?

चीन ने भारत पर 600 साल तक शासन किया गया होता तो क्या होता!!!

कभी आपने सोचा कि चीन ने भारत पर अंग्रेजों व मुगलों की जगह पर भारत में 600 साल तक शासन किया होता तो क्या होता। चीनियों ने भारत पर शासन किया होता तो दिल्ली, मुम्बई आदि शहरों व गांवों के नाम चिंग मिंग तू, शान शा या कोई अन्य चीनी नाम पर होते। भारत का एक और चीनी नाम होता जैसे शिंगमिंग। वामपंथी सरकारें होतीं और भारत की मुख्य भाषा चीनी होती। जिस तरह लोग अंग्रेजी बोलने पर गर्व महसूस करते हैं वैसे चीनी भाषा को बोला जाता। 
हर हिन्दू धार्मिक चिन्हों, ग्रंथों, त्यौहारों, मेलों आदि पर कब का बैन लग गया होता। गंगा जी के किनारे पिकनिक स्पॉट बने होते और हर की पौढ़ी को हर कोई भूल गया होता। धार्मिक ग्रंथों पर बैन लगा होता और इन्हें रखने वाले और पढ़ने वालों को देशद्रोही माना जाता, तुरंत मौत के घाट उतार दिया जाता। जो भी भारतीय संस्कृति की बात करता या किसी तरह के धार्मिक चिन्हों का प्रयोग करता दिखाई देता तो तुरंत गोली मार दी जाती। जलियांवाला बाग में भारतीयों को मारने का आदेश देने वाला चीनी होता। 

चीनियों का दमन चक्र इतना भयंकर होता जैसे उन्होंने तिब्बतियों का नरसंहार किया वैसे ही वे भारतीयों का करते। कुत्ते, बिल्ली आदि का भी मांस शौक से खाया जाता। भारतीय नायकों के स्थान पर चीनी नायकों की बहादुरी के किस्से सुनाए जाते। जिस प्रकार भारत के वामपंथी चीनियों की भाषा बोलते हैं वैसे ही वामपंथियों का बोलबाला होता। सारे मंदिरों को धवस्त कर दिया जाता और वहां जाने पर प्रतिबंध व कड़ी सजाएं होतीं। आज भारतीय गुलाम चीनी गाथाओं का महिमामंडन कर रहे होते कि हमें जैसे अंग्रेजों ने क्रिकेट दिया, मुगलों ने मटन टिक्का दिया वैसे ही चीनियों ने हमें चीनी सिखाई और कुत्ते बिल्ली का गोश्त खाना सिखाया।

 हर ऊंची पोस्ट पर चीनियों का कब्जा होता। चीनियों व भारतीयों की एक मिक्स ब्रीड सामने होती जो अपने को चीनी मानती। हमारे महानयकों राम, कृष्ण आदि को गायब कर दिया जाता। भारतीय सभ्यता चीनी सभ्यता होती क्योंकि इसके सारे चिन्हों प्रमाणों को नष्ट कर दिया जाता। 

हिन्दी या संस्कृत बोलने पर सजा का प्रावधान होता केवल चीनी भाषा को ही मान्यता मिलती। जिस तरह भारतीय आज अंग्रेजी मिशनरी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता, अरबी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता के शिकार हैं वैसे ही चीनी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता के शिकार होते।  
Note -कृप्या इसे गम्भीरता से न लें।

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