शक्तिपीठों में शामिल है कोलकाला का दक्षिणेश्वर काली मंदिर

Image result for दक्षिणेश्वर काली मंदिरदक्षिणेश्वर काली मंदिर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुगली नदी किनारे बना हुआ है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर में मां कालू की भव्य प्राचीन मूर्ति सुशोभित है। कहा जाता है कि स्वामी राम कृष्ण परमहंस जी को इस मंदिर में माता काली के साक्षात दर्शन हुए थे। वह मां काली के अनन्य भक्त थे। 

यह मन्दिर, प्रख्यात दार्शनिक एवं धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि रही है, जोकि बंगाली अथवा हिन्दू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक, दार्शनिक, धर्मगुरु, तथा रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। वर्ष 1957 से 1967 के बीच, स्वामी रामकृष्ण इस मंदिर के प्रधान पुरोहित रहे।

इसके बाद उन्होंने इस मन्दिर को ही अपना साधनास्थली बना लिया। कई मायनों में, इस मन्दिर की प्रतिष्ठा और ख्याति का प्रमुख कारण है, स्वामी रामकृष्ण परमहंस से इसका जुड़ाव। मंदिर के मुख्य प्रांगण के उत्तर पश्चिमी कोने में रामकृष्ण परमहंस का कक्ष आज भी उनकी ऐतिहासिक स्मृतिक के रूप में संरक्षित करके रखा गया है, जिसमें श्रद्धालु व अन्य आगन्तुक प्रवेश कर सकते हैं।
यह मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। मां को भवतारिणी के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इसका मतलब के संसार के इस भवसागर को पार करवाने वाली।  भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी यहां आकर मां काली की पूजा अर्चना की थी और मां का आशीर्वाद लिया था।
 मां काली के नाम से कोलकाता का नाम पड़ा। इसे 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। माता सती की ऊंगलियां इस स्थान पर गिरी थी। पश्चिम बंगाल में माता काली के भक्त इस मंदिर में आकर मां काली के दर्शन जरूर करते हैं। मां काली के वे अनन्य भक्त हैं।
रानी रासमणि ने बनवाया था यह मंदिर
यहां की रानी रासमणि को एक दिन स्वपन में मां काली ने दर्शन दिए और उसे आज्ञा दी कि वह इस स्थान पर उसका भव्य मंदिर बनवाए। रानी राममणि ने तुरंत मां की आज्ञा का पालन किया और सन 1847 में मां काली का मंदिर बनवा दिया। वह स्वयं भी यहां मां की अराधना करने के लिए आया करती थीं। 1855 में इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। यह मंदिर 25 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
बहुत ही सुंदर है मंदिर, 25 एकड़ में फैला है
दक्षिणेश्वर मंदिर देवी मां काली के लिए ही बनाया गया है। दक्षिणेश्वर मां काली का मुख्य मंदिर है। भीतरी भाग में चांदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियां हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित भगवान शिव के ऊपर खड़ी हुई हैं। काली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है और यह 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा है।
गंगा नदी हुबली के किनारे है बना 
विशेषण आकर्षण यह है कि इस मंदिर के पास पवित्र गंगा नदी जो कि बंगाल में हुगली नदी के नाम से जानी जाती है, बहती है। इस मंदिर में 12 गुंबद हैं। यह मंदिर हरे-भरे, मैदान पर स्थित है। इस विशाल मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी
प्रसिद्ध विचारक रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी तथा उन्होंने इसी स्थल पर बैठ कर धर्म-एकता के लिए प्रवचन दिए थे। रामकृष्ण इस मंदिर के पुजारी थे तथा मंदिर में ही रहते थे। उनके कक्ष के द्वार हमेशा दर्शनार्थियों के लिए खुला रहते थे।
चबूतरे में स्थित है मां की मूर्ति
माँ काली का मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है। इसमें सीढि़यों के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं। दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर तीन मंजिला है। ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं। मंदिर के भीतरी स्थल पर दक्षिणा माँ काली, भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं। देवी की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसी पवित्र स्थल के आसपास भक्त बैठे रहते हैं तथा आराधना करते हैं।

Comments

astrologer bhrigu pandit

नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मूहूर्त

मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है- Gand Mool 2023

बच्चे के दांत निकलने का फल | bache ke dant niklne kaa phal