लोगो, प्रतीक. चिन्ह व छवि क्या हैं?
इंसान व प्राणी अपनी ज्ञान इंद्रियों से ही किसी भी चीज के बारे में जानता है। वह देखता है, सुनता है, स्पर्श करता है, बोलता है। इन ज्ञान इंद्रियों के सहारे ही वह अपने जीवन में ज्ञान व अनुभव लेते हैं। इस बात को बालीवुड व बड़ी कम्पनियों वाले अच्छी तरह से भुनाते हैं और अपने माल को बेचते हैं। हम जब टाटा का लोगो देखते हैं तो आपका दीमाग टाटा कम्पनी के सारे प्रोड्क्ट्स को आपके सामने रख देता है, कोलगेट का लोगो सामने देखते हो तो आपको टूथ पेस्ट व डालडा का लोगो देखते ही वनस्पति घी के बारे में छवि दिमाग में घूम जाती है। इसी प्रकार से किसी परिचित की तस्वीर देखते हैं तो हमारे सामने उसके सारे किस्से आ जाते हैं।
टीवी पर विज्ञापन बार-बार दिखाए जाते हैं और वे हमारे अवचेतन मन में समा जाते हैं। जैसे ही हम किसी दुकान पर पहुंचते हैं तो उन उत्पादों को करीने से सजाए देखे जाने पर हम उनकी तरफ आकर्षित होते हैं और हमारा अवचेतन दिमाग उनके बारे में हमें जानकारियां देना शुरु कर देता है। बस उपभोक्ता उस सामान को खरीद लेता है। ऐसा देखा गया है कि 95 प्रतिशत उपभोक्ता उसी सामान को खरीदता है जिसके बारे उसने विज्ञापनों में सुना या देखा होता है।
ये वैसा ही होता है जैसे आपका फोन इंटरनेट से जुड़ते ही सभी जानकारियां एकत्र करने लगता है।
लोगो, प्रतीक. चिन्ह व छवि आदि के बिना मानव का जीवन सम्भव नहीं है। वह किसी न किसी छवि आदि से चेतन व अवचेतन तौर पर जुड़ा रहता है। घर में लगी घड़ी को देखता है तो उसे समय देख कर उठाना होता है और घड़ी की सुई जिस नम्बर पर होती है, उस छवि को हमारी आंखें देखती हैं और फिर दिमाग पढ़ता है। दिमाग बताता है उस समय में आपको क्या करना है क्योंकि काम आपके दिमाग में पहले से ही फीड है।
सड़क पर चलते हुए आपका दिमाग इतनी तेजी से गणना आदि कर रहा होता है कि हमें पता ही नहीं चलता। रास्ते में दिखाई देने वाली छवियों, लोगो, प्रतीकों, घंटियों की आवाजों आदि को वह तेजी से फीड कर रहा होता है। चलचित्रों को देखते हुए इंसान 3 घंटे सिनेमाघर में कैसे गुजार देता है उसे पता ही नहीं चलता।
यही लोगो, प्रतीक. चिन्ह व छवि हमारे जीवन में गहरा असर डालती हैं। आपको किसी अरबी लुटेरे की छवि आदि बार-बार देखने को मिलती है तो वह आपके चेतन व अवचेतन मन में समा जाती है कि आपको पता ही नहीं चलता। विदेशी संस्कृति हमारे पर हावी न हो इसलिए ही भारतीय छवियों को प्रधानता दी जानी चाहिए। हमारे नायक राम, कृष्ण, शिव, गणेश, भवानी आदि की छवियां सामने रहनी चाहिएं ताकि बच्चों को मानसिक पटल पर शुरु से ही इनकी छवियां प्रभाव डालती रहें। हमें कुछ कहने की जरूरत नहीं ये छवियां अपनी कहानी आप बयान करती हैं।जब तक ये नायक रहेंगे तब तक बैटमैन, हल्क,स्पाइडरमैन आदि पास भी नहीं फटकेंगे लेकिन जैसे ही ये दूर हुए पश्चिमी जाली नायक हमारे बच्चों के पास होंगे। मंदिरों की घंटिया, ध्वजा, तुलसी, केले के पेड़, आम के पेड़, बरगद, पीपल के पेड़, तालाब, ओम का चिन्ह आदि हमें हर जगह देखने को मिले जब तक हमारे नायक हमारे सामने रहेंगे,उनकी कथाएं भी जीवित रहेंगी।
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