अरबी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता क्या है

अरबी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता क्या है

जब भी भारत की गुलामी की बात होती है तो अंग्रेजों की गुलाम की ही बात होती है लेकिन अरबी हमलावरों के शासन की बात नहीं की जाती। आज भारत में आपको अंग्रेजी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता के लोगों के बारे में तो आपको बताया जाएगा लेकिन अरबी उपनिवेशिक गुलाम मानसिकता के बारे में कोई नहीं बताएगा। यह वह मानसिकता है जो गुलाम बनाने वाले शासक की तरफ गुलामों में स्वत ही आ जाती है। आज भारत में अपकों करोड़ों लोग ऐसे मिल जाएंगे जो शुद्ध रुप से भारतीय है लेकिन उनकी मानसिकता अरबी है। वे अपने को अरबों की संतान समझते हैं, अरबी किताब पढ़ते हैं। अरबी पहनावा पहनते हैं, अरब के हिसाब से क्या खाना चाहिए व क्या नहीं खाना चाहिए इसका ध्यान रखते हैं, ये लोग विदेशी हमलावरों बाबर, टीपू, तैमूर, गजनवी आदि को अपने नायक समझते हैं। यही स्थिति पाकिस्तान, बांगलादेश के लोगों की है। इस तरह भारतीय होते हुए भी ये अरबी संस्कृति के अनुसार चलते हैं।  हिन्दुओं पर इस अरबी मानसिक गुलामी का बहुत ही ज्यादा प्रभाव रहा है। वे भी अपना जीवन यापन जाने-अनजाने में इन्हीं की तरह करने लगे हैं। वे कब की भारतीय संस्कृति को छोड़ चुके हैं इसका उन्हें जरा भी आभास नहीं है। भारतीय संस्कृति व अरबी संस्कृति एक दूसरे के उलट है। जो हिन्दुओं में मान्य है वही अरबियों में निषेध है। यह दो संस्कृतियों का टकराव है।

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