lal kitab remedies for baby boy- Hindi


lal kitab remedies for baby boy-
लाला किताब के अनुसार जातक की कुंडली में संतान सुख दिलाने वाला ग्रह पंचम घर का स्वामी सूर्य होता है । संतान सुख मेें चंद्र का भी प्रभाव रहता है। यदि चंद्र नेगेटिव हो जाए तो संतान नष्ट होने की आशंका रहती है। ग्रहों के योग के आधार पर लड़का या लड़की का होना निर्भर करता है। 
lal kitab remedies for baby boy- संतान सुख के लिए लाल किताब के टोटके निम्नलिखित हैं-
1. घर से सदस्यों की संख्या + आने वाले मेहमानों की संख्या+ दो चार चार रोटियां अधिक बनाकर कुत्तों या अन्य जानवरों को डालें। रोटियों की संख्या कम न हो छोटी बड़ी हो सकती हैं।
2. हर रोज भोजन खाने से पहले अपनी थाली से 3 या 4 टुकड़े रोटी के कुत्ते के लिए निकाल लें। जिस जगह भोजन बने उसी जगह बैठ कर खाएं। ऐसा करने से राहु की शरारतों से बचा जा सकता है।
3. रात को सोते समय चारपाई के नीचे पानी तथा सुबह उसे ऐसी जगह डालें जहां उसका अपमान न हो। उस पानी से अपने हाथ पांव न धोएं और न ही पिएं।
4. बच्चे के जन्म से पहले माता किसी बर्तन में घी व चीनी रख कर माता के हाथ लगा दें और किसी सुरक्षित जगह रख दें। बच्चा पैदा होने के बाद चीनी व घी मंदिर में पहुंचा दें। जिस बर्तन में घी व चीनी मंदिर में पहुंचाई जाए उसे घर न लाया जाए। गणेश जी की अराधना करें और गर्भवति महिला की दाईं भुजा पर लाल धागा बांध दें। बच्चा पैदा होने के बाद उसे मां की मां से उतार दें और बच्चे को पहना दें और मां को नया धागा पहना दें।  इस तरह 18 माह तक करें। इस समय दौरान गाय को भोजन देते रहें।
5 संतान की रक्षा के लिए 100 दिन या अधिक दिन तक तक घर से बाहर जाने पर नदी पार करते समय जल में तांबे का पैसा डालें।
6.दिन में मीठी रोटियां बनाकर कुत्ते को खिलाएं।
7. यदि बच्चे जीवित न रह पाते हों तो नमकीन रोटियां कुत्तों को खिलाएं।
8.धर्म स्थल में पैदा बच्चा लम्भी आयु का होता है।
9. कुत्तिया का पैदा मात्र नर बच्चा घर में रखने  से  बरकत होती है।
10. यदि जातक का केतु उच्च का हो तो  बच्चों की पैदाइश से घर में बरकत रहती है।
जातक के ग्रहों का संतान पर प्रभाव-
5 वें भाव में सूर्य के साथ शुक्र या बुध ग्रह है तो संतान नर होगी।
चंद्र के साथ सूर्य अथवा बृहस्पति हो तो 2 भाई- बहन होंगे।
मंगल के साथ सूर्य, बुध, शनि हों तो ज्यादा संताने होंगी।
बुध के साथ बृहस्पति या राहु हो तो लड़कियां होती हैं।

बृहस्पति के साथ सूर्य या शुक्र हों तो संतान तो होती है लेकिन जीवित रहने की सम्भावना बहुत कम होती है।
शुक्र के साथ राहू या केतु हों तो संतान पैदा होने में परेशानी होती है।
शनि के साथ शुक्र अथवा बृहस्पति हों तो संतान पैदा होने में कष्ट, सीजेरियन की सम्भावना होती है, संतान बीमार या कमजोर होती है।
राहू के साथ मंगल, शनि या सूर्य हो तो संतान देर से होती है।
केतु के साथ शुक्र, शनि अथवा चंद्र हों को संतान के मृत होने की सम्भावना होती है।


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astrologer bhrigu pandit

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