मयांमार के बौधों ने अहिंसा का परित्याग क्यों किया

मयांमार के बौधों ने अहिंसा का परित्याग क्यों किया

महाभारत के युद्ध में अर्जुन को कृष्ण न उपदेश देते तो अर्जुन पहले बौध होते जो आतताइयों के सामने हथियार उठाने से मना कर देते। आज वही महाभारत है और कृष्ण भी है, अर्जुन भी और आततायी भी। लेकिन अर्जुन का व्यवहार बदल गया है। बुध की शिक्षाएं व्यवहारिक नहीं हैं इसीलिए मयांमार के बौधोंं को अहिंसा का त्याग करके शस्त्र उठाने पड़े हैं क्योंकि कृष्ण की शिक्षाएं व्यवहारिक हैं। कृष्ण की शिक्षाएं किसी पहाड़ी की चोटी पर नहीं, पेड़ के नीचे नहीं बल्कि वहां हैं जब दुश्मन शस्त्रों से लैस आपको खत्म करने के लिए खड़ा है। आपके कनपटी पर बंधूक है और आपके दिल में बुध की शिक्षाएं, या तो आप मारो या मर जाओ एक कायर की तरह। आज भी वही परिस्थितियां हैं, बौध तो जाग गए लेकिन भारत के हिन्दू अभी भी सोए पड़े हैं।  बौध जाग गए क्योंकि एक थुराजू जगा गया, उनका संविधान जगा गया, प्रशासन जगा गया। मयांमार के बुध ने अनजाने में समझ लिया कृष्ण को और वे समय पर हथियार लेकर डट गए। कृष्ण की शिक्षाएं व्यवहारिक हैं लेकिन बौध की नहीं। यह साबित हो चुका है। 

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