टीनएजर को कौन सी बातें जाननी जरूरी हैं
टीनएजर को कौन सी बातें जाननी जरूरी हैं
टीनएजर यानि तरुण अवस्था हर बच्चे के जीवन में आती है। यह एक ऐसी अवस्था है जब शरीर में कई परिवर्तन एकदम से होने लगते हैं कि पता ही नहीं चलता कि ऐसा क्यों हो रहा है। तरुण के शरीर में तेजी से टैस्टाट्रोम होरमोन बनने लगते हैं और लड़की के शरीर में एसट्रोजन हारमोन बनने लगता है।
दिमाग में इसका बहुत ही तीव्र असर होता है। उन्हें ऐसा लगता है कि यह केवल उनके साथ ही हो रहा है। प्रेम और यौनाकर्षण इतना तीव्र होता है कि कई बच्चे परिवारवालों से विद्रोह तक कर देते हैं। तरुणों को कांऊसलिंग से समझाना चाहिए ताकि वे इस अवस्था में डोले न और गलत हाथों सा संगति में न फंस जाएं। इनके दिमाग में ऐसा सपनों का संसार होता है कि वे उसी में खो जाते हैं।
तरुण अवस्था बहुत ही नाजुक होती है इसमें कुछ भी सही जानकारी नहीं होती और जो होती है वह पूरी नहीं होती। तरुण यौन उत्तेजना को शांत करने का उपाय हस्तमैथुन से करते हैं और फिर ऐसा सोचते हैं कि शायद उनसे कोई अपराध हो गया है। अत्याधिक हस्तमैथुन से वे शरीर में कमजोरी अनुभव करते हैं। कई बार पोर्न फिल्मों के एडिक्ट हो जाते हैं ।
इनका उनके मन मतिष्क पर ऐसा नेगेटिव असर होता है कि वे इसे रीयल मानने लगते हैं। सोशल मीडिया के हवाई किलों में कैद होकर अपनी पढ़ाई व समय को नष्ट करते हैं। कई बार नशों की तरफ आकर्षित होकर उनका शिकार भी हो जाते हैं।
काम उत्तेजना को शांत करने के लिए वे समलिंगी भी हो जाते हैं। यह एक ऐसी अवस्था होती है कि तरुण आसानी से अपने मूल रास्ते से भटक सकता है। सही कांऊंसलिंग करने से वे अपने प्रश्नों का उत्तर पा जाते हैं और जीवन के इस नाजुक मोड़ को सम्भाल लेते हैं।
टीनएजर यानि तरुण अवस्था हर बच्चे के जीवन में आती है। यह एक ऐसी अवस्था है जब शरीर में कई परिवर्तन एकदम से होने लगते हैं कि पता ही नहीं चलता कि ऐसा क्यों हो रहा है। तरुण के शरीर में तेजी से टैस्टाट्रोम होरमोन बनने लगते हैं और लड़की के शरीर में एसट्रोजन हारमोन बनने लगता है।
दिमाग में इसका बहुत ही तीव्र असर होता है। उन्हें ऐसा लगता है कि यह केवल उनके साथ ही हो रहा है। प्रेम और यौनाकर्षण इतना तीव्र होता है कि कई बच्चे परिवारवालों से विद्रोह तक कर देते हैं। तरुणों को कांऊसलिंग से समझाना चाहिए ताकि वे इस अवस्था में डोले न और गलत हाथों सा संगति में न फंस जाएं। इनके दिमाग में ऐसा सपनों का संसार होता है कि वे उसी में खो जाते हैं।
तरुण अवस्था बहुत ही नाजुक होती है इसमें कुछ भी सही जानकारी नहीं होती और जो होती है वह पूरी नहीं होती। तरुण यौन उत्तेजना को शांत करने का उपाय हस्तमैथुन से करते हैं और फिर ऐसा सोचते हैं कि शायद उनसे कोई अपराध हो गया है। अत्याधिक हस्तमैथुन से वे शरीर में कमजोरी अनुभव करते हैं। कई बार पोर्न फिल्मों के एडिक्ट हो जाते हैं ।
इनका उनके मन मतिष्क पर ऐसा नेगेटिव असर होता है कि वे इसे रीयल मानने लगते हैं। सोशल मीडिया के हवाई किलों में कैद होकर अपनी पढ़ाई व समय को नष्ट करते हैं। कई बार नशों की तरफ आकर्षित होकर उनका शिकार भी हो जाते हैं।
काम उत्तेजना को शांत करने के लिए वे समलिंगी भी हो जाते हैं। यह एक ऐसी अवस्था होती है कि तरुण आसानी से अपने मूल रास्ते से भटक सकता है। सही कांऊंसलिंग करने से वे अपने प्रश्नों का उत्तर पा जाते हैं और जीवन के इस नाजुक मोड़ को सम्भाल लेते हैं।
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