महान व्यक्तित्व मनोहर पार्रिकर
महान व्यक्तित्व मनोहर पार्रिकर
जन्म 13 दिसम्बर 1953, निधन 17 मार्च 2019
कैंसर से जूझता इंसान, दर्द निवारक दवाइयां लेने से इंकार कर देता ताकि वह काम कर सके। पैरों में पट्टियां, नाक में श्वाश नली, यूरिन ब्लैडर के साथ यह इंसान काम कर रहा है। यह इंसान है या आग। इसके सीने में कैसी देश सेवा की ज्वाला धधक रही है। युद्ध क्षेत्र में हर अंग कट जाने के बाद भी योद्धा में लड़ने की ताकत कहां से आती है, यह मनोहर पार्रिकर के देखकर पता चल जाता है। कर्मठ योद्धा ने हार नहीं मानी अंतिम समय में लड़ता हुआ, शहीद हो गया, हां शहीद। कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
एक दिन एक साधारण सी कार में सवार व्यक्ति गोवा के एक फाइव स्टार होटल में प्रवेश करने के लिए जैसे ही आगे बढ़ता है तो दरबान उसे रोक देता है। वह व्यक्ति उसे बताता है की वह गोवा का मुख्यमंत्री है तो दरबान जोर-जोर से हंसने लगता है। वह उसे कहता है कि यदि तू मुख्यमंत्री है तो मैं राष्ट्रपति हूं। इतने में आयोजक आ जाते हैं और सारा मामला साफ हो जाता है। यह महान शख्तियत कोई और नहीं गोवा के के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.मनोहर पार्रिकर जी थे।
वह एक साधारण इंसान की तरह जीए और साधारण इंसान की तरह मरते दम तक देश की सेवा करते रहे।
गोवा में यह महान इंसान अकेले ही कभी अपने स्कूटर पर और कभी पैदल ही जाते मिल जाता था। कभी किसी तरह का कोई लाव-लश्कर नहीं, बस जनता व देश की सेवा करने का नशा था इस इंसान में। जीवन में इन्होंने कभी सिगरेट या शराब को हाथ तक नहीं लगाया। बचपन भी इनका साधारण परिवार में गुजरा। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद इस युवा की आंखों में चमक थी जज्बा था कि वह देश की सेवा करे और राजनीति में जो दूषिता आ गई है, उसे दूर करे। जीवन में इस इंसान ने कई उतार चढ़ाव देखे लेकिन कभी हार नहीं मानी।
मनोहर जी देश क्या है अच्छी तरह से समझते थे। संघ से उन्हें देशभक्ति का जो सिद्धांत मिला आजीवन निभाया। गोवा के मुख्यमंत्री के पद से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक उनकी यात्रा किसी अजूबे से कम नहीं है।
मनोहर पर्रीकर का पूरा नाम 'मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रीकर' । जन्म 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में । स्कूल की शिक्षा मारगाव में पूरी की। आई.आई.टी. मुम्बई से इंजीनियरिंग और 1978 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई । दो बेटे उत्पल और अभिजात। दोनों राजनीति में नहीं। अभिजात गोवा में ही अपना बिजनेसमैन तो उत्पल ने अमेरिका से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। पर्रिकर की पत्नी मेधा 2001 में कैंसर के चलते चल बसी।
मनोहर परिकर 1994 में गोवा विधानसभा के विधायक चुने गए, 24 अक्टूबर साल 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त हुए। 27 फरवरी 2002 तक मुख्यमंत्री रहे। देश के रक्षामंत्री के रूप में इनका छोटा सा कार्यकाल बेहतरीन रहा। सर्जिकल स्ट्राइक जैसा साहसिक निर्णय भी लेने का श्रेय भी इन्हें मिला।
भाजपा को गोआ की सत्ता में लाने का श्रेय उनको ही जाता है। उनको गोआ में मि. क्लीन के नाम से जाना जाता है।
जन्म 13 दिसम्बर 1953, निधन 17 मार्च 2019
कैंसर से जूझता इंसान, दर्द निवारक दवाइयां लेने से इंकार कर देता ताकि वह काम कर सके। पैरों में पट्टियां, नाक में श्वाश नली, यूरिन ब्लैडर के साथ यह इंसान काम कर रहा है। यह इंसान है या आग। इसके सीने में कैसी देश सेवा की ज्वाला धधक रही है। युद्ध क्षेत्र में हर अंग कट जाने के बाद भी योद्धा में लड़ने की ताकत कहां से आती है, यह मनोहर पार्रिकर के देखकर पता चल जाता है। कर्मठ योद्धा ने हार नहीं मानी अंतिम समय में लड़ता हुआ, शहीद हो गया, हां शहीद। कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
एक दिन एक साधारण सी कार में सवार व्यक्ति गोवा के एक फाइव स्टार होटल में प्रवेश करने के लिए जैसे ही आगे बढ़ता है तो दरबान उसे रोक देता है। वह व्यक्ति उसे बताता है की वह गोवा का मुख्यमंत्री है तो दरबान जोर-जोर से हंसने लगता है। वह उसे कहता है कि यदि तू मुख्यमंत्री है तो मैं राष्ट्रपति हूं। इतने में आयोजक आ जाते हैं और सारा मामला साफ हो जाता है। यह महान शख्तियत कोई और नहीं गोवा के के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.मनोहर पार्रिकर जी थे।
वह एक साधारण इंसान की तरह जीए और साधारण इंसान की तरह मरते दम तक देश की सेवा करते रहे।
गोवा में यह महान इंसान अकेले ही कभी अपने स्कूटर पर और कभी पैदल ही जाते मिल जाता था। कभी किसी तरह का कोई लाव-लश्कर नहीं, बस जनता व देश की सेवा करने का नशा था इस इंसान में। जीवन में इन्होंने कभी सिगरेट या शराब को हाथ तक नहीं लगाया। बचपन भी इनका साधारण परिवार में गुजरा। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद इस युवा की आंखों में चमक थी जज्बा था कि वह देश की सेवा करे और राजनीति में जो दूषिता आ गई है, उसे दूर करे। जीवन में इस इंसान ने कई उतार चढ़ाव देखे लेकिन कभी हार नहीं मानी।
मनोहर जी देश क्या है अच्छी तरह से समझते थे। संघ से उन्हें देशभक्ति का जो सिद्धांत मिला आजीवन निभाया। गोवा के मुख्यमंत्री के पद से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक उनकी यात्रा किसी अजूबे से कम नहीं है।
मनोहर पर्रीकर का पूरा नाम 'मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रीकर' । जन्म 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में । स्कूल की शिक्षा मारगाव में पूरी की। आई.आई.टी. मुम्बई से इंजीनियरिंग और 1978 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई । दो बेटे उत्पल और अभिजात। दोनों राजनीति में नहीं। अभिजात गोवा में ही अपना बिजनेसमैन तो उत्पल ने अमेरिका से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। पर्रिकर की पत्नी मेधा 2001 में कैंसर के चलते चल बसी।
मनोहर परिकर 1994 में गोवा विधानसभा के विधायक चुने गए, 24 अक्टूबर साल 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त हुए। 27 फरवरी 2002 तक मुख्यमंत्री रहे। देश के रक्षामंत्री के रूप में इनका छोटा सा कार्यकाल बेहतरीन रहा। सर्जिकल स्ट्राइक जैसा साहसिक निर्णय भी लेने का श्रेय भी इन्हें मिला।
भाजपा को गोआ की सत्ता में लाने का श्रेय उनको ही जाता है। उनको गोआ में मि. क्लीन के नाम से जाना जाता है।
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