जर, जोरू और जमी किसके अधीन रहती है

जर, जोरू और जमी किसके अधीन रहती है
बाबा जी हम कैसे 1000 साल और शासन करेंगे जब कि हमारी सत्ता भी नहीं होगी। राजा से उसका नालायक बेटा प्रश्न कर रहा था। राजा ने उत्तर दिया, बेटा हमारे बाप दादाओं ने इस देश पर हजारों सालों से शासन किया है सत्ता रहे या न रहे हम राज करते रहेंगे। राजा ने बेटे को समझाना शुरु किया। बेटा देखो हमने जब राज किया तो हमने हर जगह पर अपने लोगों को फिट किया है। उनको अर्वाड दिए, पैसा खिलाया, देश के विश्वविद्यालयों में अपनी गोटियां फिट की और उनसे ऐसा साहित्य व व इतिहास लिखवाया कि देश के लोग एक दूसरे से नफरत करते रहें और एकता में न रह सकें। हमने सैकुलर बाबाओं का देश में जाल बिछा दिया जो देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं को सैकुलर बनाए और धीरे- धीरे उनके मनों में अपने मूल धर्म के बारे में नफरत के बीज डाल दें। उन्हें उनके धर्म ग्रंथों से दूर करके अपने लिखे दकियानूसी ग्रंथों घुसेड़ दिया। इन सैकुलर बाबाओं ने ऐसा जाल बिछाया कि किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगी।
हर  सरकारी दफ्तर में अपने बंदे फिट कर दिए। ये लोग इतने पावरफुल व धनी हैं कि किसी दूसरे को आगे आने भी नहीं देते। फिर हमने आतंकी भी पैदा करके रखे हैं जिनको हम चुप व शांत रहने का करोड़ों रुपया देते हैं। जैसे ही सरकार बदलेगी तो ये लोग अपना आतंक का खेल खेलकर सरकार को बदनाम कर देंगे।
इसके बाद हमने हजारों लोगों की भीड़ भी खरीदी हुई है जिसे कभी भी कहीं भी अराजकता फैलाने के लिए तैयार-बर तैयार रखा गया है।

राजा ने कहा, बेटा मान लो हमारी सरकार अगली बार नहीं आती को हम क्या करेंगे। हम अपने गुर्गों को तैयार कर देंगे। मंत्री के आदेशों को उसके अफसर नहीं मानेंगे, या बहुत देरी से मांनेंगे। मंत्री के पास आने वाली जनता से गाली गलौच करेंगे। मंत्री को पता भी नहीं चलेगा कि क्या हो रहा है।
इसके बाद मीडिया को छोटी-छोटी बातों को उधेड़ने का काम सौंपेंगे। हमारे किए गए हजारों करोड़ों के घोटालों से हमने जजों से लेकर नीचे तक के लोगों को भर पेट खिलाया है। आने वाली सरकार के पास इनसे निपटने के लिए या इस गेम को समझने के लिए कई साल लग जाएंगे। वह विकास आदि के फेरों में फंसकर रह जाएगी और नाम की ही सरकार होगी जो हमारे लिए ही काम करेगी। सरकार किसी की भी हो सत्ता का खेल सिर्फ हम ही खेलेंगे।

ये जनता मूर्ख है और हम इसकी मूर्खता का लाभ उठाते जाएंगे। जब कोई बड़ा घासमेट जैसे कि 1947 में हुआ था तो हम सब विदेशों को दौड़ जाएंगे। है न मजे की बात। पुत्र ने कहा वाह पिता जी वाह आप तो बहुत बड़े तीसमार खां निकले। आपका कोई जवाब नहीं।

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