TAURUS- वृष राशि का मासगत फलादेश - 2019

वृष राशि का मासगत फलादेश - 2019

वृष राशि  ( ई,ऊ,ए,ओ, वा, वि, वू, वे,वो)  वर्ष फल वृष राशि पर वर्ष भर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहने के कारण बेकार की दौड़धूप, गुप्त चिंताएं, बन्धु विरोध तथा स्वास्थ्य संबंधी कष्ट रहें। 19 जनवरी से 23 फरवरी के मध्य राशि स्वामी शुक्र अष्टमस्थ रहने से बनते कामों में देरी, अड़चने, धन हानि, शत्रु प्रबल रहेंगे और खर्चों में काफी बढ़ौतरी रहेगी।  9 सितम्बर से 3 अक्तूबर के मध्य  शुक्र नीच कन्या राशि होने से संतान, पारिवारिक व सेहत संबधी उलझने बढ़ेंगी।
उपाय- वर्षभर तेल की कटोरी में  छायापात्र करके शनि देव के मंदिर में चढ़ना शुभ रहेगा।
 जनवरी- शनि की ढैय्या व गुरु की दृष्टि होने से मिश्रित प्रभाव होंगे। मान-सम्मान में होगी बढ़ौतरी, धार्मिक काम भी सम्पन्न होंगे निर्वाह योग्य आय के साधन भी बनेंगे, कुछ रुके हुए काम बनेंगे। परिवार में मनमुटाव के कारण मन अंशात रहेगा।
फरवरी- राशि स्वामी शुक्र-शनि युक्त अष्टम भावस्थ होने से बनते कामों में विध्न, निकट बंधुओं में मतभेद रहेगा। चोट लगने का भी भय रहेगा इसलिए एहतिहात रखें। गुप्त चिंताएं रहेंगी व अनावश्यक खर्चों में वृद्दि रहेगी। सेहत संबंधी परेशानी भी रहेगी मानसिक तनाव व गुप्त रोग के कारण परेशानी रहेगी।
मार्च- शुक्र भाग्यस्थ होने से पराक्रम व पुरुषार्थ के काम होने के प्रबल योग हैं। आय के साधनों में वृद्धि होगी और परिवार में शुभ मंगल कार्य भी सम्पन्न होंगे लेकिन शनि देव की ढैय्या के कारण मानसिक परेशानी, बेकार की दौड़-धूप व धन हानि होगी।
अप्रैल- कार्य-व्यवसाय संबंधी नई योजनाएं बनेंगी, यध्यपि निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे धन का खर्च अधिक, बेकार की दौड़धूप, मानसिक परेशानी रहेगी।
उपाय- वैशाख मास में वैशाख महात्मय तथा पापप्रशमन स्तोत्र का पाठ करना शुभ रहेगा।
मई- लाभस्थ शुक्र होने पर गुरु की दृष्टि से मिश्रित प्रभाव रहेंगे, पराक्रम व उत्साह से किए गए कामों में सफलता मिलेगी। इसके बाद 10 मई से शुक्र व्यय भाव में आने से स्वास्थ्य हानि, शारीरिक कष्ट, आय कम व बेकार के खर्च अधिक रहेंगे।
जून- 4 जून से राशिस्वामी शुक्र इस राशि में सूर्य युक्त संचार करने से मान-सम्मान में वृद्दि, धन लाभ एवम पदौन्नती के अवसर प्राप्त होंगे। यात्रा का प्रोग्राम भी बने, किसी नवीन काम की योजना भी बनेगी। स्त्री सुख व परिवार में खुशी के अवसर भी मिलेंगे।
जुलाई- शुक्र द्वितीयस्थ होने से व्यवसाय में उन्नति व रुके हुए काम बनेंगे। संयम व गम्भीरता से काम करने पर ही कार्य सिद्धि के योग बनेंगे। किसी उच्चाधिकारी के सहयोग से सरकारी समस्या का हल होगा।
अगस्त- धन का अपव्यय विलासादि कामों में अधिक होगा। नयावाहन खरीद सकतें हैं और बेच भी सकते हैं। शनि की ढैय्या के कारण रक्त विकार होगा, शरीर कष्ट तथा अशुभ फल होंगे। निकट बंधुओं से विरोद व मतभेद पैदा हो सकता है।  ज्यादा मेहनत करने पर भी उचित  फल प्राप्त नहीं होंगे।
सितम्बर- चतुर्थ भाव में चतुर्ग्रही योग होने से आय कम होगी व खर्च बहुत ही अधिक रहेंगे, व्यर्थ की भागदौड़, धन की हानि, स्वास्थय संबंधी कष्ट व चिंता बढ़ेगी। मन में अशांति व क्रोध के कारण कोई बनता काम बिगड़ सकता है । अमावस्या के दिन 28 सितम्बर को पितृस्त्रोत का पाठ करना शुभ रहेगा।
अक्तूबर- संर्घषपूर्ण परिस्थितयों के बावजूद आय के साधन बनते रहेंगे। परिवार का सहयोग मिलेगा व काम बनेंगे। कोई बिगड़ा हुआ काम अचानक बन सकता है। आय से खर्च अधिक , मानसिक परेशानी, स्वास्थय ढीला, भाई-बंधू से मतभेद, संतान संबंधी चिंता व सरकारी क्षेत्रों में परेशानी रहेगी।
नवम्बर- धन लाभ साधारण रूप से होगा। कार्य क्षेत्र में दौड़धूप अधिक रहेगी। खर्चों की अधिकता से मन परेशान रहेगा। परिश्रम के बाद ही कोई  काम सिरे चढ़ेगा। 4 नवम्बर से गुरु अष्टम शनि-केतु युक्त होने से स्वास्थय संबंधी विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
दिसम्बर- कुछ सोची हुई योजनाओं में आंशिक सफलता मिलेगी। शुक्र 15 दिसम्बर तक अष्टमस्थ रहने के कारण शरीर कष्ट, गुप्त चिंता, पेट व लीवर में खराबी के योग हैं। 15 दिसम्बर के बाद कुछ रुके हुए काम बनेंगे परन्तु क्रोध व उत्तेजना बढ़ेगी।  स्वास्थय का विशेष ध्यान रखें।

Call us: +91-98726-65620
E-Mail us: info@bhrigupandit.com
Website: http://www.bhrigupandit.com
FB: https://www.facebook.com/astrologer.bhrigu/notifications/
Pinterest: https://in.pinterest.com/bhrigupandit588/
Twitter: https://twitter.com/bhrigupandit588
Google+: https://plus.google.com/u/0/108457831088169765824

Comments

astrologer bhrigu pandit

नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मूहूर्त

मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है- Gand Mool 2023

बच्चे के दांत निकलने का फल | bache ke dant niklne kaa phal