गाय को जो स्थान प्राप्त है व अन्य जीव को क्यों नहीं

गाय को जो स्थान प्राप्त है व अन्य जीव को क्यों नहीं
मानवीय संवेदनाएं व सामाजिक व्यवहार विभिन्न स्तरों पर गुजरता है।हर समाज व देश के लोगों की अपनी मान्यताएं होती हैं। सभ्य समाज तभी बनता है जब हम एक दूसरे की मान्यताओं का आदर करते हैं।  एक महिला  मां होती है, एक बहन व एक पत्नी होती है। वह इनसे अलग- अलग व्यवहार करता है। आप यह नहीं कह सकते कि वह अपनी मां के साथ पत्नी जैसा व्यवहार क्यों नहीं करता, महिलाएं तो दोनों हैं। इसी प्रकार व्वहारिक तौर पर वह समाज में अलग-अलग व्यवहार करता है।

आप यह भी प्रश्न कर सकते हैं कि पुस्तकें तो सभी एक ही होती हैं कागज,लुगदी से बनी क्यों मानव कुछ पुस्तकों को  ज्यादा आदर देता है, उन्हें वैसे ही सम्भाल कर रखता है और आदर देते हुए नतमस्तक होता है।क्यों किसी धार्मिक सरोवर में नहाकर वह समझता है कि पुण्य कमा लिया लेकिन स्वीमिंग पूल में उसे वैसी अनुभूति नहीं होती। सिनेमाहाल में तो वह 500 रुपए खर्च करके 3 घंटे व्यतीत कर लेता है कि उसे पता ही नहीं चलता लेकिन धार्मिक स्थल पर व मुश्किल से 10 मिनट भी नहीं टिक पाता और जल्दी निकलने की सोचता है, दिखावे के लिए ज्यादा देर तक बैठे वह अलग बात है। घर में पाले हुए कुत्ते को घर का सदस्य मानता है और उसे पूरा स्नेह देता है लेकिन वह वैसा स्नेह आवारा कुत्तों को नहीं दे पाता।

अमेरिका में कुत्तों व घोड़ों के वध पर पाबंदी है यदि कोई इनको कष्ट देता देखा जाता है तो सारा समाज उसके खिलाफ हो जाता है। गाय को जो धार्मिक स्थान प्राप्त है, गाय से सदियों से भावनात्मक लगाव है व किसी अन्य जीव से नहीं है। ऐसा नहीं है कि अन्य जीवों के प्रति प्रेम नहीं है लेकिन वैसा स्थान प्राप्त नहीं है जैसा गाय को है। भैंस को भी पाला जाता है उसे खाने के लिए गाय से ज्यादा खाना दिया जाता है और उसके दूध को भी पिया जाता है लेकिन भगवान को गाय के दूध का ही भोग लगाया जाता है और उसे ही उत्तम माना गया है। 

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