कृतिका नक्षत्र में पैदा होने वाले जातक कैसा होता है

कृतिका नक्षत्र में पैदा होने वाले जातक कैसा होता है
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार नभ मंडल में कुल 27 नक्षत्र हैं। इन नक्षत्रों के स्वामी भी अलग-अलग होते हैं।कृतिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य है व देवता अग्नि है।  यह नक्षत्र मंडल का तीसरा नक्षत्र है। हम बात कर रहे हैं कृतिका नक्षत्र की। इस नक्षत्र में पैदा हुए जातक का व्यक्तित्व बहुत ही अकर्षक होता है। देखने में सुंदर और उसके चेहरे पर तेज होता है। साहसी व पराक्रमी भी होता है। जातक बालपन से ही तेज बुद्धि वाला होता है। इसकी विद्या में काफी रुचि होती है और पढ़ने में काफी मन लगाता है। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य होने के कारण इसमें सूर्य के गुण होते हैं। आगे चलकर जीवन में जातक प्रसिद्दि पाता है और खूब यश व नाम कमाता है। लेकिन इसका मन चंचल रहता है इस कारण इसके विचार भी बदलते रहते हैं।
कृतिका नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति खाने का शौकीन एवं अन्य स्त्रियों में आसक्त रहता है। इसका रुझान गायन, नृत्यकला, सिनेमा, तथा अभिनेता और अभिनेत्रियों के प्रति अधिक रहता है।
इस  नक्षत्र में जन्मे जातक या जातिकाएं एक दूसरे के प्रति आकर्षित रहते हैं।  बहु भोगी होना और रोगी होना इस नक्षत्र में जन्मे जातकों का स्वभाव है।
जातक दूसरों के लिए तो बहुत अच्छा ज्ञान देने वाले होते हैं लेकिन उसपर स्वयं कम ही चलते हैं। विवाह के बाद जीवन में भटकाव रुक जाता है और जीवन  सुखी हो जाता है।  जातक का भाग्योदय अक्सर जन्म स्थान से दूर जाकर होता है।  जीवन में यात्राएं करनी पडती हैं। दूर देशों में जा कर ही कृतिका नक्षत्र जातक काफी धन कमाता है। इस  नक्षत्र में जन्मी महिलाएं दुबली लेकिन सुंदर होती हैं।उनका स्वभाव अच्छा होता है और चेहरे पर तेज होता है। इनको सर्दी,जुकाम व अलर्जी जल्दी हो जाती है। इस नक्षत्र के चार चरण होते हैं।

पहला चरण : इस चरण में पैदा होने वाला जातक दूर देशों में जाकर धन कमाता है। इस चरण का स्वामी बृहस्पति है।  जातक की मंगल की दशा, सूर्य एवं गुरु की दशा –अन्तर्दशा अत्यंत शुभ फलदायी होगी।

दूसरा चरण : इस चरण में पैदा होने वाला जातक वैज्ञानिक हो सकता है। विज्ञान में उसकी काफी रुचि होती है। इस चरण का स्वामी शनि  हैं। जातक विद्वान शास्त्रों का ज्ञाता तथा अपने विषय में मास्टर होता है। 

तृतीय चरण :इस चरण में पैदा होने वाला जातक शूरवीर व भाग्यसाली होता है। पराक्रमी होने के कारण किसी भी स्थिति से घबराता नहीं है।  सूर्य और शनि के कारण ज्ञान और अनुभव दोनों का समावेश रहेगा।

चतुर्थ चरण :  इस चरण में पैदा होने वाला जातक लम्बी आयु भोगता है और इसके पुत्र होते हैं। इस चरण का स्वामी बृहस्पति  हैं।  सूर्य और बृहस्पति के प्रभाव के कारण जातक ज्ञानी एवं सात्विक विचारों वाला होता है। 

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