तीन तलाक पर बैन व मानवीय दृष्टिकोण

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तीन तलाक पर बैन व मानवीय दृष्टिकोण
यह समाज हमेशा से ताकतवर के अधीन रहा है। ताकत के बल पर कमजोर पर हमेशा दबाव बनाया गया। कमजोर को अपने अधीन किया गया। ताकतवर ने कमजोर को दबाने के लिए धर्म, कानून व सत्ता का सहारा लिया गया। पुरूष ने अपनी ताकत से महिला को अपने अधीन किया और उस पर अपनी मर्जी थोपी। 14वीं शताब्दि या और इससे पहले पुरूष यह मानने को तैयार नहीं था कि महिला में भी आत्मा होती है। उसे वोट देने के का हक भी नहीं दिया गया था। राजा-महाराजाओं ने भी महिलाओं को उपभोग मात्र की वस्तु समझकर अपने हरमों में रखा और सैक्स स्लेव की तरह  ही उसका इस्तेमाल किया। महिलाएं शारीरिक तौर पर पुरुष से कमजोर होने पर ही रेप, गैंग रेप का शिकार होती रहती है। पुरूष अपनी ताकत महिला पर आजमाता है। सभी नियम उस पर ही थोपता है। महिलाएं भी सधे हुए जानवरों की तरह उनका अनुसरण करती हैं। यदि को महिला पुरूष के अत्याचार को चुनौती देती है तो उसे मसल दिया जाता है। अरब देशों में महिला
अकेली कहीं जा नहीं सकती, कार नहीं चला सकती, किस दूसरे पुरुष से बात नहीं कर सकती। उसे पूरी तरह से पर्दे में रहना पड़ता है। दूसरी तरफ पश्चिमी देशों में महिलाओं को पुरुष जैसे ही अधिकार प्राप्त हैं। वे आजाद हैं। मानवीय दृष्टिकोण से किसी भी पुरुष को अपनी असहाय पत्नी को छोडऩे का अधिकार नहीं है। पुरुष जो कमाता है अपनी पत्नी जो कि उसके बच्चों की मां है यदिछोड़ देता है तो वह अपने बच्चों का पालन पोषण कैसे करेगी। वह किसका दरवाजा खटखटाएगी कि उसे न्या मिल जाए। आज महिलाएं शिक्षित हो रही हैं। उनका
दृष्टिकोण बदल रहा है और उन्हें पता लग रहा है कि अन्याय क्या है। क्या-क्या बातें पुरुष ने उनपर जबरन थोपी हैं। वे घुटन से बाहर निकल कर जीना चाहती हैं। महिलाओं के अधिकारों के मामलों को धर्म विशेषसे जोड़कर नहीं देखना चाहिए। समाज के बुद्धिजीवियों को आगे आना चाहिए। जो महिलाएं समृद्ध या ऊंचे पदों  पर हैं उन्हें दूसरी पिछड़ी या अधिकारों से वंचित महिलाओं की मदद करनी चाहिए। यह क्रांति की तरह है इसमें कइयों को जान से हाथ भी धोना पड़ेगा लेकिन जीत जब तक नहीं मिल जाती संघर्ष जारी रखना होगा।  पुरुषों के प्रति नफरत नहीं ,बल्कि उनकी विचारधारा को मिलकर बदलना होगा। आज महिलाओं को धर्म,जाति आदि से ऊपर उठ कर अन्य महिलाओं की मदद करनी होगी। न किसी की अधीनता न किसी को नीचा दिखाना बस समान रुप से जीवन का अधिकार पाना है। पुरुषों को भी अपनी मानसिकता को बदलना है। नारि शक्ति का सम्मान करना सीखना होगा। नारि एक योद्धा, डाक्टर, खिलाड़ी,पायलट, www.bhrigupandit.comमाडल आदि सब कुछ हो सकती है। यह उसने घरों की चारदीवारी में रहकर या बाहर निकल कर प्रमाणित कर दिया है।


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