जन्माष्टमी का त्यौहार क्यों मानाया जाता है

जन्माष्टमी का त्यौहार क्यों मानाया जाता है

 इस बार पूरी दुनिया में जन्माष्टमी का त्यौहार 23 व 24 अगस्त 2 दिनों  को मनाया जाएगा। भगवान कृष्ण सबसे लोकप्रिय देव हैं विश्व में उनके प्रकाशोत्सव पर जोर शोर से भक्त भजन करते हैं और व्रक भी रखते हैं। उस दिन भगवान ने इस धरा को पावन करने के लिए प्रकाश पुंज के रूप में जन्म लिया था। पूरे विश्व में यह पर्व मनाने को लेकर भव्य तैयारियां की गई हैं।  योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को मथुरा में लिया।  इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है।

 कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आज के दिन मथुरा पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा कृष्णमय हो जाता है।

देश के सभी मंदिरों को खूबसूरती से सजाया जाता है और भक्त आधी रात तक इंतजार करते हैं।

स्कन्द पुराण के अनुसार-
स्कन्द पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है। ब्रह्मपुराण का कथन है कि इस दिन हर कृष्ण भक्त व्रत रखे। भविष्य पुराण के अनुसार जो मानव जन्माष्टमी नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है। मदन रत्न में स्कन्द पुराण का वचन है कि जो उत्तम पुरुष है। वे निश्चित रूप से जन्माष्टमी व्रत को इस लोक में करते हैं। उनके पास सदैव स्थिर लक्ष्मी होती है। इस व्रत के करने के प्रभाव से उनके समस्त कार्य सिद्ध होते हैं।


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